सूरजपुर,@असफाक उल्लाह के अधिवक्ता ने घटती-घटना के पत्रकार को भेजा वैधानिक नोटिस…पत्रकार न्यायालय जाने के लिए तैयार…माननीय न्यायालय से करेंगे असफाक मामले की जांच करने की मांग…

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-ओंकार पाण्डेय-
सूरजपुर,09 मई 2024 (घटती-घटना)। अवैध कारोबार करने वाले समाज व लोकतंत्र के हितैषी बनते जा रहे हैं पर वही अवैध कारोबार का विरोध करने वाले समाज व लोकतंत्र के दुश्मन क्यों माने जा रहे हैं? आखिर ऐसा क्या बदलाव हो रहा है की लोगों की सोच गलत की तरफ ज्यादा और सही की तरफ कम होती जा रही? अब अवैध कारोबार में शामिल लोगों को आगे बढ़ाया जा रहा है पर वही उसके विरोध करने वाले कई समस्याओं से जूझ रहे हैं,आखिर क्या लोकतंत्र के अंग अपना काम सही तरीके से नहीं कर रहे हैं यह सवाल भी अब खड़ा होने लगा है? आज के युग में अधिक पैसा कमाना यह सब का उद्देश्य है पर पैसे कमाने की राह का सही चुनाव लोग भूल गए हैं। गलत राह से ही पैसा कमाना अब उद्देश्य बनता जा रहा है जिस पर लगाम लगाने वाला सरकारी तंत्र भी फेल होता दिख रहा है या कई जगह सम्मिलित नजर आता है? कुछ ऐसा ही मामला सूरजपुर जिले के एक छोटे से गांव से जुड़ा हुआ है जहां पर तकरीबन 2 साल से अवैध पैसा निवेश का काम बहुत तेजी से पनप रहा था पर इसकी जानकारी तब उजागर होना शुरू हुई जब पैसा लगाने वाले के गुर्गे सहित पैसा लगाने वाले सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर गिफ्ट का प्रचार करने लगे और प्रचार कर यह बताने लगे की पैसा निवेश करने पर काफी अच्छा रिटर्न मिल रहा है,इससे पहले इस कारोबार की जानकारी किसी को नहीं थी फिर इस कारोबार को पता करने के लिए दैनिक घटती-घटना ने मुहिम छेड़ी और इस कारोबार की जांच हो इसकी मांग उठी और फिर इस कारोबार के रफ्तार में कमी आई,जिससे यह साबित हुआ कि कहीं ना कहीं यह कारोबार गलत तरीके से संचालित हो रहा था पर कारोबार करने वालों को समाज सहित सरकार का संरक्षण कार्यवाही व जांच से आज तक बचा रहा है? वही इस कारोबार से लोगों को जागरूक करने वाला पत्रकार ही समाज सरकार का दुश्मन होता जा रहा है कारोबार करने वाले की पहचान इतनी तगड़ी है कि अब वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के कलम को भी तोड़ने का प्रयास करने लगा है,कभी पत्रकार के विरुद्ध शिकायत करता है तो कभी अपने अधिवक्ता से मानहानि का नोटिस भेजता है और पत्रकार को अब तक के छपे खबर का खंडन छापने को बोलता है। यहां तक की पत्रकार के हत्या का भी षड्यंत्र करने से बाज नहीं आता,इससे यह बात तो साबित हो जाती है की कारोबार अवैध ही था जिसकी बौखलाहट और छटपटाहट इतनी है कि लोकतंत्र के कलम को कैसे तोड़े इसका प्रयास जारी है। अब पत्रकार को लड़ाई मामला उजागर करने के लिए नहीं अब अपने आप को बचाने के लिए लड़नी होगी…कुछ ऐसा ही सिस्टम हो गया है?
3 साल में इनकम 16 लाख कैसे पहुंची…आखिर इनकम का क्या है सोर्स?
22 वर्षीय युवा का व्यापार से जुड़े कई सवाल है सवालों के जवाब तलाशने के लिए यदि जांच एजेंसी निकल जाए तो परत दर परत सारी चीज साफ हो जाएगी पर आखिर सवालों के जवाब खोजने प्रशासन भी जहमत नहीं उठा रहा आखिर ना जाने उसे किस घड़ी का इंतजार है? सूत्रों से मिले दस्तावेज के अनुसार असफ़ाक की आय 2020 से लेकर 2022 तक 5 लाख के अंदर थी जो उसका इनकम टैक्स रिटर्न बताता है पर वही 2023 में उसकी आय अचानक बढ़कर 16 लाख पार कर गई,सूत्रों का यह भी कहना है कि टैक्स 2 से 3 लाख जमा भी किया गया पर 16 लाख का रिटर्न तो भर दिया गया पर 16 लाख के रिटर्न का सोर्स क्या है? यह नहीं बताया गया यह भी आयकर विभाग के लिए एक जांच का अहम पहलू है…पर जांच होगी कि नहीं यह तो समय पर पता चलेगा। आखिर एक साल में 16 लाख की इनकम कैसे हुई किस काम से हुई यह बहुत बड़ा पहलू है जो पूरे राज को खोलकर रख देगा।
महज 22 साल की उम्र में असफाक की ख्याति कैसे बढ़ी?
लगातार प्रकाशित हो रही खबर से सूरजपुर जिले के एक व्यापारी जो लोगों का पैसा करते हैं दुगना आ रही है उसके कारोबार में गिरावट…क्या उसके बौखलाहट में पत्रकार विरोधियों के साथ मिलकर रची गई कई प्रकार की साजिश…सरगुजा संभाग में पैसा दुगना करने को लेकर एक नाम काफी चर्चा में है फिलहाल इसकी चर्चा पूरे प्रदेश में हैं और बड़े-बड़े व्यापारी इसके पास पैसा निवेश कर रहे हैं और अच्छा खासा कमीशन वह पा रहे हैं,अब कमीशन कहें या फिर याज का कारोबार यह समझ के परे है,असफ़ाक नाम का व्यक्ति इस समय लोगों के पैसे दुगना करने व लोगों को कार,मोटरसाइकिल व महंगे मोबाइल गिफ्ट करने को लेकर सुर्खियों में है,यह बात जनचर्चा का विषय है,असफ़ाक के पास अच्छे-अच्छे व्यापारी सहित कई लोग अपना पैसा निवेश कर रहे हैं और उससे अच्छा खासा रिटर्न लेकर अपने पैसे को दुगना करने की जुगत में है पर सवाल यह है कि यह कारोबार कैसा है अवैध है या फिर वैध यदि वैध होता तो अभी तक इसकी जानकारी सभी को हो जाती,आखिर महज 22 साल की उम्र में एक युवा लड़का इतना संपçा कैसे अर्जित कर रहा है, शॉर्टकट तरीके से पैसे कमाने की चक्कर में कहीं युवा खुद भी तो किसी साजिश का शिकार तो नहीं बन रहा है? और लोगों को भी जोखिम में तो नहीं डाल रहा है? अभी हाल में सूत्रों से पता चला है की उक्त युवा खबरों से काफी परेशान है।
आयकर व जीएसटी विभाग सहित अन्य जिम्मेदार विभाग असफाक के मामले में मौन क्यों?
खबर लगातार प्रकाशित हो रहे हैं और यह आशंका जाहिर की जा रही है की चिटफंड जैसा कोई व्यापार है यह जो जारी है जहां पैसा दोगुना किए जाने का लालच दिया जा रहा है। वैसे असफाक और उनके पिता के नाम से केजीएन हार्डवेयर नाम की फर्म है जिसमें असफाक के पिता फर्म के संचालक हैं। वैसे केजीएन फर्म का रजिस्ट्रेशन साथ ही उसका जीएसटी नम्बर हाल ही में जारी हुआ है जिसमे असफाक उल्लाह के पिता का जीएसटी हार्डवेयर रजिस्ट्रेशन कुछ माह पूर्व का है वहीं असफाक का जीएसटी रजिस्ट्रेशन इसी माह का है जबकि सूत्रों की माने तो उनका व्यवसाय वर्षों से जारी है और करोड़ों का लेनदेन वह अपने खातों से करते रहे हैं। वैसे पूरे मामले में सवाल यह उठता है की क्या जब बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के करोड़ों का लेनदेन ट्रांजेक्शन होता रहा तब आयकर विभाग का ध्यान इस ओर क्यों नहीं गया?
पहले तो खुद ही सोशल मीडिया पर अपने कारोबार की धूम मचाई और अब अपने कारोबार को वैध बताने के लिए जोर आजमाइश शुरू
असफाक उल्लाह नाम का व्यक्ति मात्र 22 की उम्र में ही काफी ख्याति पा लिया है यह बात उनके अधिवक्ता भी नोटिस में बता चुके हैं, जबकि 60 की उम्र में उनके पिता उतनी ख्याति नहीं कमा सके जितनी ख्याति उनके पुत्र ने 22 की उम्र में कमा ली है, इनका कारोबार क्या था यह किसी को 2023 से पहले पता नहीं था कोई नहीं जानता था कि यह क्या करते हैं पर अचानक 2023 में बहुत बड़े आदमी बन गए कैसे? पिता 65 साल की उम्र में इतने बड़े आदमी तो नहीं बने पर 22 साल की उम्र में उनका बेटा बहुत बड़ा आदमी बन गया,अब समझ में यह नहीं आता है कि पिता ने मेहनत नहीं की या फिर बेटा ने कुछ ज्यादा ही मेहनत कर दिया, 22 की उम्र वाले अशफाक की कहानी ही कुछ अजीब है जिन्हें बाइक में देखा जाता था वह अचानक फ ॉर्च्यूनर व बीएमडल्यू जैसी कार चढ़ने लगे यह स्थिति कैसे बदली इसकी जांच कोई करना नहीं चाहता पर इस स्थिति का प्रचार सोशल मीडिया पर खूब हो रहा था और लोगों को खूब गिफ्ट बांटे जा रहे थे जिसकी कई फोटो व तस्वीर आज भी मौजूद हैं और असफक उल्लाह का नाम लिखा जा रहा था पर सवाल यह उठता है कि आखिर असफाक उल्लाह ऐसा कौन सा कारोबार कर रहे थे कि उन्हें इतनी महंगी महंगी गिफ्ट बांटने पड़ रही थी? ऐसे कई दुकान संचालक है जो छोटे-मोटे गिफ्ट बाटते हैं पर इतना बड़ा गिफ्ट जिसमें कार बाइक व मोबाइल बाटते पहले व्यवसाई को देखा गया जो हम नहीं कहते यह उनके सोशल मीडिया पर डाले गए फोटो बता रहे थे?
न्यायालय भी देता है समाचार प्रकाशन पर स्वतंत्रता का अधिकार
जब सूत्रों व जनचर्चा के माध्यम से जानकारी अखबार समूह के पास पहुंची तब अखबार ने निष्पक्षता के साथ खबर प्रकाशित कर जागरूकता के साथ संबंधित विभाग को जानकारी देने काम किया,वहीं खबर प्रकाशन से नाराज होकर असफाक उल्लाह जैसे अपना मूल कर्तव्य नहीं निभाने वाले लोग समाचार से आक्रोशित होकर वकीलों की शरण मे जातें हैं और समाचार के विरुद्ध संवाददाता को अधिवक्ता के माध्यम से वैधानिक नोटिश जारी करवाते हैं। इन सभी विषयों के बीच दो बातें महत्वपूर्ण हो जाती हैं जिसमें एक तरफ खबर से आक्रोशित असफाक का आक्रोश है और वह जायज भी है क्योंकि सच सुनने की क्षमता शायद उनमे न रही हो वहीं विडंबना यह कि उनके अधिवक्ता अपने मुवक्किल के लिए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ही वैधानिक नोटिस जारी कर एक तरह से बांधने का प्रयास करते नजर आते हैं,जबकि शायद उन्हें भी नहीं मालूम उनका वैधानिक नोटिश स्वमेव निरस्त भी हो सकता है तथ्यों के आधार पर समाचार प्रकाशित करने का अधिकार समाचार प्रकाशित करने का दायित्व निभाने वाले लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के किसी भी प्रहरी के पास सदैव उपलध रहने वाला अधिकार है,वहीं वह इससे खुद को वंचित भी नहीं रखना चाहेगा। चंद शुल्क प्राप्ति की लालसा में किसी के अधिकारों से ही उसको वंचित करने का यह नोटिस स्वरूप हथियार कहीं इसे चलाने वाले पर ही उल्टा प्रहार करने वाला न साबित हो जाये यह ऐसा करने से पहले सोचना ऐसे लोगों के लिए जरूरी है। लोकतंत्र में चौथे स्तंभ का अधिकार मिला हुआ है स्वतंत्र होकर निष्पक्ष होकर समाचार प्रकाशन का वह समाचार प्रकाशित करने का दायित्व निभा रहा संपादक व संवाददाता निभाता रहेगा वहीं ऐसे किसी नोटिस का जवाब भी दिया जाता रहेगा जो सच को झूठ के बल पर दबाने के प्रयासों वाला होगा।
क्या बार एसोसिएशन में अशफाक के अधिवक्ता की शिकायत की जानी चाहिए?
मामले में कुछ संपादकों व संवाददाताओं का कहना है कि ऐसे अधिवक्ताओं का जो समाचारों के प्रकाशन पर नोटिस जारी कर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बाधित करने का प्रयास कर रहें हैं कि शिकायत बार एसोसिएशन में की जानी चाहिए,वहीं इसके लिए तैयारी किये जाने की बात भी रखी गई। अशफाक के अधिवक्ता क्या उनकी गलत जानकारी पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को डराने का काम कर रहे हैं? जिस वजह से अशफाक की गलत जानकारी में उन्होंने पत्रकार को वैधानिक नोटिस भेजी है? क्या अधिवक्ता सब भूल गए कि पत्रकार को जांच करने का अधिकार है क्या? यदि पत्रकार को अधिवक्ता साहब जांच करने का अधिकार दिला दें तो पत्रकार ही पूरे मामले की जांच करके बता देगा कि अशफाक का पूरा कारोबार अवैध है,क्या एक अधिवक्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए स्टेट बार काउंसिल एक उपयुक्त फोरम है। स्टेट बार काउंसिल शिकायत प्राप्त होने पर,या अपने स्वयं के प्रस्ताव पर,उस अधिवक्ता के खिलाफ दुराचार का मामला अपनी अनुशासन समितियों में से किसी एक के पास दर्ज कर सकती है।
केरल उच्च न्यायालय ने समाचारों के प्रकाशन की स्वतंत्रता पर 2020 में दिया था फैसला
संपादक व संवाददता के विरुद्ध दर्ज एक मामले में 2020 में केरल उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश जारी करते हुए प्रकरण को ही निरस्त कर दिया गया था जिसमें समाचार के प्रकाशन पर कार्यवाही की मांग की गई थी,माननीय केरल के उच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि संपादक संवाददाता किसी तथ्य या शिकायत पर समाचार प्रकाशन के लिए स्वतंत्र हैं और उनका यह अधिकार किसी आरोप को जो समाचारों से सम्बंधित हो से जोड़कर बांधा नहीं जा सकता।
क्या सवाल करना लोकतंत्र में अधिकार नहीं अधिवक्ता साहब?
असफाक उल्लाह के अधिवक्ता से एक सवाल है की क्या सवाल करना लोकतंत्र में अधिकार नही है जबकि सवाल करने वाला खुद लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जिम्मेदारी निभा रहा है। असफाक उल्लाह के अधिवक्ता ने पत्रकार को वैधानिक नोटिस जारी कर यह भी कहा है की पत्रकार अनुचित लाभ चाहता है जबकि इसका कोई सबूत न असफाक उल्लाह के पास है न ही असफाक के अधिवक्ता के पास कुल मिलाकर पत्रकार को एक तरह से डराने और बांधने के लिए कानूनी नोटिस भेजा गया है जिससे वह असफाक उल्लाह के खिलाफ खबर का प्रकाशन न करे जबकि पत्रकार खबर का प्रकाशन तब तक करता रहेगा जबतक की असफाक उल्लाह अपनी आय की जानकारी साझा नहीं कर देते हैं।
आखिर किस मोबाइल नंबर से पैसे के लिए हुई थी बात?
अधिवक्ता ने नोटिस में मोबाइल नंबर पर पैसे की मांग की बात कही है आरोप लगाया है। अधिवक्ता को यह स्पष्ट करना चाहिए की किस नंबर से पैसे की लेनदेन की बात हुई वहीं यदि बात हुई तो कितने पैसों की बात हुई। नंबर पर पत्रकार से बात यदि हुई तो फोन किसने किया… क्योंकि पत्रकार ने अपने तरफ से कोई फोन नहीं किया…वहीं फोन समाचार प्रकाशन के पूर्व किया गया मांग खबर प्रकाशन के पूर्व हुई की बाद में…कुल मिलाकर यदि उधर से फोन लगाया गया उनके पक्षकार द्वारा किसी को जिसे वह पत्रकार बता रहे हैं क्योंकि पत्रकार जिसे नोटिस जारी हुआ है उससे कोई बात नहीं हुई है ऐसे में यह भी सवाल है की जब असफाक उल्लाह का कारोबार एक नंबर का है तो फिर क्यों उन्हे खबरों से डरना पड़ रहा है और पत्रकार से बात करने का प्रयास करना पड़ रहा है?
अधिवक्ता साहब जी खबर की बात कर रहे हैं उस खबर में यह भी लिखा है की घटती-घटना उसकी पुष्टि नहीं करता
अधिवक्ता ने असफाक उल्लाह के नोटिस में खबरों का उल्लेख किया है जिसके आधार पर उन्होंने असफाक उल्लाह के लिए उसकी तरफ से पत्रकार को नोटिस भेजा है जबकि अधिवक्ता जिन खबरों के आधार पर नोटिस भेज रहे हैं उनमें यह भी लिखा है की घटती-घटना खबर की पुष्टि नहीं करता है।
अधिवक्ता साहब जब पत्रकार का कार्यालय ही नहीं है…तो पत्रकार ने आपके पक्षकार को किस कार्यालय में बुला लिया?
असफाक उल्लाह के अधिवक्ता ने नोटिस में यह भी आरोप पत्रकार पर लगाया है की पत्रकार ने अपने कार्यालय बुलाकर उनके मुवक्किल से पैसे की मांग खबर प्रकाशन न करने के लिए की है। पत्रकार अधिवक्ता महोदय से खबर प्रकाशन कर पूछना चाहता है की उनका पक्षकार पत्रकार के किस कार्यालय गया था जबकि पत्रकार का कोई कार्यालय है ही नहीं…कुल मिलाकर पत्रकार खबर का प्रकाशन कर रहा है आरोप जो लोगों द्वारा लगाए जा रहे हैं उसे तथ्य मान रहा है यही अधिवक्ता के मुवक्किल की परेशानी है…क्योंकि उसका व्यवसाय जो झूठ की बुनियाद पर खड़ा है खबर प्रकाशन के बाद से डांवाडोल हो रहा है।
अधिवक्ता साहब शायद भूल गए की पत्रकार को सूत्रों के हवाले से मिली खबर छापने व लोगों को जागरूक करने का भी अधिकार है?
असफाक उल्लाह के अधिवक्ता जिन्होंने घटती-घटना के पत्रकार को खबर प्रकाशन के लिए वैधानिक नोटिस भेजा है वह शायद भूल गए हैं की पत्रकार को सूत्रों के हवाले से खबर प्रकाशन का अधिकार है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को यह अधिकार है की वह सूत्रों की दी गई जानकारी की हल्की समीक्षा कर उसका प्रकाशन कर सकता है वहीं यदि खबर किसी को झूठी और अनर्गल लगती है तो फिर ऐसे व्यक्ति को सबूत के साथ अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करना चाहिए अधिवक्ता से वैधानिक नोटिस जारी करवाकर पत्रकार को दबाना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ही दबाने जैसा प्रयास माना जायेगा।
जब आपका पक्षकार इतना ही सही था तो फिर पत्रकार को फोन करने की जरूरत क्या थी?
अधिवक्ता से एक सवाल यह भी है की उनका पक्षकार यदि साफ सुथरा व्यापार करता है चिटफंड का उसका व्यापार नहीं है वहीं महादेव सट्टा ऐप से उसका कोई कनेक्शन नहीं है तो फिर उसकी छवि धूमिल कैसे हो रही है वहीं उसका व्यवसाय कैसे प्रभावित हो रहा है जब वह एक नंबर का काम कर रहा है वहीं उसे जब सब कुछ वह सही कर रहा है उसका व्यवसाय सही है तो खबर प्रकाशन को लेकर उसे पत्रकार को फोन करने की जरूरत क्या पड़ गई थी।
कुछ मामले से जुड़े कुछ महत्वपर्ण सवाल
सवाल- 22 वर्ष की उम्र में आय से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने वाले असफाक को मिल रहा है राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण जिस वजह से जांच में आ रही है रुकावट?
सवाल- असफ़ाक के इनकम का क्या है राज…वर्ष 2021 से 2022 तक उनका रिटर्न था 5 लाख के अंदर अचानक 2023 में 16 लाख का दिखाया आय?
सवाल- आखिर ऐसा कौन सा किया काम 5 लाख से की बढ़ कर 16 लाख पहुंची आय?
सवाल- आखिर ऐसी कौन सी ताकत है असफाक के पास की खबर प्रकाशन व पैसे की लेनदेन की खबरें आम होने के बाद भी कार्यवाही से बचे हुए हैं?
सवाल- शिवप्रसादनगर का ग्रामीण बैंक भी क्या उनके कारोबार का हिस्सा है?
सवाल- जीएसटी से पहले खाते से हुआ 3 करोड़ का लेनदेन क्या आयकर विभाग करेगा इसकी जांच?
सवाल- आखिर 3 करोड़ का खाते से लेनदेन किस उद्देश्य से किया गया क्या उसका टैक्स पटाया गया या फिर सब कुछ अवैध रूप से चल रहा जो है जांच का विषय?
सवाल- आखिर छप रही खबरों पर जीएसटी व आयकर विभाग कब लेगा संज्ञान और कब होगी सूक्ष्मता से अशफाक सहित उनके पिता के ट्रांजैक्शन की जांच?
सवाल- असफाक के व्यापार का पता क्यों नहीं लगाना चाह रही जांच एजेंसिया व जिला पुलिस प्रशासन?
सवाल- असफाक कि जीएसटी फरवरी 2024 में केजीएन ट्रेडिंग के नाम से वही पिता है केजीएन हार्डवेयर के संचालक… इतना बड़ा व्यापार बिना जीएसटी के कैसे कर रहे थे संचालित?
सवाल- महज 22 की उम्र में आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में अशफाक उनके पिता संदेह के घेरे में जांच की जहमत उठाएगा कौन?


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