- हिंदी भाषी संपादक और जिला संवाददाता कैसे दें अंग्रेजी नोटिस का जवाब?
- भ्रष्टाचार मामले में डीपीएम स्वास्थ्य विभाग कोरिया के खिलाफ लगातार घटती-घटना में समाचार हो रहा है प्रकाशित
- समाचार से क्षुब्ध होकर डीपीएम संपादक सहित जिला प्रतिनिधि को भेज रहें हैं कानूनी नोटिस, बनाना चाह रहे हैं भय
- डीपीएम स्वास्थ्य विभाग कोरिया लगा रहें हैं पत्रकारों पर अवैध वसूली का आरोप वह भी समाचार प्रकाशित होने उपरांत
- आखिर पत्रकारों पर अवैध वसूली का तब ही क्यों लगाया जाता है आरोप जब समाचार हो जाता है प्रकाशित?
- समाचार प्रकाशित होने से पूर्व क्यों नहीं लगाया जाता अवैध वसूली का आरोप?
- कोरिया जिले के प्रभारी डीपीएम हैं यदि ईमानदार तो क्यों नहीं छोड़ रहे प्रभारी डीपीएम का पद,क्यों नहीं कार्यभार ग्रहण करने दे रहें हैं असल हकदार को?
- जिले के स्वास्थ्य विभाग में लगा रहे हैं लगातार सेंध,भ्रष्टाचार में गले तक डूबे हुए हैं प्रभारी डीपीएम, साबुत उबलब्ध न्यायालय में देगे जवाब
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर, 22 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में प्रभारी डीपीएम की जिम्मेदारी निभा रहे डॉक्टर ने जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगते रहे हैं और मामले सामने आते रहें हैं ने भ्रष्टाचार मामलों में समाचार प्रकाशन को लेकर दैनिक घटती-घटना हिंदी समाचार-पत्र के संपादक सहित जिला प्रतिनिधि को वकील के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजा है नोटिस भी उन्होंने अंग्रेजी भाषा में भेजा है जबकि दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र हिंदी भाषी समाचार-पत्र है और जिसके संपादक सहित जिला प्रतिनिधि भी हिंदी भाषी ही हैं। स्वास्थ्य विभाग कोरिया के प्रभारी डीपीएम सहित उनकी पत्नी की तरफ से अलग अलग नोटिस वकील के माध्यम से प्राप्त हुआ है ।
बता दें की स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार करते हुए प्रभारी डीपीएम अपना निजी नर्सिंग कॉलेज भी खोले बैठे हैं और जिसका संचालन उनकी धर्मपत्नी के नाम से होता है जबकि संचालन वह स्वयं करते हैं। वैसे जिले के प्रभारी डीपीएम को जिले के प्रभार से स्वयं हट जाना चाहिए था क्योंकि जिले में डीपीएम की पोस्टिंग हो चुकी है लेकिन अपनी ऊंची पकड़ और प्रभाव के बल पर वह अभी भी प्रभारी बनकर काम कर रहे हैं और जिनकी पदस्थापना हुई है उन्हे प्रभार न मिल सके इसका भरसक प्रयास कर रहे हैं। जिले में प्रभारी डीपीएम स्वास्थ्य विभाग को लगातार खोखला करते जा रहे हैं और भ्रष्टाचार का ऐसा इतिहास वह लिखने में लगे हुए हैं जिससे भविष्य में जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जायेगी और ठप्प हो जायेगी। प्रभारी डीपीएम के भ्रष्टाचार व अनियमिताएं की कारस्तानियों को लेकर घटती-घटना लगातार खबर प्रकाशित करता चला आ रहा था और अब जब उनकी पोल खुलने लगी है वह संपादक सहित जिला संवाददाता पर झूठा आरोप लगा रहे हैं नोटिस भेजकर डराने का प्रयास कर रहे हैं। दैनिक घटती-घटना समाचार पत्र लगातार भ्रष्टाचार और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाता रहता है साथ ही अपराधों के मामले में भी वह अपनी लेखनी से अपराधियों को अपराध से दूर रहने सचेत करता रहता है। जो विभाग के लिए जांच का विषय है और घटती घटना भी खबर प्रकाशित कर जांच की मांगा कर रहा है पर डीपीएम साहब जांच से घबरा रहे है, समाचारों को लेकर अनुचित किसी मांग या अवैध उगाही का कोई आरोप आज तक सत्य साबित नहीं हुआ जबकि कई बार आरोप लगे। वैसे समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित होने के बाद ही पत्रकारों पर अवैध उगाही का आरोप लगता है अवैध किसी मांग का आरोप वह लगाता है जिसके विरुद्ध समाचार का प्रकाशन किया जाता है। कोई भी आरोप लगाने वाला कभी भी समाचार प्रकाशन के पूर्व अवैध उगाही का आरोप लगाने नहीं आता पत्रकार पर।
झूठी तारीफ की खबर प्रकाशित करें तब तक ठीक है, जैसे ही किसी की कमियां और गलतियां समाचार में उजागर होती है अवैध मांग का आरोप मढ़ जाता है क्यों?
कुल मिलाकर यदि पत्रकार केवल अच्छाइयों को लेकर ही खबर प्रकाशित करता रहे तब तक किसी को कोई परेशानी नहीं होती लेकिन जैसे ही किसी की कमियां और उसकी गलतियां समाचार पत्र में उजागर की जाती हैं ऐसा व्यक्ति अवैध मांग का एक आरोप मढ़ देता है और खुद को पाक साफ बताने का प्रयास करता है। सबसे ज्यादा आरोप शासकीय विभागों में कार्यरत वह लोग अवैध मांग का लगाते हैं पत्रकारों पर जिनका भ्रष्टाचार से गहरा नाता होता है और जो जानते हैं की उनकी पोल खुलते ही उनके ऐशो आराम में दिक्कत आ जायेगी और वह वेतन भोगी बनकर रह जायेंगे या फिर जेल जाएंगे। ऐसे भ्रष्ट लोग यह भी जानते हैं की उनकी पोल जैसे जैसे खुलते जायेगी उनके जीवन यापन में दिक्कतें आएंगी उनके परिवार को दिक्कतें आएंगी क्योंकि खुद सहित परिवार की विलासिताएं वह वेतन से मात्र पूरी नहीं कर सकते जिसके लिए उन्हें भ्रष्टाचार का ही सहारा लेना है और खुद सहित परिवार के लोगों को भ्रष्टाचार के सहारे ही सुख सुविधा मुहैया कराना है। वहीं उनके भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार के सहारे चल रहे विलासितापूर्ण जीवन में जो अडंगा डालेगा उसके विरुद्ध वह गलत और तथ्यहीन आरोप लगाते रहेंगे और परेशान करने की कोशिश करेंगे।
भ्रष्टाचार मामलों में पत्रकार का खबर प्रकाशित करना उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है
आज भ्रष्टाचार मामलों में पत्रकार का खबर प्रकाशित करना उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है वहीं उसके विरुद्ध कब कौन सा आरोप लग जाए किस मामले में उसे नोटिस भेज दिया जाए या उस पर किसी अपराध को दर्ज कराने का प्रयास किया जाए यह भय हमेशा पत्रकार के साथ बना रहता है। खैर फिलहाल कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम को लेकर यदि बात की जाए तो उन्होंने घटती घटना समाचार पत्र के संपादक और कोरिया जिले के जिला संवाददाता को जो नोटिस वकील के माध्यम से भेजा है वह अंग्रेजी में है और अब हिंदी खबर के लिए हिंदी भाषी व्यक्तियों को अंग्रेजी में नोटिश भिजवाना उनके लिए पुनः एकबार की मेहनत का सबब साबित होगा क्योंकि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान न होने के कारण नोटिस का जवाब दिया जाना संभव नहीं है क्योंकि ट्रांसलेटर भी मौजूद नहीं है इसलिए डीपीएम को अब हिंदी में नोटिस भिजवाना होगा तब उचित जवाब की वह प्रत्याशा कर सकते हैं।
खबर छपने के बाद ही अवैध वसूली का क्यों लगता है आरोप?
जब भी किसी की कमियों की खबर छपती है तो उसे बुरा लगता है पर अपनी कमियों को दूर करने की बजाय खबर प्रकाशित करने वाले पर कैसे काबू पाया जाए यह पहला प्रयास होता है,उसके हिसाब से जिसके विरुद्ध उसकी गलतियों को लेकर खबर का प्रकाशन हुआ रहता है, वहीं जिसके लिए गलत रास्ता तैयार किया भी जाता है झूठी मनगढ़ंत कहानी बनाई जाती हैं और सबसे आसान हो जाता है पैसे मांगने का आरोप लगाना की पत्रकार ने पैसे मांगे थे नहीं मिला तो खबर प्रकाशित कर छवि धूमिल कर रहे हैं इस समय यह मामला आम हो चला है खबर के प्रशासन से तिलमिलाकर लोग यह आरोप लगाने से पीछे नहीं हटते जबकि इनके पास पैसा किस माध्यम से मांगा गया इसकी जानकारी मांगी जाए तो यह भी नहीं दे पाएंगे। यदि किसी खबर प्रकाशन से इतनी ही छवि धूमिल हो रही है तो अपने मूल पदस्थापना पर क्यों नहीं जा रहे हैं प्रभारी डीपीएम अपनी छवि धूमिल करवाने के लिए क्यों प्रभारी डीपीएम बने बैठे हैं? प्रभारी डीपीएम को लेकर नोटिस भेजने मामले में यही कहा जा सकता है की वह साबित कर रहे हैं की वह भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं और उनके पास भ्रष्टाचार का इतना धन है की वह महंगे से महंगा वकील खड़ा कर सकते हैं और किसी के विरुद्ध भी जो उनके भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास करेगा कानूनी कार्यवाही तय करवा देंगे क्योंकि वह अत्यंत सक्षम हैं। वैसे डीपीएम से क्या अवैध उगाही का प्रयास हुआ कब हुआ किस माध्यम से हुआ किस जगह हुआ यह उन्हे बताना चाहिए।
यदि खबर छपने से पहले मांगा जाता है पैसा तो फिर शिकायत भी खबर छपने से पहले होनी चाहिए
यदि कोई पत्रकार किसी अधिकारी कर्मचारी से किसी खबर के प्रकाशन को रोकने के लिए पैसा मांगता है तो उसकी शिकायत तत्काल की जानी चाहिए। जैसे ही वह अवैध कोई मांग रखता है और कहता है की मांग पूरी होने की स्थिति में ही खबर का प्रकाशन रुकना चाहिए तत्काल कानून की मदद ली जानी चाहिए ऐसे लोगों को जिनसे मांग की गई। दैनिक घटती घटना एक समाचार पत्र है जो की दिनभर की खबरों सूचनाओं के आधार पर देर रात प्रकाशित होता है, तत्काल प्रकाशन इसमें संभव ही नहीं है ऐसे में प्रभारी डीपीएम को चाहिए था की यदि संवाददाता ने अवैध मांग की तत्काल कानून का सहारा वह लेते और खबर प्रकाशन से पूर्व ही वह शिकायत दर्ज कराते। वैसे उनसे कोई अवैध मांग की ही नहीं गई है वह इससे भली भांति अवगत हैं वहीं वह अपने वकीलों से भी इस बात को छिपा रहे हैं ऐसा माना जा सकता है। मय सबूत खबर प्रकाशन के पूर्व उन्हे शिकायत करनी थी अवैध मांग यदि हुई थी और खबर प्रकाशन के बाद उनका आरोप वैसे भी निराधार है क्योंकि मांगने वाला प्रकाशन का उद्देश्य रखेगा ही नहीं खासकर घटती घटना निष्पक्षता का पक्षधर है सच का सिपाही है वह निडरता से खबर का प्रकाशन करता रहेगा चाहे नोटिस जितनी आए।
नई बात नहीं है अवैध उगाही का आरोप लगना
पत्रकारिता पेशे में अवैध उगाही का आरोप लगना नई बात नहीं है,भ्रष्टाचार और अपराध को सच का सामना करना भयभीत करता है इसलिए वह हमेशा इस प्रयास में लगे रहते हैं की सच को कुचला जा सके उसे दबाया जा सके वहीं पहले वह खुद सच को खरीदना चाहते हैं लेकिन जब वह बिकने से मना कर देता है उसे अपने अधीन करने वह षडयंत्र करने लगते हैं और फिर मान हानि अवैध उगाही का आरोप पत्रकार पर लगने लगता है और उसे परेशान किया जाने लगता है।