नगालैंड से हटाने की क्यों हो रही मांग,हटा
तो आम लोगों की जिंदगी में क्या फर्क आएगा ?
अफस्पा नगालैंड के मोन जिल में 4-5 दिसंबर की घटना के बाद से ही सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम
यानी अफस्पा हटाने की आवाजें तेज हो गई हैं. अब केंद्र सरकार का भी नगालैंड से अफस्पा हटाने पर विचार है
नई दिल्ली,27 दिसंबर 2021 (ए)। नगालैंड में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम यानी अफस्पा को हटाने पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने का फैसला लिया गया है. इसी महीने 4-5 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में हुई घटना के बाद अफस्पा को हटाने की मांग तेज हो गई थी. अब अफस्पा को नगालैंड से हटाने पर विचार करने के लिए जिस समिति को बनाया गया है, उसमें 5 सदस्य होंगे. इसकी अध्यक्षता गृह मंत्रालय के सचिव स्तर के अफसर विवेक जोशी करेंगे.
गृह मंत्रालय के मुताबिक, इस समिति में नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी सदस्य होंगे. इसमें असम रायफल्स के आईजी (उत्तरी) और सीआरपीएफ के एक प्रतिनिधि सदस्य भी होंगे. ये समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.
क्या होता है अफस्पा ?
अफस्पा को अशांत इलाकों में लागू किया जाता है. ऐसे इलाकों में सुरक्षाबलों के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत होती है और कई मामलों में में बल प्रयोग भी किया जा सकता है. पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की मदद करने के लिए 11 सितंबर 1958 को इस कानून को पास किया गया था. 1989 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया. अब ये अशांत क्षेत्र कौन होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है. अफस्पा केवल अशांत क्षेत्रों में ही लागू होता है.
नगालैंड में क्यों हो रहा है इसका विरोध ?
नगालैंड के मोन जिले में स्थित ओटिंग के तिरु में 4 दिसंबर को सेना के जवानों ने गोलीबारी की. सेना ने उग्रवादियों के शक में खदान से लौट रहे मजदूरों पर गोलियां चला दीं. इस गोलीबारी में उसी वक्त 6 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया. जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में और कुछ लोग मारे गए. इस पूरी घटना में कुल 14 आम नागरिकों की मौत हो गई. इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बयान देते हुए कहा था कि ये घटना गलत पहचान की वजह से हुई. इस घटना के बाद से ही नगालैंड से अफस्पा हटाने की मांग तेज गई. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने भी अफस्पा हटाने की मांग की है.