रायपुर,@विधानसभा में ईओडब्ल्यू के जांच के मामले का उठा सवाल

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रायपुर,20 फरवरी 2024(ए)।
विधानसभा में आज सरकार ने उन मामलों की जानकारी दी जो कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज की गई। इस सूची पर गौर किया जाये तो अप्रैल 2018 से लेकर दिसंबर 2020 तक 18 प्रकरण दर्ज किये गए। इसके बाद 2023 तक केवल और केवल एक ही मामला दर्ज किया गया। मतलब सरकार की जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग) को अब तक आर्थिक अपराध के कोई भी मामले नहीं मिले…!
सदन के प्रश्नोत्तर काल में विधायक आशाराम नेताम ने सवाल किया कि अप्रैल 2018 से लेकर 2023 तक प्रदेश में ईओडब्ल्यू द्वारा कितने मामलों में एफ आईआर दर्ज किया गया और उनकी क्या स्थिति है। इसके जवाब में बताया गया कि राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में 01 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2023 तक की अवधि में धारा 420 भादवि के तहत 19 प्रकरण पंजीकृत किये गये है, जिसमें से 02 प्रकरण में न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया है, 01 प्रकरण में अभियोजन स्वीकृति हेतु संबंधित विभाग को भेजा गया है जो अभी तक अप्राप्त है, 01 प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विवेचना पर रोक लगायी गई है, शेष 15 प्रकरण विवेचनाधीन है। लोक अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद भी अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं किये जाने वाले प्रकरण निरंक है।


छत्तीसगढ़ में भाजपा की विष्णुदेव सरकार के आने के बाद ईडी ने उन 4 मामलों में ईओडब्ल्यू में एफ आईआर दर्ज कराई, जिनकी वह जांच कर रही थी। इनमें कोल लेवी वसूली, शराब घोटाला, कस्टम मिलिंग और डीएमएफ घोटाला शामिल है।
कुल मिलाकर आखिरी के 5 मामले ईओडब्ल्यू ने स्वयं दर्ज नहीं किये बल्कि दूसरी एजेंसी द्वारा दर्ज कराये गए हैं। और वर्तमान स्थिति यह है कि अब भी इस जांच एजेंसी की कोई सक्रियता नजर नहीं आ रही है।


सरकार द्वारा दी गई जानकारी और वर्तमान स्थिति पर अगर गौर करें तो आखिरी के एक प्रकरण को छोड़कर कुल 38 महीने की अवधि होती है और इस बीच प्रदेश में भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ हो जाती है। 9 दिसंबर 2020 के बाद ईओडब्ल्यू ने एक बैंक प्रबंधन द्वारा की गई शिकायत पर कोर्ट के आर्डर पर एफ आईआर दर्ज किया था। इसको छोड़कर कोई भी प्रकरण सामने नहीं आया। यह वही कार्यकाल है जब प्रदेश में केंद्र की एजेंसी ईडी की इंट्री हुई और छापों का दौर शुरू हो गया। ईडी ने कोयला लेवी वसूली, नान घोटाला सहित कुछ अन्य मामलों में लगातार कार्रवाई की और कई बड़े अधिकारियों और दलालनुमा लोगों को गिरफ्तार किया। इस बीच राज्य की एजेंसियों ईओडब्ल्यू और एसीबी ने पूरी तरह तटस्थता बरती और प्रदेश में भ्रष्टाचार संबंधी किसी भी मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की। इसको लेकर सरकार की ओर से कोई दबाव था या फिर दोनों एजेंसियों का भारी-भरकम अमले ने कोई रूचि नहीं दिखाई, इस बात को अच्छी तरह समझा जा सकता है।


ईओडब्ल्यू की कार्रवाइयों के बारे में सरकार ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक अधिकांश प्रकरण लंबित पड़े हुए हैं, वहीं एक प्रकरण अभियोजन की स्वीकृति के लिए संबंधित विभाग को भेजा गया है। केवल 2 प्रकरण में ही चालान प्रस्तुत किया गया है और एक प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच पर रोक लगाई गई है। सच तो यह है कि कांग्रेस की सरकार के पूर्व के समय के भी कई प्रकरण सालों से लंबित पड़े हैं, और उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।


राज्य सरकार की दोनों एजेंसियां शासकीय विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार की गहन जांच के बाद कार्रवाई करती हैं। ऐसा नहीं है कि बीते 38 महीनों में ईओडब्ल्यू में कोई शिकायत नहीं पहुंची, बल्कि सूत्र बताते हैं कि ईओडब्ल्यू और एसीबी के दफ्तर में हर रोज औसतन दर्जन भर शिकायतें पहुंचती हैं। मगर उस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि अभी भी सरकार की दोनों एजेंसियों के कामकाज में कोई सक्रियता नजर नहीं आ रही है, केवल उन 4 प्रकरणों को छोड़कर जो ईडीद्वारा दर्ज कराई गई हैं।


छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रश्नकाल में आज अवैध खनन का मामले सदन में जोरशोर से उठा। सवाल-जवाब के दौरान हंगामा भी हुआ इस दौरान विधायक की सरकार को चुनौती के बाद मंत्री ने मामले में अगले 15 दिनों तक लगातार कार्रवाई करने का बड़ा ऐलान किया है। यह मामला सबसे पहले उठाया पामगढ़ की कांग्रेस सदस्य शेषराज हरवंश ने। इस मुद्दे को लपकते हुए धरमजीत सिंह ने सरकार के सामने ही चुनौती पेश कर दी। धरमजीत सिंह ने मंत्री को हेलीकॉप्टर से सर्वे करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि अगर अभी 200 पोकलेन नदी में नहीं होंगे तो मैं विधानसभा से इस्तीफा दे दूंगा। सदस्य ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने रेत का बड़ा खेल खेला है, घाटों का अधिकार पूर्व की तरह पंचायत को देने की जरूरत है। इसके अलावा 15 दिनों तक लगातार कार्रवाई करने की जरूरत है। जुर्माने के प्रावधान से कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है। सदस्य के इस मांग पर मंत्री ने आगामी 15 दिनों तक रोज कड़ी कार्रवाई के दिए निर्देश दिए हैं।
गौरतलब हैं कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का आज 11वां दिन हैं। आज कई अहम् मुद्दों पर मंत्रियों से सवाल-जवाब किये जायेंगे। विपक्ष और सत्ता पक्ष खुद भी सरकार के मंत्रियों को घेरने की तैयारी में जुटे हुए हैं। तीन दिनों बाद आज जब विधानसभा की कार्रवाई शुरू हो रही हैं तो सत्र के आज के आज का दिन हंगामेदार रहने की आशंका जताई जा रही है।


विधानसभा में मंगलवार को अवैध रेत उत्खनन पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बड़ी घोषणा की । विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के सवाल पर उन्होंने कहा कि गांव वालों को खुद के उपयोग के लिए प्रधानमंत्री आवास बनाने छोटे ट्रेक्टर से रेत निःशुल्क दिया जाएगा।
कांग्रेस विधायक शेषराज हरवंश ने मामला उठाते हुए कहा कि अवैध रेत खदान की शिकायत आई है। क्या रेत खदानों में मशीनों से लोडिंग की अनुमति है? मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि किसी को मशीन से लोडिंग की अनुमानित नहीं है. बिना अनुमति के अगर कहीं खनन चल रहा है तो इस पर कठोर कार्यवाही की जाएगी. भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि आप अभी हेलीकॉप्टर से अभी चलिए, अगर 200 से ज़्यादा पोकलेन उत्खनन करती नहीं मिली तो मैं अपनी विधायिका से इस्तीफ़ा दे दूंगा।


विधानसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान सबसे पहले बस्तर में डीएमएफ से मिली राशि का मुद्दा गरमाया है। डीएमएफ से बस्तर में स्वीकृत कार्यों को लेकर कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल ने सवाल उठाया। मुख्यमंत्री के नहीं होने पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने जवाब देते हुए कहा कि, बस्तर में 34 करोड़ का कार्य को स्वीकृत किया गया है। साथ ही यह भी कहा कि, राज्य स्तर से कोई काम अस्वीकृत नहीं किया गया है।


चर्चा के दौरान मंत्री रामविचार नेताम ने पिछली सरकार पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि, पिछली सरकार में मंत्रियों ने ष्ठरूस्न के नाम पर काफी गड़बड़ी की है। जो भी गड़बड़ी हुई है, उसकी जांच होनी चाहिए। तब मंत्री चौधरी ने कहा कि जिसने भी गड़बड़ी की है उसके खिलाफ कार्यवाही होगी।


इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने पूछा कि, शासी परिषद की पुरानी बैठक में स्वीकृत कार्यों का क्या होगा। पुरानी बैठकों में स्वीकृत काम माने जाएंगे या नहीं? इस पर मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि आने वाली कार्ययोजना के लिए बैठकें की जा रही हैं। कार्यों की समीक्षा के लिए भी कहा गया है।


नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने डीएमएफ के कार्यों को लेकर पूछा कि, अगर कलेक्टर कार्यों को निरस्त करें तो कहां शिकायत करें। इस पर जवाब देते हुए मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि, मुख्यमंत्री या फिर जिले के प्रभारी को जानकारी दी जा सकती है।


कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल ने इस मौके पर सदन में बताया कि, बस्तर कलेक्टर के 6 काम स्वीकृत हुए थे। उसे निरस्त कर दिया गया है। मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि कलेक्टर को ष्ठरूस्न के किसी भी कार्य को स्वीकृत या अस्वीकृत करने के लिए कलेक्टर को शासी परिषद से अनुमोदन लेना होगा।


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