कागज और किस्तों के जाल में अधूरा है गरीब का आशियाना पर जानकारी लेने वाला कोई नहीं
-रवि सिंह-
चिरिमिरी,15 मार्च 2024 (घटती-घटना)। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जरूरतमंदों को पक्के आवास देने को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं। लेकिन इन दावों के बीच नगर निगम चिरमिरी के वार्ड क्रमांक 2 में एक ऐसा परिवार भी है जो शौचालय में रहने को मजबूर है। सुनने में बेशक यह अटपटा लगे लेकिन यह सच्चाई है। जो आवास योजना के सारे दावों की पोल खोल रहा है।
मामला नगर निगम चिरमिरी के वार्ड क्रमांक 2 में गाड़ा बुडा का है। यहां करीब 15 साल से एक परिवार निगम के बंद पड़े सुलभ शौचालय में निवास कर रहा है। यह इस परिवार का शौक नहीं बल्कि मजबूरी है। वजह है परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाला घर सरकारी नियमों और कागजों की पेच में फंसा हुआ है। परिवार के पास वर्तमान में खुद की जमीन पर एक कच्चा घर है। जिसमें माता-पिता बहन सहित अन्य लोग रहते हैं। क्योंकि कच्चा घर छोटा है और उसके छप्पर में कई जगह दरार है। इस कारण मजबूरी में यह परिवार निगम के बंद पड़े सुलभ शौचालय में निवास करने को मजबूर है। ऐसा नहीं है कि निगम के अधिकारी और आवास योजना के इंजीनियर इस बात से अनजान है। जिस सुलभ शौचालय में यह परिवार निवास कर रहा है वह नगर निगम कार्यालय से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। आश्रितों का कहना है कि निगम के अधिकारियों और स्थानीय पार्षद को कई बार परेशानी की दुहाई दे चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। 15 साल से शौचालय में निवासरत हैं तो अब निगम से सहायता मिलने की उम्मीद भी नहीं है।
योजना की किस्त पूरी नहीं मिली
ऐसा नहीं है कि परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास नहीं मिला। आवास तो मिला है पर उसकी छत गायब है। अब परिवार आवास की छत के लिए इंतजार कर रहा है। दरअसल परिवार को आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत होने के बाद एक किस्त जारी की गई थी। परिवार की रैमूनिया बताती है कि एक किस्त मिलने के बाद डोर लेवल तक आवास का निर्माण कराया गया इसमें किस्त कम पड़ने के कारण परिवार ने अपनी जमा पूंजी भी लगा दी। अब दूसरे किस्त के इंतजार के दौरान ही निगम के इंजीनियर ने कहा कि छत ढलाई करो तभी दूसरा किस्त दिया जाएगा। चूंकि परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह छत ढलाई कर सके इस कारण आवास योजना आज तक अधूरा पड़ा है। परिवार की अनीता बताती है कि पिछले 15 सालों से वह निगम के शौचालय में ही निवास कर रही हैं। यहां पानी सड़क के दूसरे ओर से बर्तनों और डबे में लाया जाता है। वहीं बिजली के लिए अन्य साधनों पर आश्रित है। पिछले 15 सालों में कोई सुध लेने नहीं आया इस कारण अब लोगों को परेशानी बताना भी छोड़ चुकी है।
आवास योजना में ही गड़बड़ी
नगर निगम चिरमिरी क्षेत्र में बनाए गए प्रधानमंत्री आवासों में गड़बड़ी होने की बात सामने आ रही है। यहां कुछ मकान निर्माण अधीन है तो कुछ कागजों पर ही पूरे कर लिए गए हैं। कई मकानों में लाल ईंट का प्रयोग किया गया है। कुछ की किस्त तो कुछ कागजों के पेच में फंसे हुए हैं। शौचालय में आश्रित परिवार का प्रधानमंत्री आवास भी अधूरा पड़ा हुआ है। आवास की खिड़की की ग्रिल और दरवाजे एक ओर रखे हुए हैं। निर्माण के लिए बालू एक और रखी हुई है केवल बीम और कॉलम के सहायता से स्ट्रख्र को खड़ा कर ईंट की दीवार बनाई गई है। परिवार अब भी छत ढलाई का इंतजार कर रहा है।
परेशानियां किसे सुनाएं
निगम के जिस सुलभ शौचालय में यह परिवार निवास कर रहा है वह करीब 15 साल से बंद पड़ा था। इस शौचालय में प्रवेश करते ही सामने खाना बनाने के लिए मिट्टी का चूल्हा दिखता है। कमरे के एक ओर बच्चों की किताबें तो वहीं दूसरी ओर सोने के लिए बिस्तर लगाया हुआ है। इस परिवार में सदस्यों ने इसे ही अपना आशियाना बनाया हुआ है। यहां ना तो बिजली की उचित व्यवस्था है और ना ही पानी की बावजूद इसके परेशानियों के बीच परिवार यहां बसेरा बनाए हुए हैं। परिवार के सदस्यों का कहना है कि अपनी परेशानियां किसे सुनाए कोई सुनने को नहीं आता।