रायपुर@वन सेवा भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का मामला विधानसभा में गरमाया

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रायपुर,21 फरवरी 2024 (ए)।
छत्तीसगढ़ वन सेवा परीक्षा में असफल अभ्यर्थियों को शारीरिक परीक्षा का दोबारा मौका देने का मामला युवा बीजेपी विधायक सुशांत शुक्ला प्रश्नकाल में उठाया। इस मुद्दे पर वनमंत्री केदार कश्यप ने विभाग की ओर से जो जवाब दिया वह संतोषजनक नहीं था, जिसके चलते इस मुद्दे को विधायक शुक्ला ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाने की बात कही है।


दरअसल सन् 2020 में वन विभाग के विभिन्न पदों के लिए छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने लिखित परीक्षा ली थी। इसके बाद की प्रक्रिया वन विभाग ने शुरू की। पीएससी ने 3 जून 2023 को परीक्षा परिणाम जारी किया। चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज का परीक्षण करने के बाद शारीरिक दक्षता की परीक्षा 12 सितंबर को ली गई। इसमें 4 घंटे के भीतर 26 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी थी। इस प्रक्रिया में 20 अभ्यर्थी विफल रहे। इसके बाद प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को चयन के लिए अवसर दिया जाना था लेकिन वन विभाग ने शारीरिक परीक्षा में विफल अभ्यर्थियों को फिर से मौका देने का निर्णय लिया। इस बात की जानकारी मिलने पर पूरक सूची में शामिल अभ्यर्थियों ने अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई, पर उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह मामला काफी परवान चढ़ा और आखिरकार प्रभावितों ने हाई कोर्ट की शरण ली है।


इस मुद्दे पर भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने सवाल पूछा कि क्या वन मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ वन सेवा (संयुक्त) परीक्षा, 2020 में चयनित कितने अभ्यर्थियों की सूची विभाग को प्रदान की गई तथा कितने अभ्यर्थियों को प्रतीक्षा सूची में रखा गया? जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांशक के चयनित अभ्यर्थियों में से कितने अभ्यर्थी शारीरिक क्षमता परीक्षण में सम्मिलित हुए तथा उनमें कितने असफल रहे ? असफल अभ्यर्थियों के नाम सहित जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) क्या विभागीय भर्ती नियम में शारीरिक क्षमता परीक्षण में असफल अभ्यर्थियों को दुबारा अवसर देने का प्रावधान है ? यदि हां तो नियम की प्रति उपलब्ध करावें। यदि नहीं तो क्या असफल अभ्यर्थियों को नियम विरुद्ध दूसरा अवसर दिया गया अथवा देने हेतु प्रक्रिया अपनाई जा रही है ? (घ) क्या प्रश्नांश ‘ग’ की प्रक्रिया हेतु सामान्य प्रशासन विभाग से अभिमत लिया गया ? यदि हो तो अभिमत क्या था? अभिमत की प्रति उपलब्ध करावें । (ङ) क्या सामान्य प्रशासन से प्राप्त अभिमत अनुसार असफल रहे अभ्यर्थियों हेतु दुबारा शारीरिक क्षमता परीक्षण आयोजित की जा रही है ? यदि हां तो किसकी अनुमति एवं अनुमोदन से? ? विस्तृत ब्यौरा प्रदान करें।


वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि पीएससी के माध्यम से छ.ग. वन सेवा (संयुक्त) परीक्षा, 2020 अंतर्गत सहायक वन संरक्षक एवं वनक्षेत्रपाल के विज्ञापित कुल 211 पदों के विरूद्ध अंतिम चयन परिणाम के मुख्य सूची में सहायक वन संरक्षक के पद पर 34 एवं वनक्षेत्रपाल के पद पर 177, कुल 211 अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई है तथा सहायक वन संरक्षक के पद हेतु 15 अभ्यर्थी एवं वनक्षेत्रपाल के पद हेतु 77 अभ्यर्थी को अनुपूरक सूची में प्रेषित की गई।


वनमंत्री ने बताया कि चयनित अभ्यर्थियों में से सहायक वन संरक्षक पद हेतु कुल 34 एवं वनक्षेत्रपाल पद हेतु कुल 158 अभ्यर्थी शारीरिक क्षमता परीक्षण (पैदल चाल) में सम्मिलित हुए, उनमें से सहायक वन संरक्षक पद हेतु 03 एवं वनक्षेत्रपाल पद हेतु 24, कुल 27 अभ्यर्थी असफल रहे। असफल अभ्यर्थियों के नाम सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र-ब’अनुसार है।


छ.ग. (वन) राजपत्रित सेवा भर्ती नियम् 2015 के कंडिका क्रमांक 11(11) में शारीरिक मापदण्ड हेतु नियम प्रावधानित है, जिसमें शारीरिक क्षमता परीक्षण में असफल अभ्यर्थियों को दुबारा अवसर देने अथवा नहीं देने के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है। पैदल चाल में सम्मिलित सभी अभ्यर्थी छ.ग. लोक सेवा आयोग के माध्यम से आयोजित प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर चयनित हुए है। चूंकि पैदल चाल परीक्षण कोई प्रतियोगिता नहीं है, अपितु अर्हकारी परीक्षण है। अतः छ.ग. वन (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 2015 के नियम 21 (शिथिलीकरण)- इन नियमों में दी गई किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जायेगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में जिस पर ये नियम लागू होते है, ऐसी रीति से कार्यवाही करने की राज्यपाल की शक्ति को, जो उसे न्यायसंगत एवं उचित प्रतीत हो, सीमित या कम करती है। के अनुसार ही उपरोक्त कुल 27 असफल अभ्यर्थियों को पुनः एक अवसर प्रदान किये जाने हेतु विभाग द्वारा प्रक्रिया अपनाई जा रही है। छ.ग. (वन) राजपत्रित सेवा भर्ती नियम, 2015 की प्रति पुस्तकालय में रखे प्रपत्र ‘स’ अनुसार है।


वनमंत्री ने बताया कि इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग से अभिमत लिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा अभिमत दिया गया कि प्रकरण वांछित अभिमत/ मार्गदर्शन के संबंध में लेख है कि प्रशासकीय विभाग के भर्ती नियमों में शारीरिक दक्षता (पैदल चाल) हेतु अवसर प्रदान किये जाने का प्रावधान नहीं होने के कारण सामान्य प्रशासन विभाग का कोई अभिमत नहीं है। अभिमत की प्रति पुस्तकालय में रखे प्रपत्र- द’ अनुसार है। सामान्य प्रशासन विभाग से प्राप्त अभिमत अनुसार असफल रहे अभ्यधियों हेतु दुबारा शारीरिक क्षमता परीक्षण आयोजित नहीं की जा रही है। अपितु प्रशासकीय विभाग द्वारा प्रकरण के विचारोपरांत अपात्र अभ्यर्थियों को पुनः पैदल चाल हेतु अवसर दिये जाने की अनुमति प्रदान की गई है। जो कि वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।


दरअसल इस मामले में बस्तर के योगेश बघेल सहित 6 अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट मे याचिका दायर की है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन सेवा भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की बेंच ने आगे की प्रक्रिया रोकते हुए शासन को जवाब दाखिल करने को कहा है।
वन विभाग की इस भर्ती प्रक्रिया में शारीरिक परीक्षा में विफल अभ्यर्थियों के स्थान पर प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को चयन के लिए अवसर दिया जाना था, लेकिन वन विभाग ने शारीरिक परीक्षा में विफल अभ्यर्थियों को फिर से मौका देने का निर्णय लिया। इस बात की जानकारी मिलने पर पूरक सूची में शामिल अभ्यर्थियों ने अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई, मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अभ्यर्थियों के अनुसार नियमों में यह स्पष्ट उल्लेख है कि शारीरिक परीक्षा में असफल होने पर अभ्यर्थियों को दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा लेकिन कुछ विशेष उम्मीदवारों को लाभ देने के लिए नियम के विरुद्ध अवसर दिया जा रहा है। सुनवाई नहीं होने पर बस्तर के योगेश बघेल सहित 6 अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट मे याचिका दायर की है।

पीçड़ड़त विधायक ने पूछा मुझे कब न्याय मिलेगा..?


विधानसभा में बुधवार को बिरनपुर में हुई हत्या का मामला उठा। ध्यानाकर्षण के जरिए भाजपा विधायक ईश्वर साहू ने मामला उठाते हुए कहा कि घटना के वक्त सीबीआई जांच की बात कही गई थी.। क्या सीबीआई जांच कराई जाएगी? इस पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने सदन में घोषणा की कि बिरनपुर मामले की सीबीआई से जांच कराई जाएगी। ईश्वर साहू ने सदन में कहा कि 8 अप्रैल को हुई घटना में भुवनेश्वर साहू की हत्या में 34 आरोपी के नाम सामने आये थे, इनमें 12 आरोपियों की गिरफ़्तारी हुई, बाकी आरोपी गिरफ़्तार क्यों नहीं हुए? इस पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि एक समाज के चार स्कूली बच्चों के बीच विवाद की स्थिति के बाद समाज ने सुलह के लिए बैठक रखी थी। इस बैठक के बाद भुवनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भागीरथी साहू की शिकायत पर अपराध पंजीबद्ध किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष अनुसंधान टीम का गठन किया गया था. 8 अप्रैल को 11 आरोपियों की गिरफ़्तारी की गई। एक अन्य की गिरफ़्तारी बाद में की गई. अभियोग पत्र 5 जुलाई को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। मामले की विवेचना जारी है। इस पर भाजपा विधायक ने कहा कि अंजोर यदु ने घटना की शुरुआत की थी, लेकिन आज तक उस पर कार्रवाई नहीं की गई।
विजय शर्मा ने कहा कि मैने स्पष्ट किया है गांव में जो घटना हुई भुनेश्वर साहू की हत्या हुई. न्याय की लड़ाई लड़ते-लड़ते उनके पिता आज सदन में अपनी बात कह रहे हैं, यह अद्भुत संयोग है. मैं आपसे कहना चाह रहा हूं, कि इस प्रकरण में सेक्शन 173 सीआरपीसी के तहत विवेचना जारी. जिस संदर्भ में बातचीत हुई उचित प्रमाण मिले वह जेल में है, परंतु जिनके संदर्भ में ऐसा नहीं हुआ, उनकी विवेचना जारी है। 40 लोगों के नाम दिए गए थे, उसमें 12 लोग के नाम एफ आईआर थे उन सभी के संबंध में विवेचना जारी है आगे भी करवाई जारी रहेगी।
ईश्वर साहू ने कहा कि विशेष समुदाय के लोगों के पास सैकड़ो हथियार हथियार थे उसे समय अधिकारियों ने कहा था कि उसे जप्त करेंगे लेकिन अभी तक जब तक क्यों नहीं हुए? इस पर विजय शर्मा ने कहा कि इसमें संबंध में जो भी हथियार उपयोग किया गया था, उन सब को जमा किया गया है कुछ हथियारों को एफएसएल रिपोर्ट के लिए भेजा गया है. गांव में पुलिस चौकी है, और यह निर्धारित किया जा रहा है कि गांव में कोई बड़ा हथियार नहीं है। ईश्वर साहू ने कहा कि मैं जानना चाहता हूं कि अवैध हथियार कब तक जप्त किया जाएगा? इस पर विजय शर्मा ने कहा कि एक बार गांव में सभी घरों में बातचीत चर्चा गांव के माध्यम से करके और जहां आवश्यकता हुई वहां तलाशी के माध्यम से सुनिश्चित करेंगे कि कोई बड़ा हथियार किसी की घर में ना, हो या सुनिश्चित करेंगे।
ईश्वर साहू ने इस पर कहा कि मैं स्वयं मृतक का पिता हूं मैं सदन से जानना चाहता हूं मुझे न्याय मिल पाएगा या नहीं ? और मिलेगा तो कब तक मिलेगा? विजय शर्मा ने जवाब में कहा कि उनके प्रश्न और विषयों को लेकर के मैं अभिभूत हूं. हर हाल में हम सब मिलकर उनको न्याय मिले, उनको और उनके मन में जो बातें हैं, वह सारी बातें ठीक हो। उन सारे विषय को ठीक हो वह सारी जानकारी हो जाए। मैं भी चाहता हूं, इसके लिए जैसी आवश्यकता होगी वह पूरा करेंगे. ईश्वर साहू ने इस पर कहा कि घटना के समय अधिकारियों द्वारा सीबीआई जांच करवाने का आश्वासन मिला था करवाएंगे कि नहीं? विजय शर्मा ने कहा कि जांच जारी है यूएपीए बनाकर जांच की जा रही है, फिर भी एक पराक्रमी पिता के हृदय का दर्द है, इसलिए मैं आज सदन में घोषणा करता हूं कि इस विषय में सीबीआई जांच करवाई जाएगी. ईश्वर साहू ने कहा कि मैं जनप्रतिनिधि होने के नाते मुझे अभी तक न्याय नहीं मिल पाया, तो मैं क्या अपने विधानसभा क्षेत्र के जनता को क्या न्याय दिला पाऊंगा।


छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के 12वें दिन बुधवार को सदन में श्रम विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू हुई। श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने विभाग की अनुदान मांगों पर जानकारी दी। उद्योग और श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने इस दौरान ‘उद्यम क्रांति’ योजना शुरू करने का ऐलान किया।


श्रम मंत्री ने बताया कि, उद्यम क्रांति योजना शुरू होने से युवाओं को स्वरोजगार मिलेगा। उनहोंने बताया कि, प्रदेश के कोरबा, बिलासपुर में हाईकोर्ट के निकट औद्योगिक क्षेत्रों का विकास होगा। प्रदेश में ‘इन्वेस्ट छत्तीसगढ़’ सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। इस सम्मेलन के लिए विभाग के बजट में 5 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा श्री देवांगन ने बताया कि, राजधानी रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल युनिवर्सिटी में स्टार्टअप और रिसर्च फेसलिटी के किए दो करोड़ देने का प्रावधान रखा गया है।आईटी हब के लिए ‘प्लग एंड प्ले’ मॉडल विकसित होगाश्रम मंत्री ने बताया कि, नया रायपुर में आईटी हब के लिए ‘प्लग एंड प्ले’ मॉडल विकसित होगा। इसके लिए 35 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। बस्तर और सरगुजा में लघु वनोपज आधारित फूड प्रोसेसिंग केंद्र स्थापित करने के लिए विभाग के बजट में 113 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। इसी तरह कोरबा में 5 करोड़ की लागत से एल्यूमिनियम पार्क बनाया जायेगा।


श्रम मंत्री ने बताया कि, प्रदेश में हैंडलूम प्रोडक्ट की बिक्री के लिए यूनिक मॉल की स्थापना होगी। इस माल के निर्माण के लिए 80 करोड़ का प्रावधान विभाग के बजट में रखा गया है। साथ ही मंत्री ने बताया कि, शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना का विस्तार होगा। प्रदेश के 9 जिलों में 24 केंद्र इसके लिए शुरू किए जाने की घोषणा उनहोंने की।


छत्तीसगढ़ में प्रवासी मजदूरों की बड़ी समस्या सामने आती रही है। ऐसे प्रवासी श्रमिकों के लिए उनहोंने ‘मोर चिन्हारी’ भवन बनाने की घोषणा भी की। इसके अलावा पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा देने के लिए योजना लाने की जानकारी भी दी। पंजीकृत श्रमिकों द्वारा लिए गए बैंक लोन के ब्याज माफ करने के लिए अनुदान देने का भी उन्होंने ऐलान किया।


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