बैकुण्ठपुर@क्या बिल्डर से जमीन खरीदना ही बन गई है अग्रवाल सिटी में निवासरत लोगों की परेशानी की वजह?

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रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,14 अप्रैल 2024(घटती-घटना)। कभी-कभी अजीबोगरीब परेशानियों से लोगों को दो चार होना पड़ता है कुछ ऐसा ही कोरिया जिले के बैकुंठपुर नगर पालिका के महलपारा स्थित अग्रवाल सिटी में जमीन लेकर घर बनाने वाले लोगों के साथ हो रहा है, उन्हें भी कुछ अजीबोगरीब परेशानी से दो-चार होने की मजबूरी आन पड़ी है, समस्या यह है कि आखिर उनकी परेशानी का दोषी कौन है? यह परेशानी काफी पुरानी है और उस समय की है जब भाजपा की ही सरकार थी प्रदेश में और बिल्डर का राजनीतिक व प्रशासनिक रिश्ते मधुर थे तत्कालीन भाजपा सरकार में जिम्मेदार लोगों से, पर अचानक सरकार बदली और बिल्डर का राजनीतिक व प्रशासनिक रिश्ता खराब हो गया बदली हुई सरकार के जिम्मेदार लोगों से, और इसके बाद उसके साथ कई लोगों की समस्या भी बढ़ गई, मामला काफी लंबा हो चुका है पर समस्याओं पर यदि गौर करें तो आज भी यह समझना जरूरी है कि दोषी कौन है? जिस समय छोटे-छोटे टुकड़ों में महलपारा रोड पर स्थित अग्रवाल सिटी का एक बहुत बड़ा भूखंड बिक रहा था और लोग कलेक्टर के परमिशन पर उस भूखंड को खरीद रहे थे,क्या उस समय लोगों से गलती हो गई कि उन्होंने गलत व्यक्ति से जमीन खरीद ली और यदि गलत व्यक्ति से जमीन खरीद ली तो आखिर उस व्यक्ति को जमीन बेचने की अनुमति किसी गलत कलेक्टर ने दी? जब जमीन गलत तरीके से बिकी तो फिर उसका डायवर्सन कैसे हुआ और फिर नगर पालिका ने कई लोगों को भवन निर्माण की अनुमति निर्धारित कर लेकर कैसे दिया? जब यह सब चीज हो गई वहां पर रहने वाले कई लोगों को जिला प्रशासन ने जमीन का भूमि परिवर्तन की अनुमति दी तो वही नगर पालिका ने भवन निर्माण करने की अनुमति दी तब तक क्या सब कुछ लीगल था? जैसे ही सत्ता परिवर्तन हुआ उसके बाद जब बिल्डर की राजनीतिक व प्रशासनिक दुश्मनी शुरू हुई तो वहां पर रहने वाले लोगों का दोष क्या था कि उन्होंने जमीन उस व्यक्ति से क्यों खरीदी जिसकी तत्कालीन व्यवस्था के प्रमुख लोगों से जम नही रही है?
अग्रवाल सिटी में रहने वाले लोगों के मुताबिक उनका कहना है कि भूमि के दस्तावेज प्रशासन से ही उपलध हुए हैं, जैसा घर बनाने के लिए नियमों का पालन किया जाता है वैसा उन्होंने पालन भी किया है, भूमि खरीदी डायवर्सन कराया और नगर पालिका से भवन बनाने की अनुमति मिली यहां तक की घर बनाने के लिए लोन भी लिया तब तक सब कुछ सही था, वहां पर बिजली देने की बात हो रही थी यहां तक की स्थाई कनेक्शन भी उस समय दिए गए थे और खंभा लगाने की बात चल रही थी पर अचानक ही साा परिवर्तन के बाद जो स्थाई कनेक्शन दिए गए थे उसे भी अस्थाई कर दिया गया यह कहकर की खंभे से दूरी बहुत है, जब 200 व्यक्ति वहां पर अब लगभग रहने लगे हैं तो क्या नगर पालिका का दायित्व नहीं बनता कि वहां तक खंभा पहुंच जाए? और लोगों को बिजली का स्थाई कनेक्शन मुहैया कराया जाए? क्या उनकी जिम्मेदारी सिर्फ उन लोगों से कर वसूली तक है? और चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का उन लोगों से वोट लेने तक का रिश्ता है? बाकी उसके बाद की समस्या उनकी? स्थाई कनेक्शन पाकर भी लोग खुश थे पर जब बिल्डर और राजनीतिक व प्रशासनिक द्वेष बढ़ा तो सारी चीज अस्थाई हो गई दुश्मनी बनाने वालों ने बिल्डर के साथ-साथ वहां पर रहने वाले लोगों से भी दुश्मनी बनाई, जबकि वह रहने वाले शहर की सरकार भी वह तय करते हैं विधानसभा से लेकर लोकसभा तक अपना प्रतिनिधित्व चुनने की जिम्मेदारी निभाते हैं पर जिन्हें चुनकर लाते हैं वह उनके लिए कुछ नहीं कर पाते फिर इसमें दोष किसका है?
नगर पालिका ने नहीं दिया स्वयं लोगों ने जाकर बिजली ऑफिस में दिया आवेदन और निर्धारित शुल्क पटाया फिर भी नहीं मिल रही स्थाई बिजली की सुविधा
स्थाई बिजली कनेक्शन के लिए अग्रवाल सिटी के निवासियों ने स्वयं बिजली ऑफिस जाकर आवेदन दिया और स्थाई बिजली कनेक्शन की उन्होंने ने मांग की फिर भी उन्हे स्थाई बिजली कनेक्शन नहीं मिला जो यह बताने के लिए काफी है की बिजली विभाग अग्रवाल सिटी के लोगों से कितना खफा है। वैसे सभी दस्तावेजों के साथ निर्धारित शुक्ल के साथ आवेदन करने पर बिजली कनेक्शन दिए जाने का नियम है वहीं बैकुंठपुर में नगर पालिका की अनुमति बिना भी कई कनेक्शन जारी हैं जो यह साबित करने के लिए काफी हैं की अग्रवाल सिटी के रहवासियों के लिए ही बिजली विभाग का रुख शख्त है।
आखिर दोष किसका है जिसकी वजह से सफर कर रहे हैं अग्रवाल सिटी में रहने वाले लोग?
अग्रवाल सिटी में रहने वाले लोग बिजली कनेक्शन के लिए लगातार सफर कर रहे हैं, वह अस्थाई कनेक्शन लेकर अपना काम चला रहे हैं, अब इस मामले में दोष किसका है यह बड़ा सवाल है। जब जमीन बिक रही थी तब लोगों ने जमीन खरीदी, राजस्व अधिकारियों कर्मचारियों से सत्यापित दस्तावेजों के आधार पर जब जमीन खरीदने वालों ने यह तय कर लिया की सब कुछ सही है जमीन मामले में तब उन्होंने जमीन क्रय किया अब जब सभी तरफ से जांच परख कर और सभी कुछ सही पाए जाने पर उन्होंने जमीन खरीद ली घर बना लिया वह बिजली के स्थाई कनेक्शन के लिए परेशान हैं। क्या इसमें उनका ही दोष है यह बड़ा सवाल है क्योंकि वह तो रहने के लिए केवल एक टुकड़ा जमीन खरीद लिए हैं जहां वह घर बना चुके हैं और अब उन्हे वहां बिजली का कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है उनसे पता नही किस बात की दुश्मनी भजाई जा रही है?
लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की तैयारी में अग्रवाल सिटी में निवासरत लोग
बताया जा रहा है की अब अग्रवाल सिटी में रहने वाले लोग लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने वाले हैं। वह अपनी समस्या को लेकर इतने परेशान हो चुके हैं की वह अब इसी तरह विरोध दर्ज कर अपनी समस्या से सभी को अवगत कराना चाहते हैं जिससे जिम्मेदार लोगों का वह ध्यान आकर्षित कर सकें। वैसे अग्रवाल सिटी के रहवासियों की समस्या नेताओं ने भी हल नहीं की और उन्होंने इसीलिए ऐसा एक विचार किया है जिसमे वह लोकसभा चुनाव के बहिस्कार का ऐलान कर सकते हैं जिसके बाद उन्हें लगता है की जिम्मेदार उनकी सुनने जरूर पहुचेंगे और उनकी समस्या दूर होगी।
जब पहले दिया गया था स्थाई कनेक्शन तो फिर उसे किसी अधिकारी ने कर दिया अस्थाई?
बताया जाता है की अग्रवाल सिटी के लोगों को पहले स्थाई बिजली कनेक्शन प्रदान कर दिया गया था लेकिन बाद में उसे अस्थाई कनेक्शन में बदल दिया गया। अब सवाल यह उठता है की किस अधिकारी ने ऐसा किया किसके कहने पर ऐसा हुआ जब पहले कनेक्शन जारी किया गया स्थाई तब जांच में सब कुछ सही रहने पर ही स्थाई कनेक्शन दिया गया होगा फिर अचानक कैसे कमी मिली यह एक बड़ा सवाल है?
बिजली विभाग बैकुंठपुर के अधिकारी की भी मनमानी काम नहीं
बिजली विभाग बैकुंठपुर के पास लगातार अस्थाई कनेक्शन के लिए लोग दौड़ लगा रहे हैं पर बिजली विभाग के अधिकारी अपने आप को न जाने क्या समझ बैठे हैं कि उन्हें नियम कायदा कानून ज्यादा बता रहे हैं और काम करना उनका ध्याय नहीं है जैसा-जैसा उन्होंने लोगों को बताया लोगों ने वैसा वैसा किया फिर भी बिजली विभाग वहां पर बिजली का खंभा नहीं लग रहे और नहीं स्थाई कनेक्शन दे रहा है जबकि सारे दस्तावेज लोगों ने बिजली विभाग को दे दिए हैं साथ ही उनके द्वारा जो निर्धारित खंबे का शुल्क मांगा गया था वह भी चुका दिया गया है फिर भी बिजली विभाग का अधिकारी अपने आप को इतना बड़ा अधिकारी समझ बैठा है कि लोगों की समस्या से कोई लेना देना नहीं है जबकि निवासरत लोग फ्री में बिजली नहीं मांग रहे आखिर बिजली का वह बिल भी भुगतान करेंगे फिर क्या जिम्मेदारों को स्थाई बिजली कनेक्शन लोगों को मुहैया कराना हाथ पांव क्यों फूल रहे?


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