हर बार कांग्रेस से खिसकते गए वोटर्स क्या इस बार कांग्रेस के तरफ वोटर्स का दिखेगा झुकाव?
–विशेष संवाददाता –
अम्बिकापुर,18 अप्रैल 2024 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में सरगुजा लोकसभा क्षेत्र का चुनाव राज्य बनने के बाद से रोचक रहा है । हर बार कड़ी टक्कर के बाद भी कांग्रेस इस सीट को नहीं जीत सकी है। 2018 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्तामें आई तो ऐसा लगा कि इसका असर लोकसभा चुनाव में भी होगा । लेकिन ऐसा हो ना सका , चाहे प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता रही हो या ना हो फिर भी बीजेपी ने इस सीट से अपना वर्चस्व खत्म नहीं होने दिया ।कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 में सरगुजा की आठ सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया। लेकिन लोकसभा का चुनाव हार गई । सरगुजा संभाग की बात करें तो वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में यहां की 14 की 14 सीटों में काग्रेस का सूपड़ा साफ हो चुका हैं जहा इन्हीं 14 में से 8 विधानसभा सीट सरगुजा लोकसभा सीट के अंतर्गत आती हैं । कभी कांग्रेस का गढ़ रही सरगुजा लोकसभा सीट छाीसगढ़ राज्य बनने के बाद बीजेपी का गढ़ बन चुकी है ।प्रदेश में इस बार पांचवीं बार लोकसभा चुनाव होने जा रहा है। लेकिन पिछले चार लोकसभा चुनाव में एक बार भी कांग्रेस इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं चख सकी है।
गौरतलब हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य का सरगुजा लोकसभा सीट एसटी आरक्षित लोकसभा सीट है। देश की आजादी के बाद यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं और 18 वीं लोकसभा के लिए 2024 में चुनाव होने हैं। इस सीट के अस्तित में आने के बाद 1952 और 1957 के चुनाव में दो सांसद चुने जाते थे एक सामान्य वर्ग से और दूसरा एसटी वर्ग से, लेकिन 1962 के चुनाव से पहले परिसीमन हो गये और सीटों का आरक्षण हो गया। जिस कारण दो सांसद बनने की परंपरा पर विराम लग गया। सरगुजा लोकसभा के पुराने क्षेत्रफल की बात करें तो वह काफी बड़ा था। सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया, बलरामपुर और रायगढ़ जिला इस एक लोकसभा में आते थे जहा पहले परिसीमन के बाद रायगढ़ और कोरिया जिले को इससे अलग किया गया। रायगढ़ को अलग लोकसभा क्षेत्र बनाया और कोरिया का कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश की सीधी लोकसभा में शामिल हो गया । हांलाकि बाद में कोरिया जिले को कोरबा लोकसभा में शामिल कर दिया गया। जिसके बाद अब सरगुजा लोकसभा सीट में 3 जिलों की 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं ।इस लोकसभा सीट में सर्वाधिक आबादी गोंड समाज की लोगों की मानी जाती है ।इस बार सरगुजा की बात करें तो कांग्रेस ने गोंड समाज से अपना प्रत्याशी बनाया है जहा पूर्व मंत्री की बेटी शशि सिंह मैदान में हैं।जिनके सामने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए चिंतामणि महाराज भाजपा से प्रत्याशी हैं।
छत्तीसगढ़ की सरगुजा कभी कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती थी। लेकिन बदलते वक्त ने कब वोटर्स का मिजाज बदल दिया, खुद कांग्रेस को भी पता ना चला ।विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस कभी आगे तो कभी पीछे रही हो,लेकिन जब बात लोकसभा की आती है,तो कांग्रेस दूर-दूर तक नहीं दिखती । छत्तीसगढ़ बनने के बाद तो सरगुजा में स्थिति और भी ज्यादा खराब हुई। यह माना जाता हैं कि राज्य गठन के बाद रेलवे और सड़क की सुविधाएं तेजी से बढ़ी । रेलवे से जुड़े जो भी बड़े काम हुए वो सभी बीजेपी सरकार के समय ही हुए.जिसका नतीजा ये हुआ कि इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बीजेपी के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ता गया जिस कारण अब सरगुजा लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ बनता जा रहा यह कहना भी गलत नही होगा । मौजूदा चुनाव में भी मोदी का बड़ा चेहरा और राम मंदिर का फैक्टर गूंज रहा है।
सरगुजा लोकसभा सीट में मतदाता
जानकारी अनुसार 2024 में सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में कुल 18,02,941 मतदाता हैं । यह आंकड़े मतदाता सूची के प्रारंभिक प्रकाशन 6 जनवरी 2024 की स्थिति के अनुसार है। इसके मुताबिक, कुल 1,71,229 युवा मतदाता हैं, जिसमें 18 से 19 आयुवर्ग के 20078 एवं 20 से 29 आयुवर्ग के कुल 151151 मतदाता शामिल हैं।
सरगुजा लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण
सरगुजा लोकसभा में सरगुजा जिले की अम्बिकापुर, सीतापुर और लुंड्रा विधानसभा शामिल हैं । इसी तरह सूरजपुर जिले की प्रेमनगर, भटगांव और प्रतापपुर विधानसभा इसमें आती हैं। बलरामपुर जिले की सामरी और रामानुजगंज विधानसभा भी सरगुजा लोकसभा का हिस्सा हैं । यहां एसटी वर्ग के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। लोकसभा सीट में करीब 65 फीसदी से अधिक मतदाता एसटी वर्ग के हैं । एसटी में भी गोंड सामाज की बहुलता है, इस वजह से यहां ज्यादातर गोंड समाज के प्रत्याशी ही सांसद रहे हैं । जातिगत समीकरण देखा जाये तो यहां कंवर समाज के मतदाता सबसे अधिक हैं, लेकिन गोंड समाज मे एकजुटता के कारण यहां इस गोंड समाज के ही प्रत्याशी सांसद बनते रहे हैं ।
लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने सरगुजा से आदिवासी महिला नेत्री रेणुका सिंह को चुनाव मैदान के उतारा था । मोदी लहर में रेणुका सिंह ने कांग्रेस के सीनियर नेता खेल साय सिंह को बड़े अंतर से शिकस्त दी थी । सरगुजा से रेणुका सिंह 1 लाख 57 हजार 873 मतों से जीतीं थी। भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह को कुल 663711 मत मिले थे, जबकी कांग्रेस के खेल साय सिंह को महज 505838 मतों से ही संतोष करना पड़ा था।
2004 से बीजेपी का गढ़ है यह सीट
वर्तमान में यहां से 2019 में रेणुका सिंह सांसद चुनी गई । इन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री भी बनाया गया। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में रेणुका सिंह ने एमसीबी जिले की भरतपुर-सोनहत सीट से चुनाव लड़ा। चुनाव में जीतने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था । देश मे आजादी के बाद से यहां 9 बार कांग्रेस ने तो 8 बार भाजपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद 2004 से यहां कांग्रेस कभी चुनाव नहीं जीत सकी है । यहां लगातार बीजेपी के प्रत्याशी जीत दर्ज करते आ रहे हैं । 2004 में नंदकुमार साय, 2009 में मुरारीलाल सिंह, 2014 में कमलभान सिंह और 2019 में रेणुका सिंह यहां से सांसद बनी । राज्य निर्माण के पहले और छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आने के बाद 2004 तक कांग्रेस के खेल साय सिंह यहां से 3 बार सांसद रह चुके हैं।