बैकुण्ठपुर,@5 साल बाद होने जा रहा है कोरिया जिले में दवाओं और उपकरण का टेंडर में कमीशन का खेल होने की आशंका

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,02 मई 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले की पिछली सरकार में पूरे 5 साल तक स्वास्थ्य विभाग में दवाई खरीदी को लेकर कोई टेंडर नहीं हुआ मनचाहा दवाई खरीदी होती रही, जबकि वहीं पड़ोसी जिलों में टेंडर के तहत दवाई व उपकरण खरीदी की गई और कोरिया जिला ही एक ऐसा जिला था जहां पर मनमानी चरम पर थी और अब मौजूदा सरकार पर भी जब दवाई खरीदी की टेंडर होने की बात सामने आ रही है तो यहां पर भी टेंडर कमीशन की भेंट चढ़ने की कगार पर है, इसके साथ ही टेंडर भी निष्पक्ष तरीके से नहीं सेटिंग के तरीके से अपने चाहेतो को देने के तैयारी हो रही अब ऐसे में सवाल यह चढ़ता है कि 5 साल बाद टेंडर होने का निर्णय लेने के बाद किया संबंधित अधिकारी टेंडर को भी कमीशन के भेट चढ़कर अपनी जेब भर लेंगे? सूत्रों का कहना है कि जितना लगाकर पद पर बने हुए हैं वह भी तो वसूलना है इस वजह से दवाई का टेंडर में कमीशन का खेल कर जितना पैसा लगाकर अपने पद पर आसीन है उसे पैसे को इस दवाई की टेंडर से कमीशन के तौर पर निकलना संबंधित अधिकारी का उद्देश्य है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर एस सेंगर ने लगभग 5 करोड़ की विभिन्न दवाओं और उपकरण का टेंडर निकाला है, जो लोकसभा चुनाव के बाद खोला जाएगा, इस टेंडर के पीछे बड़े कमिशनखोरी की तैयारी की जा रही है, टेंडर अपने चहेते वेंडर को मिले इसके लिए साहब ने तैयारी पूरी कर रखी है। इसलिए टेंडर लिफाफे खोलने की पद्धति अपनाई गई है जबकि ये टेंडर ऑनलाइन खोले जाने चाहिए थे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के द्वारा आचार संहिता लागू होने के ठीक 4 दिन पहले टेंडर निकाला गया, ऐसा जानबूझकर किया ताकि आचार संहिता के दो महीने तक कोटेशन से दवाओं की खरीदी मनमाने तरीके से की जा सके, वही राज्य के दूसरे जिलों में टेंडर की पूरी प्रक्रिया जनवरी माह में ही पूरी कर ली गई है तो कोरिया में ऐसा क्यों किया है इस पर सवाल खड़ा हो रहा है। और सबसे बड़ी बात कि इस टेंडर में स्थानीय कोई टेंडर न ले इसके लिए सूत्र बताते है कि सीएमएचओ खुद व्यापारियों से मिलकर खुद के हिस्से की गुहार लगाने भी पहुंच गए और बोले एक दो दवा का सप्लाई आप कर लो बाकि मेरे लिए तो सोचो मेरे को क्या मिलेगा। तय है टेंडर निकाले जाने के पहले ही जिसे टेंडर दिया जाना है सीएमएचओ तय कर चुके है इसलिए स्थानीय व्यापारियों से टेंडर न लेने की गुहार के साथ खुद का हिस्सा मांग रहे है।
10 प्रतिशत हिस्से की मांग
सीएमएचओ कार्यालय के सूत्रों की माने में हर हस्ताक्षर में सीएमएचओ 10 प्रतिशत की मांग रहती है इससे नीचे वो नही डिमांड करते,सूत्र यह भी बताते है जब वो एक माह के लिए सीएस बने थे तो बाबुओं से सीधे 15 प्रतिशत की मांग की थी, मना करने पर उन्होंने प्रशासन को अनाप शनाप बता तमाम जांच करवानी शुरू कर दी।
एजेंट के पहुंच लिफाफा पहुंचा कट जाएगा चेक
सूत्रों की माने तो सीएमएचओ का एजेंट बाबू सचिन विश्वास ऐसा बाबू है जो किसी के भी बिल बिना लिए पास नही करता है कइयों के बिल सालों से अटके है, जो बिल पास करवाने जाते है उनसे वो सीधे 20 प्रतिशत की मांग करता है, सीएमएचओ कार्यालय में दवाओं की खरीदी में इस बाबू और सीएमएचओ की जुगलबंदी किसी से छिपी नही है, बाबू लंबे अरसे से एक ही पद पर जमा हुआ है, टेंडर प्रकिया के निर्माण में इस बाबू की बड़ी भूमिका बताई जा रही है।
जेनरिक टेंडर में इथिकल दवा
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा निकाले टेंडर में जेनरिक दवाओं की मांग की गई है जबकि सूची में ऐसे ऑय ड्राप का नाम 3-3 बार अलग से लिखा गया है और एक ही कंपनी को फायदा पहुंचाने इथिकल नाम से ड्राप की डिमांड की गई है जो कि यह दर्शा रहा है कि टेंडर पहले से ही फिक्स कर दिया गया। सूत्र बताते है कि इथिकल में बी वॉन बेनिफिशल और जेनरिक में मल्टीविटामिन ड्राप के नाम भी डाला गया है ये टेण्डर मैनेज करने के नाम से किया गया है। सीएमएचओ की मंशा यही है कि हर हाल में टेंडर से उनको और चहेते ठेकेदार को फायदा पहुंचे।
उपकरण के सप्लाई में बड़ा झोल
उपकरण के टेंडर लिस्ट में अपने मित्र सप्लायर की मदद से पूरा स्पेसिफिकेशन लिखा गया है ताकि लोकल व्यापारी इसे पूरा न कर सके। और उनके चहेते को टेंडर मिल सके। यदि टेंडर ऑनलाइन हो जाता तो उनके मित्र व्यापारी को इसका फायदा नही हो सकता है। राज्य सरकार को चाहिए कि इस टेंडर को निरस्त करके नए सिरे से ऑनलाइन टेंडर जारी करें और वर्तमान टेंडर की जांच कर कार्यवाही की जाए।


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