बैकुण्ठपुर@क्या अब प्रभारी डीपीएम के बाद सीएमएचओ को सिविल सर्जन का प्रभार दे किया जाएगा पुरस्कृत?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,28 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ ए के करन 29 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं,उनके सेवानिवृत्त होने के बाद एक बार फिर जिला प्रशासन कई भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए वर्तमान सीएमएचओ डॉ आरएस सेंगर को प्रभार देने की तैयारी में है। जबकि एक माह के चार्ज में रहते सीएमएचओ ने जीवनदीप समिति में बिना विज्ञापन कई चहेतों की नियुक्तियां कर डाली थी, जिला प्रषासन के खास बने हुए प्रभारी डीपीएम के एकदम खास बने सीएमएचओ पर शिकायत के बाद भी किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है। कोरिया जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लडखड़ाई हुई है। एक मात्र जिला अस्पतल बैकुंठपुर में सीएमएचओं और प्रभारी डीपीएम को लेकर चिकित्सको ने मोर्चा खोला हुआ है ऐसे में वर्तमान सीएस डॉ ए के करन 29 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, सीएस के प्रभार पर सीएमएचओ की नजर काफी समय से गड़ी हुई है जैसा बताया जाता है पूर्व में जब डॉ ए के करन अपना इलाज करवाने बाहर गए थे, तब सीएस का प्रभार सीएमएचओ ने ले लिया था और उनके वापस आने के बाद भी प्रभार नहीं दे रहे थे, जिसके बाद वर्तमान विधायक भइयालाल राजवाडे ने स्वास्थ्य संचालक से बात की थी स्वास्थ्य संचालक की फटकार के बाद सीएमएचओ ने सीएस का प्रभार तो डॉ ए के करन को सौप दिया था, वहीं इसके तुरंत बाद कलेक्टर कोरिया से जीवन दीप समिति की जांच शुरू करवा दी, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कराई जा रही जांच पर सरकार के आला अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों ने हैरानी जताई थी और जांच आई गयी हो गयी, परन्तु जिला अस्पताल की कुर्सी पर सीएमएचओ नजर गडाए हुए हैं कांग्रेस सरकार से पदस्थ सीएमएचओ खुद को आरएसएस का करीबी बताकर अब भाजपाई बन गए हैं बताया जा रहा है कि उन्हें जिला अस्पताल का प्रभार फिर सौंपे जाने के लिए जिला प्रषासन तैयारी कर रहा है।
भ्रष्टाचार की लगातार इबारत लिखने वाले सीएमएचओ पर जिला प्रशासन है मेहरबानःसूत्र
कोरिया जिले में डॉक्टर एस एल चावड़ा के बाद कोई भी ऐसा सीएमएचओ नहीं देखने को मिला जो स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर जिम्मेदारियों का निर्वहन करता रहा हो। कोरोना महामारी का काल कहें या फिर कांग्रेस शासनकाल का काल कोरिया जिले का स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार की नई नई इबारत लिखता रहा जिससे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी होती रही। जिला चिकित्सालय साथ ही जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था जहां बद से बदतर होती रही वहीं स्वास्थ्य विभाग में जिम्मेदारी निभा रहे जिम्मेदार मालदार होते रहे। कोरोना काल की एन एच एम की भर्तियां जिनमे जमकर भ्रष्टाचार हुआ,खरीदी जो होती रहीं जिनमे जमकर भ्रष्टाचार होता रहा वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल लगातार देखा जाता रहा। आज जिले में स्वास्थ्य सुविधा का हाल यह है की कोई भी ऑपरेशन छोटा हो या बड़ा जिला चिकित्सालय में तभी संभव हो पाता है जब स्थिति ऐसी होती है जब मरीज को कहीं भेजने से विलंब की बात सामने आती है वरना जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक भी निजी नर्सिंग होम में जाकर ऑपरेशन कर रहे हैं और मरीजों से शुल्क ले रहे हैं। कुल मिलाकर जिला चिकित्सालय यह तय मात्र कर रहा है की किसका इलाज किस निजी चिकित्सालय में होगा कौन सा ऑपरेशन किस अस्पताल निजी में होगा। स्वास्थ्य व्यवस्था का यह बुरा हाल सीएमएचओ की लापरवाही साथ ही उनकी भ्रष्टाचार में ही संलिप्त रहने के कारण है यह कहना गलत नहीं होगा।
एक महिने के कार्यकाल की हो जांच
सीएमएचओ डॉ आरएस सेंगर कुछ माह पूर्व एक माह तक जिला अस्पताल के सीएस के प्रभार पर थे, सूत्र बताते है कि इन्होनें 2018 के समय के रूके कई बिलों का भुगतान कर दिया और कई ऐसे लोगों की नियुक्तियां जीवनदीप में कर डाली जिनके परिवार के सदस्य पूर्व से ही जिला अस्पताल में कार्यरत है। नियुक्ति में किसी भी तरह का विज्ञापन जारी नहीं किया गया। यह भी बताया जा रहा है लगभग 12 से 15 नामों की सूची और तैयार है बस वो प्रभार के इंतजार में है यदि उन्हें प्रभार मिला और उनकी नियुक्ति भी वो तुरंत कर देगें। उनके एक माह के कार्यकाल की जांच की षिकायत भी हुई है परन्तु अब तक मामले की जांच शुरू नही हो सकी है।
क्या स्वास्थ्य विभाग के इस खेल में मंत्री की छवि धूमिल हो रही है जिसकी किसी को चिंता नहीं?
ज्ञात हो की प्रभारी डीपीएम डॉ. प्रिंस जयसवाल को पद से पृथक कर उसके खिलाफ जांच होनी थी पर जांच ना कर उसे फिर प्रभारी डीपीएम बनाकर सूरजपुर भेज कर उसे पुरस्कृत किया ही माना जा रहा है जिसके विरुद्ध जांच करनी थी उसे पर दया दृष्टि दिखाते हुए कोरिया से भी बड़े जिले का डीपीएम प्रभारी बना दिया गया, वही जो पहले से डीपीएम बनाकर भेजे गए थे वह आज भी अपना प्रभार के लिए भटक रहे हैं अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि उसे आदेश का क्या होगा जो पहले कोरिया जिले के लिए डीपीएम बनकर जिन्हें भेजा गया था? स्वास्थ्य विभाग में क्या खेल चल रहा है यह किसी से छुपा नहीं पर कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग के इस खेल में मंत्री की छवि धूमिल हो रही है जिसकी किसी को चिंता नहीं, अब सूत्रों की माने तो एक और स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी पुरस्कृत हो सकता है सीएमएचओ के साथ सिविल सर्जन भी उसे बनाया जा सकता है जिसकी तैयारी लगभग तय है बस आदेश निकलने का इंतजार है।
कोई भी चिकित्सक नहीं करता है सीएमएचओ से बात
सीएमएचओ और प्रभारी डीपीएम के खिलाफ जिला अस्पताल बैकुंठपुर के सभी चिकित्सकों ने स्वास्थ्य मंत्री को हटाए जाने का पत्र भेजा था, जिसमें 27 से ज्यादा चिकित्सकों के हस्ताक्षर थे, चिकित्सकों को समझाईशदेने के लिए जिला प्रशासन ने सभी की बैठक भी बुलाई थी, परन्तु चिकित्सकों ने सीएमएचओ और प्रभारी डीपीएम को लेकर किसी भी प्रकार की बात नहीं मानी है, और दोनों के बीच तकरार अब तक बरकरार है। तय है कि यदि सीएमएचओ को सीएस का प्रभार मिलता है और इसका नुकसान भोली भाली जनता को उठाना पड सकता है। चिकित्सकों के साथ सीएमएचओं के अच्छे रिष्तों होने के बाद ही जिला अस्पताल का सही संचालन हो पाएगा। जबकि दोनों को प्रश्रय देने वाले जिला प्रषासन को जनता के हितों से कोई लेना देना नही रहा है यह लगने लगा है और इसीलिए वर्तमान में जिला चिकित्सालय का हाल बेहाल है।


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