नई दिल्ली,@हिन्दू पूजा-पाठ विरोधी याचिका खारिज

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नई दिल्ली, 01अप्रैल 2024 (ए)।
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदू पूजा-पाठ पर रोक लगाने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार खारिज कर दी। यह याचिका ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूजा और नमाज अपनी-अपनी जगह जारी रहें।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर हिंदुओं द्वारा धार्मिक अनुष्ठानों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया था। ज्ञानवापी मामले पर वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वाराणसी डिस्टि्रक्ट कोर्ट में व्यास परिवार द्वारा दायर आवेदन में 31 जनवरी 2024 से व्यास का तहखाना में पूजा करने की मिली अनुमति का विरोध किया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया।
वकील ने बताया कि अंजुमन इंतजामिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने एक नोटिस जारी किया है और हमें 30 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज की तारीख की स्थिति बरकरार रखने को भी कहा है… सुप्रीम कोर्ट ने व्यास का तहखाना पर होने वाली प्रार्थनाओं पर कोई रोक नहीं लगाई है।


सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि 17 जनवरी और 31 जनवरी के आदेशों के बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा नमाज निर्बाध रूप से पढ़ी जाती है और हिंदू पुजारी द्वारा पूजा की पेशकश तहखाना के क्षेत्र तक ही सीमित है। इसलिए इसे यथास्थिति बनाए रखना उचित है। ताकि दोनों समुदायों को उपरोक्त शर्तों के अनुसार पूजा कर सकें।


दरअसल, अगस्त 2021 में वाराणसी की एक निचली अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में श्रृंगार गौरी और कुछ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन की अनुमति की मांग वाली याचिका दायर हुई। दावा किया गया कि देवी-देवता प्लॉट नंबर 9130 में मौजूद हैं, जो विवादित नहीं है। सर्वे कराके पूरे मामले को सुलझाने की मांग उठी। करीब 8 महीने बाद अप्रैल, 2022 को कोर्ट ने सर्वेक्षण करने और उसकी वीडियोग्राफ्री के आदेश दे दिए। ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति मस्जिद इंतजामिया ने कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसे अदालत ने नामंजूर कर दिया। सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने में एक ऐसी आकृति मिली है, जिसके शिवलिंग होने का दावा किया गया। इसके बाद, मस्जिद को सील कर दिया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज जारी रखने जाने का आदेश सुनाया। यह कोई पहली बार नहीं था कि ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ को लेकर विवाद समाने आया हो। इससे पहले, साल 1991 में एक मामला दर्ज हुआ था। जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद जहां बनी है, वो काशी विश्वनाथ की जमीन है। इसलिए मुस्लिम धर्मस्थल को हटाकर, उसका कब्जा हिंदुओं को सौंपा जाए।


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