- कलेक्टर कोरिया के कार्यालय में जांच अधिकारी के सामने बैठकर क्या पूर्व डीपीएम अपना जांच प्रभावित कर लेंगे?
- तय है जांच को जिला प्रशासन करेगा प्रभावित
-रवि सिंह –
कोरिया/सूरजपुर,19 मार्च 2024 (घटती-घटना)। क्या कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रभारी डीपीएम के प्रभाव में पूरा प्रशासन सहित जनप्रतिनिधि हैं, सभी उनके सामने नतमस्तक हैं? यह काफी महत्वपूर्ण सवाल है क्योंकि यह सवाल कोरिया के पूर्व प्रभारी डीपीएम से जुड़ा हुआ है प्रभारी डीपीएम का प्रभाव इतना है की जांच प्रभावित होना तो तय माना जाएगा, क्योंकि सूरजपुर जिले में पदस्थापना लेने के बावजूद भी कोरिया कलेक्टर कार्यालय में गठित जांच अधिकारी के सामने बैठकर जांच करवा रहे हैं, अब ऐसे में जांच निष्पक्ष कैसे होगी यह बड़ा सवाल है? जहां प्रभारी डीपीएम को अपने कार्य स्थल सूरजपुर में होना चाहिए, वहां पर कुछ समय ही दे रहे हैं बाकी समय आज भी वह कोरिया में रहकर अपने खिलाफ हो रही जांच को प्रभावित करने में दे रहे है, ऐसे में जांच प्रभावित होना तय है ऐसा माना जा रहा है क्योंकि कलेक्टर भी अपनी आंख उनके लिए बंद कर चुके हैं?
विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोरिया के पुर्व डीपीएम सुरजपुर छोड़ ज्यादा समय कोरिया में घूमते नज़र आ रहे है ज्यादा समय वो दिन में कलेक्टर कार्यालय में देखे जा सकते है। मंगलवार को काफी समय तक कलेक्टर द्वारा बनाई जांच समिति के जांच अधिकारी विनय कुमार कश्यप के चेम्बर में बैठे नजर आए डॉक्टर प्रिंस जायसवाल। कोरिया जिले में अक्टूबर 2022 से अब तक स्वास्थ्य विभाग के रेगुलर और एनएचए मद में बड़ा घोटाला हुआ है, परंतु जिला प्रशासन ने कई शिकायतों के बाद भी जांच नही करवाई, कांग्रेस सरकार में स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटालों की जांच नही की गई, सरकार बदली भाजपा की सरकार आई, परंतु जिला प्रशासन ने तमाम शिकायतों की जांच की और कुछ नही हुआ, तब वर्तमान मुख्यमंत्री से शिकायत कीं गई जांच के लिए एनएचएम के डायरेक्टर को निर्देश दिए गए और डायरेक्टर ने वापस कलेक्टर कोरिया को निर्देशित कर दिया, जबकि शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री से मांग की कि उनकी शिकायत की जांच जिला प्रशासन से नही करवाई जाए क्योंकि डीपीएम के बारे में हर कोई जानता है कि वो कलेक्टर कोरिया का खास है एकदम करीबी है, इधर कलेक्टर ने जांच में ऐसे अधिकारी को नियुक्त कर दिया जो कांग्रेस शासनकाल में विधायकों के खास थे जिन्हे लेकर पक्ष विपक्ष दोनों ने आंदोलन किया था वहीं उन्हे जांच अधिकारी बनाने के पीछे की वजह यह है ताकि जांच से डीपीएम को बचाया जा सके, और यह बात सही भी हो रही है, जिसकी जांच जो जांच अधिकारी कर रहा है वो उसी के चेम्बर में मंगलवार को 4 बजे से 6 बजे तक बैठा रहा और जांच को प्रभावित कर रहा है।
सोमवार को पहुंच गया सिटी स्कैन मशीन कक्ष में
विश्वस्त सूत्रों की माने तो सोमवार को एसडीएम बैकुण्ठपुर जिला अस्पताल में स्थित सिटी स्कैन मशीन के कक्ष में पहुंची, पीछे से सुरजपुर डीपीएम भी तुरंत पहुंच गए एसडीएम ने उससे पूछा भी आप कब जाओगे सुरजपुर तो उसने तपाक से कहा कि मैं 12 बजे सुरजपुर जाता हूँ। जानकारों कीमानें तो आप एक संविदा कर्मचारी की पहुंच का अंदाजा लगा सकते हैं। कहने तो उन्हें सुरजपुर में भेजा गया है पर अधिकारियों की चाटुकारिता करके कैसे भी अपनी जांच को प्रभावित कर रहा है। औऱ इसमे उसका साथ जिला प्रशासन दे रहा है।
जांच में ड्रग कंट्रोलर नही रखा गया
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर आई जांच में कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई जिसमे डिप्टी कलेक्टर विनय कश्यप, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी ए एन सिंह और जिला कोषालय अधिकारी को टीम में रखा है, जबकि कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग की और छोटी से छोटी जांच में ड्रग कंट्रोलर को भी टीम में रखा था पर इस जांच में जिसमे करोड़ो का घोटाला तमाम दवाओं की खरीदी की गई है उंसमे ड्रग कंट्रोलर नही रखा जाना जानबूझकर जांच प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
जांच अधिकारी दोस्त
पूर्व डीपीएम डॉ प्रिंस जायसवाल से जांच अधिकारी विनय कश्यप की बढि़या दोस्ती है, वही जिला आयुर्वेद अधिकारी ए एन सिंह से सीएमएचओ डॉ सेंगर का व्यबसायिक रिश्ता है, डॉ सेंगर निजी आंख के ऑपरेशन महलपारा स्थित क्लीनिक में करते है, सीएमएचओ और पूर्व डीपीएम की जांच के लिए आई जांच सीएमएचओ की ही नोटशीट पर मनमर्जी जांच टीम बनाकर जांच को प्रभावित किया जा रहा है।
कलेक्टर कार्यालय का सीसीटीवी फुटेज भी देखा जा सकता है
कलेक्टर कार्यालय में सीसीटीवी लगा हुआ है,डॉक्टर प्रिंस जायसवाल कब-कब जांच के दौरान जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे किस-किस अधिकारी के चेंबर में वह दाखिल हुए कितने समय बाहर निकले यह सीसीटीवी फुटेज देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। वैसे डॉक्टर प्रिंस जायसवाल के जांच मामले में यह फुटेज भी देखना चाहिए क्योंकि खुद को पाक-साफ बताकर लोगों को कानूनी नोटिस भेजने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति के द्वारा किस तरह प्रभाव का उपयोग करते हुए अपने खिलाफ हो रही जांच को प्रभावित करने का काम किया जा रहा है और जिसमे जांच अधिकारी सहित वरिष्ठ अधिकारी भी उसका साथ दे रहे हैं। वैसे यदि सीसीटीवी फुटेज देखी जाए तो निश्चित रूप से मामले में देखा जायेगा की कैसे स्वास्थ्य विभाग को दीमक की तरह चाट चुके एक उसकी उन्नति का जिम्मा सम्हालने वाले को अब खुद को बचाने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
जांच प्रभावित करने के उद्देश्य मुख्य बिंदु
हाल में कलेक्टर द्वारा जेडीएस की जांच करवाई जा रही थी जिसमे ड्रग कंट्रोलर को शामिल किया था जबकि बमुश्किल 20 लाख रुपये का लेनदेन होगा, और इधर करोड़ो के लेनदेन में ड्रग कंट्रोलर को जांच में शामिल नही करना सीधे सीधे जांच प्रभावित करने की मंशा बताई जा रही है।