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चिरिमिरी,@एसईसीएल के क्षेत्री मुख्यालय में पदस्थ सीनियर फाइनेंस मैनेजर के ऊपर लग रहे हैं उगाही के आरोप,एफएम के नाम पर करते है लाखों की वसूली…

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-रवि सिंह –
चिरिमिरी,16 अप्रैल 2024 (घटती-घटना)।
मिनी रत्न कंपनी के नाम से विख्यात कोयला कंपनी के अधिकारी इन दिनों नियमों को शिथिल कर अपनी मनमर्जी करने में उतारू है भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मानकर अब एक नई परिभाषा ईजाद कर रहे हैं कंपनी की साख को बर्बाद कर रहे हैं एरिया मुख्यालय चिरमिरी में पदस्थ सीनियर मैनेजर फाइनेंस के पद पर विराजमान एक युवा अधिकारी अपने लाभ के लिए अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ठेकेदार और सप्लायरों को अपनी घटिया अफसर शाही का परिचय देते हुए परेशान कर बेधड़क और पूरी तरह से निडर होकर जम कर वसूली कर रहा है।
बताया जाता है कि वह पिछले 8 साल से एक ही टेबल पर जमा हुआ है पद स्थापना के शुरुआती दिनों में तो काफी ईमानदार बनकर लोगों के बीच खूब सराहा जाता था, इसके ईमानदारी के खूब चर्चे हुए किंतु क्षेत्र की बहुत चर्चित महाशक्ति बस वाली घटना को अंजाम देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के बाद यह बच निकला तब से इसके और हौसले बुलंद हो चले है यह पूरी तरह से निरंकुश और निडर हो गया है और जमकर उगाही कर रहा है सभी फाइलों में कम से कम अपने टेबल पर 2 से 3,4 बार कमियां निकाल कर कई कई महीना और सालों तक अपने टेबल के इर्द-गिर्द घूमता है ठेकेदारों और सप्लायरों को परेशान करता है, जब यह थका हारा व्यापारी पूरी तरह से परेशान हो जाता है तो उनसे बड़ी मासूमियत से मिलकर बड़े पैसे का डिमांड करता है और पैसे के मिलते ही उनमें आपत्तीयां खत्म कर देता हैं यह सिलसिला बड़े जोर शोर से इसके दफ्तर में चल रहा है इस बात की खबर महाप्रबंधक महोदय से लेकर बिलासपुर के अधिकारियों को भी है लेकिन इसके विरुद्ध किसी तरह की कार्यवाही नहीं किए जाने से कई प्रकार के संदेह उत्पन्न हो रहे हैं। एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र में 8 वर्ष पूर्व पदस्थ मैनेजर फाइनेंस के पद पर एक अधिकारी की नियुक्ति की गई थी वह अधिकारी इस टेबल पर आज तक जमा हुआ है और इस स्थान पर जमे रहने से अब अपनी मनमानी कर रहा है जबकि नियमों के मुताबिक एक टेबल किसी भी अधिकारी और कर्मचारियों को अधिक से अधिक 3 वर्ष तक ही बने रहना है।
फाइल टेबल बार घुमती रहती है…
स्थानीय ठेकेदारों के मुताबिक जब भी कोई प्रपोजल की फाइल इसके टेबल पर जाती है तो उसमें 5-6 पॉइंट्स इंमरी में लिख देता है एवं फाइल को वापस संलग्न अधिकारी के पास भेज देता है जब संलग्न अधिकारी उसे 5-6 बिंदु पर इसका स्पष्ट जवाब लिख भेजता है तो फिर वह पुनः उन में चार-पांच बिंदु इंमरी लिख देता है, और पुनः संबंधित अधिकारी को उसी प्रपोजल वापस भेजता है इस तरह की प्रक्रिया लगभग सभी फाइलों में चलाई जाती है जब ठेकेदार और सप्लायर परेशान हो जाता है उन्हें पर्सनल एक रूम में बैठाकर बताता है कि पहले भी हम पैसा नहीं लेता था और आज भी नहीं लेता हूं लेकिन नौकरी करना है ऊपर के अधिकारियों को जैसा निर्देश होगा मैं काम करूंगा आप मेरी मजबूरी समझिए फिर बताता है कि एफ.एम. जो आप लोगों के बीच में ईमानदार बने रहते हैं मुझे पैसे की डिमांड करते हैं और मैं कोई आपçा नहीं करता मुझे उनके द्वारा यह कहा जाता है कि इस फाइल में इस इस तरह की आपत्तीयां कर दो मैं मजबूर होकर उनके दिए गए हुकूम का पालन करता हूं आपको लगता है कि मैं आपको परेशान कर रहा हूं लेकिन वास्तविकता कुछ अलग है…कहेता हैं जो दक्षिणा आप मुझे दोगे मैं अपने उपरोक्त अधिकारियों को प्रदान करूंगा मुझे इस दक्षिण से कोई लेना-देना नहीं है इस तरह से यह पैसे की उगाही भी करता है और ईमानदार भी बना रहता है अपने उच्च अधिकारियों का नाम पर पूरे क्षेत्र के सप्लायरों और ठेकेदारों से जमकर उगाही कर रहा है एक ठेकेदार ने यह भी कहा कि सिनियर मैनेजर फाइनेंस यदि एक बार में ही अपनी सारे बिंदु लिख दें जो उन्हें कमी हमारी फाइलों में समझ में आ रही है तो उसका जवाब सक्षम अधिकारी एक बार में ही दे दे और ठेकेदार का भी भुगतान हो जाए और कंपनी का बेस कीमती समय भी बचे जो काम एक सप्ताह का है उसे इस तरह घुमा कर कई कई महीनो तक खुद भी परेशान रहते हैं और सप्लायरों और ठेकेदारों को भी परेशान करते हैं,, ठेकेदार और सप्लायर अब काम करने से कतरने लगे हैं कई ठेकेदार इसके कारण कंपनी के काम नहीं करते समय पर यदि कार्य नहीं किए जाते तो कंपनी को बाद में और अधिक क्षति उठाना पड़ रहा है।
पिछले तीन-चार वर्षो से कई फाइलें कार्यालय में घूम रही…सप्लायर और ठेकेदार है बेहद परेशान
मुख्य महाप्रबंधक महोदय आपको ज्ञात हो कि आपके कार्यालय में कई दर्जन ऐसी फाइलें हैं जो पिछले चार-पांच वर्षों से भुगतान के बगैर लंबित हैं, कुछ ठेकेदारों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फाइनेंस सहित कई अन्य टेबलों में पैसे की बड़ी डिमांड की जाती है जब हम पैसा कमाये ही नहीं बस काम पाने के उद्देश्य से 50 से 60 परसेंट काम बिलो रेट में डालकर भी कार्य को कंप्लीट किया गया है काफी घाटा भी हो जाता है यह बात अधिकारियों को भी पता है फिर भी वह हमसे भुगतान के लिए पैसे मांगते हैं हमारी फाइलों में कुछ ना कुछ कमी निकाल कर पिछले तीन-चार सालों से इस टेबल से उस टेबल घुमाया जा रहा है और हर बार कुछ न कुछ कमी निकाल दी जा रही है उसका भुगतान नहीं किया जा रहा है सवाल यह उत्पन्न होता है कि क्या जब तक ठेकेदार इनकी डिमांड की पूर्ति नहीं करेगा तो क्या प्रबंधन उसका भुगतान नहीं करेगा क्या कंपनी में विधि विधान सब कुछ खत्म हो गया है सवाल यह है कि जब आपने सप्लायर से आपके उपयोग में लाई जाने वाले उपकरण या अन्य सामग्रीयां ली जा चुकी है और उसका उपयोग भी किया जा चुका है तो उसका भुगतान आप क्यों नहीं करेंगे?? या नहीं भी करेंगे तो स्पष्ट पत्र देकर उन्हें मना कर दें और फाइलों को डिस्पोजल कर दें लेकिन आप मना ना कर लगातार उनकी फाइलों में कमी निकाल कर उन्हें परेशान कर रहे हैं जो उचित नहीं है।
गंभीर आरोपों के बाद भी इस अधिकारी का हो रहा प्रमोशन,दे रहा है कई सवालों को जन्म
महाशक्ति बस प्रकरण के बाद इस अधिकारी को दिया गया प्रमोशन भी कई सवालों को जन्म दे रहा है, आखिर इस प्रकरण में इसकी संलिप्तता जग जाहिर है, इसके बाद भी कंपनी के उच्च अधिकारियों ने आंख बंद करके इसका प्रमोशन कर दिया और अब यह सीनियर फाइनेंस मैनेजर के तौर पर अब काम कर रहा है इस घटना के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि ऊपर के अधिकारियों को इसको वरदहस्त प्राप्त है,उनके आशीर्वाद के कारण ही इसका मन बढा हुआ है और यह मनमानी पद का दुर प्रयोग करते हुए वसूली कर कंपनी को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है और खूब भ्रष्टाचार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक एरिया मुख्यालय कार्यालय में फाइनेंस मैनेजर काफी ईमानदार बताए जाते हैं और उनके द्वारा किसी भी सप्लायर और ठेकेदार से किसी भी तरह का पैसा नहीं लिया जाता लेकिन वह चाहते हैं की कंपनी का पैसा किसी भी तरह बर्बाद ना हो और उचित पैसा ही खर्च किया जाए ताकि कंपनी किसी तरह से नुकसान में ना जा सके और उनकी पदस्थापना के बाद खर्चे में काफी कंट्रोल भी देखा गया है लेकिन उन्हीं के अधीनस्थ कोहली नामक सीनियर मैनेजर फाइनेंस के पद पर विराजमान अधिकारी उनके आड़ में काफी पैसा वसूल रहा है, चिरमिरी क्षेत्र के एक बहुत चर्चित महाशक्ति बस प्रकरण में इसकी भूमिका पूरी तरह से संध्यास्पद है, उसे पूरे प्रकरण में कथित तौर पर पूरा दिमाग पूरा मार्गदर्शन बस संचालक को इसी अधिकारी ने दिया था और इसी के मार्गदर्शन पर उक्त बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया जब मामला उजागर हुआ तो यह इसके विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध करने की बात होने लग गई तो उस दौरान यह 6 महीना फरार भी था,महाशक्ति बस संचालक और यह अधिकारी की आपसिक सहमति से ही करीब 38 लाख रुपए फर्जी भुगतान कर दिए गए थे,दूसरी फाइल भी इसी तरह की फाइनेंस से इसी के टेबल से गुजरी और बिना कुछ कमी निकाले हुए पास कर दी गई थी और अंत में जाकर अकाउंट में वह फाइल पकड़ाई, बड़ा ईमानदार बनने वाला और बड़ा ऑडिट करने वाला अधिकारी इतना ही ईमानदार था तो यह दो फाइलें उसके टेबल से कैसे निकल गई, खबर यह भी है कि इसकी चिरमिरी कार्यालय में नियुक्ति के बाद जो भी फाइल में पास की गई है उनकी जांच पड़ताल की जाए तो इस अधिकारी के मार्गदर्शन में कंपनियों से कई करोड़ रुपए करीबी ठेकेदारों और सप्लायरों को फर्जी ढंग से भुगतान करा दिए गए हैं, जिसकी जांच कंपनी हित में नितांत आवश्यक है स्थानीय श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी ने इसकी सीबीआई से शिकायत करने की बात कही है और उसके बाद जांच करने की मांग की है।


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