800 ब्रांच और 10 हजार से ज्यादा लोगों का नेटवर्क
रायपुर,25 अप्रैल 2024 (ए)। महादेव पर ईओडब्ल्यू की एफआईआर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आरोपी बनाने के बाद सियासी बवाल मचा हुआ है। भूपेश बघेल दावा कर रहे हैं कि हमने सट्टा पर सख्त कानून बनाया। सबसे ज्यादा कार्रवाई की। इसके बाद भी हम पर प्रोटेक्शन देने का आरोप लगाते हुए एफआईआर करना साय सरकार की गीदड़ भभकी है। इस दावे के बीच हमने ये जानने की कोशिश की, कि महादेव बुक के काले कारोबार का क्या स्टेटस है? इसको रोकने के लिए अब तक क्या प्रयास किए गए? किस तरह से यह बुक संचालित होती है? कितने लोगों का नेटवर्क काम कर रहा है? वर्तमान सरकार ने इसको रोकने के क्या ठोस उपाय किए हैं, क्योंकि भूपेश सरकार ने इस संबंध में डोमेन बंद करने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। हमारी पड़ताल में पता चला कि सटोरियों और खाईवालों पर अब भी महादेव की कृपा चल रही है। इतनी सख्ती के बाद इस पर कोई असर नहीं पड़ा है। पहले की ही तरह अब भी महादेव बुक का सिस्टम काम कर रहा है। करीब 800 ब्रांच दुनियाभर में संचालित हो रही हैं। तो वहीं इस नेटवर्क से करीब 10 हजार लोग जुड़े हुए हैं। इनमें करीब 9 हजार लोग अलग-अलग ब्रांच से लेकर पैनल में नौकरी कर रहे हैं।
ईओडब्ल्यू की पिछले महीने मार्च में महादेव के मामले में एफआईआर के बाद छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में महादेव के नाम की गूंज उठ चुकी है। सरकार से लेकर विपक्ष और ब्यूरोक्रेट्स में चर्चा का विषय बने महादेव बुक की पड़ताल में पता चला कि 6 नवंबर 2023 को 22 अवैध सट्टेबाजी ऐप और वेबसाइट्स को केन्द्र सरकार की तरफ से ब्लॉक करने के बाद और महादेव बुक पर ईडी से लेकर हर तरह की एजेंसी की सख्ती के बाद भी महादेव बुक सहित सभी तरह के ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप और वेबसाइट्स धड़ल्ले से अब भी चल रहे हैं। केन्द्र सरकार ने जिन ऐप और वेबसाइट्स के डोमेन को बैन किया है, उसकी जगह ऑनलाइन बैटिंग ऐप के प्रमोटर्स ने उन्हीं नाम से नया डोमेन शुरू कर दिया। बैन करने के कुछ ही घंटों में नया डोमेन बना लिया गया था। इतना ही नहीं जिस पैटर्न पर पहले ऑनलाइन बैटिंग की जाती थी, अब भी लोग उसी पैटर्न पर बैटिंग कर रहे हैं। पेमेंट डिपॉजिट और क्रेडिट करने का पैटर्न ही कुछ ऐप में बदला है। राज्य सरकारों से लेकर केन्द्र सरकार तक की चारों तरफ की सख्ती के बाद भी अब तक कुछ भी नहीं बदला है। महादेव बुक के प्रमोटर्स बेरोकटोक अपना अवैध सट्टे का कारोबार चला रहे हैं। प्रदेश में हाईप्रोफाइल ड्रामा होने और सरकार बदलने के बाद भी अब भी महादेव की कृपा जारी है।
पप्पू ढिल्लन अब ईओ डब्ल्यू की रिमांड में,त्रिपाठी की भी रिमांड बढ़ी
ईओडब्लू सी टीम दुर्ग भिलाई शराब कारोबारी त्रिलोक सिंह (पप्पू) ढिल्लन को कोर्ट 2 मई तक रिमांड पर एसीबी को सौंप दिया है। पप्पू को एसीबी ने कल ही कोच्चि से हिरासत में लेकर आज रायपुर पहुंची और कोर्ट में पेश किया। पिछले दिनों एसीबी ईओडब्लू की छापेमारी के दौरान वह घर पर नहीं मिला था। पप्पू को कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के करीबियों में गिना जाता है। इस बीच इसी घोटाले में बिहार से गिरफ्तार एपी त्रिपाठी को भी आज कोर्ट में पेश किया जाएगा। 6 दिनों की उसकी ऱिमांड आज खत्म होने के बाद पेश किया था।। कोर्ट ने उसे 9 मई तक तक रिमांड दिया है। बता दें कि इससे पहले ईओ डब्ल्यू ने शराब घोटाले मामले में कारोबारी अरविंद सिंह और अनवर ढेबर को हिरासत में लेकर पुछताछ हो चुकी है वही दोनों को 2 मई तक ज्यूडिशल कस्टडी में रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद किया गया है।
शराब घोटालाः हाई कोर्ट ने ईओडब्ल्यू को भेजा नोटिस
कारोबारी अनवर ढेबर ने लगाई है याचिका
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में दर्ज ईसीआईआर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किये जाने के बाद ईओडब्ल्यू में दर्ज एफ आईआर और गिरफ्तारी के खिलाफ कारोबारी अनवर ढेबर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
अपनी गिरफ्तारी को बताया अवैध
छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले को लेकर पूर्व में ईडी की तरफ से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डि्रंग की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस प्रकरण में ईडी ने कारोबारी अनवर ढेबर, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड के एमडी रहे अरुणपति त्रिपाठी, नितेश पुरोहित और त्रिलोक सिंह ढिल्लन को आरोपी बताते हुए इन्हें गिरफ्तार किया था। ढेबर को पूर्व में हाईकोर्ट से मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिल गई थी। बाद में इसी मामले में ईओडब्ल्यू में एफ आईआर दर्ज किया गया है। इस मामले में ढेबर को महाराष्ट्र जाने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। उनकी तरफ से हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि पूर्व में इस मामले में दर्ज ईसीआईआर को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था, इसलिए एफ आईआर और गिरफ्तारी अवैध है।