बिना तेल के नौ दिनों तक जलती हैं ज्योति
गरियाबंद,09 अप्रैल 2024 (ए)। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। इन रहस्यों के कारण ही ये मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। ऐसे ही एक छत्तीसगढ़ में अनेकों प्राचीन मंदिर हैं के बारे में हम आपको बताने जा रहे है। जो लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ हैं। चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी हैं। माता को देखने उनसे बात करने को लोग माता दुर्गा के प्राचीन मंदिर पहुँचते हैं। इसी कड़ी में बता दें कि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर निरई माता का मंदिर स्थित है।
आमतौर पर मंदिरों में जहां दिन भर देवी-देवताओं की पूजा होती है, तो वहीं निरई माता का मंदिर साल में एक बार चैत्र नवरात्र के प्रथम रविवार को सिर्फ 5 घंटे के लिए यानी सुबह 4 बजे से 9 बजे तक माता के दर्शन किए जा सकते हैं। बाकी दिनों में यहां आना प्रतिबंधित होता है।
दूसरे राज्य से भी मातारानी के
दर्शन को आते हैं श्रद्धालु
इस दिन यहां भक्तों का मेला लगता है। श्रद्धालु दूर-दूर से छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्य से भी मातारानी के दर्शन को आते हैं। साथ ही यहां महिलाओं के लिए भी कई खास नियम बनाए गए हैं।
अपने आप ही ज्योति होती है प्रज्जवलित
कहते हैं कि निरई माता मंदिर में हर साल चैत्र नवरात्र के दौरान अपने आप ही ज्योति प्रज्जवलित होती है। यह चमत्कार कैसे होता है, यह आज तक पहेली ही बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि यह निरई देवी का ही चमत्कार है कि बिना तेल के ज्योति नौ दिनों तक जलती रहती है।
महिलाओं को निरई माता मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं
निरई माता मंदिर में महिलाओं को प्रवेश और पूजा-पाठ की इजाजत नहीं है। यहां सिर्फ पुरुष ही पूजा-पाठ की रीतियों को निभाते हैं। महिलाओं के लिए इस मंदिर का प्रसाद खाना भी वर्जित है। कहते हैं कि महिलाएं अगर मंदिर का प्रसाद खा लें तो उनके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है।
ग्रामीण बताते है कि लोग माता के दर्शन को लालायित रहते हैं। भक्त निरई माता की जयकारे के साथ ऊंची पहाड़ी पर चढ़ते हैं। निरई माता निराकार हैं। जिसका कोई आकार नहीं, निरंक है। निरई माता के मंदिर में सिंदूर, सुहाग, श्रृंगार, कुमकुम, गुलाल, बंदन नहीं चढ़ाया जाता है।