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अंबिकापुर@होली त्योहार की तैयारी में फूल-सçजयों से बनाए जा रहे हर्बल रंग-गुलाल

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– संवाददाता –
अंबिकापुर,21 मार्च 2024 (घटती-घटना)।
होली त्योहार का मात्र अब पांच दिन ही शेष बचे हैं। होली की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। होली में रंग-गुलाल का विशेष महत्व होता है। इसके बिना होली नहीं मन सकती है। रंग-गुलाल केमिकल युक्त नहीं होना चाहिए। केमिकलयुक्त रंग-गुलाल से सहत पर असर पड़ सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए सरगुजा के स्वयं सहायत समूह की महिलाएं फूलों-सçजयों से गुलाल बनाने का काम कर रही हैं। पालक भाजी और पलाश के फूलों से बनाए जा रहे जैविक रंग त्वचा के लिए भी लाभदायक होंगे। इस हर्बल गुलाल से त्वचा का नुकसान नहीं होगा।
अंबिकापुर से लगे ग्राम डिगमा के स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। महिलाओं का कहना है कि केमिकल युक्त रंगों से आंखों की एलर्जी,त्वचा में जलन सहित अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। रंग व गुलाल को बनाने के लिए गेंदा फूल, पलाश फूल चुकंदर, पालक भाजी- हल्दी सहित अन्य सçजयों व हरे पतियों का उपयोग किया जाता है। वहीं इसे सुगंधित करने के फूलों और गुलाब जल इत्यादि का प्रयोग किया है। इस तरह इन्हें वांछित रंग के गुलाल के आधार के साथ मिलाकर दो से तीन दिनों के लिए धूप में सुखाकर बारीक मिश्रित किया जाता है। इस तरह कई प्रक्रियाओं से तैयार गुलाल अब बाजार में बिकने के लिए तैयार हो चुका है। विशेष बात यह है कि महिलाएं प्राकृतिक हर्बल गुलाल बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया है। महिलाएं केवल यूटूब से देखकर बनाने की प्रक्रिया सिखीं हैं।


हर्बल गुलाल की मांग काफी है। इसलिए आमदनी भी अच्छा होने की उम्मीद है। समूह महिलाओं बताया कि हमारे द्वारा पचास किलो हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है और बाजार में गुलाल की काफी डिमांड भी रहती है साथ ही सदस्यों ने बताया कि हर्बल गुलाल के पैकेट बाजार में आसानी से बिक जाते हैं। वहीं कृषि अनुसंधान केन्द्र अंबिकापुर द्वारा भी समूह की महिलाओं की मदद की जा रही है।


स्व सहायत समूह की महिलाओं ने बताया कि नेचुरल तरीके से हर्बल गुलाल बनाने के लिए पालक- लाल भाजी, हल्दी, आरा रोट व फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं मंदिरों में भगवान पर चढ़े फूलों का भी हमलोग जमा कर रंग व गुलाल बनने के लिए उपयोग करते हैं। इस बार भी लगभग पचास किलोग्राम गुलाल तैयार कर लिया गया है। जो कि अब बाजार में बिकने को तैयार है।


कृषि अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों राजेश चौकसे ने बताया कि पूरी प्राकृतिक तरीके से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। इनमें किसी भी तरीके का कोई कैमिकल उपयोग में नहीं लिया जाता है। फूलों और हरी सçजयों का उपयोग कर हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। इससे त्वाचा का नुकसान नहीं होता है।


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