कोरिया,@कोरिया के प्रभारी डीपीएम का रायपुर दौरा महीने में 10 बार विभाग के कौन से काम के लिए होता है?

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-रवि सिंह-
कोरिया,20 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। कोरिया में प्रभारी डीपीएम सुर्खियों में बने हुए हैं और यह सुर्खियों में तब तक बने रहेंगे जब तक यह अपने पद से हटाया ना जा सके, सुर्खियां भी है अपने कारनामों से खूब बटोरते हैं कभी खरीदी में तो कभी अपने लिए लगे अधिग्रहित किए गए वाहन को लेकर… अभी जो यह सुर्खियों में आए हैं उसमें एक नई कहानी है कोरिया जिले की प्रभारी डीपीएम का रायपुर दौरा महीने में लगभग 10 बार हो जाता है इतना दौरा छत्तीसगढ़ का कोई भी डीपीएम नहीं करता होगा जितना दौरा कोरिया जिले के प्रभारी डीपीएम करते हैं अब सवाल यह उठता है कि कोरिया जिले के प्रभारी डीपीएम का रायपुर में ऐसा कौन सा विभागीय काम या बैठक होती है जिस वजह से उन्हें कितना दौरा रायपुर का करना पड़ता है? यह विषय विभाग के लिए भी सोचनीय है और मंत्री के लिए भी सोचने वाली है कि आखिर कोरिया के प्रभारी डीपीएम का रायपुर में ऐसा कौन सा काम है कि उन्हें महीने में 10 बार जाना पड़ता है और उसे दौर में शासन का ईंधन खर्च होता है और शासन को उनके दौरे के लिए अतिरिक्त भार दिया जाता है।
ज्ञात होकी इन दिनों मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया कार्यालय सुर्खियों में है, घटती घटना लगातार सीएमएचओ और प्रभारी डीपीएम की कार्यप्रणाली व वित्तीय अनियमितताओं पर खबरें प्रकाशित कर रहा है, एक महिने में 5 हजार से ज्यादा किराए के वाहनों के दौड़ने की खबर के बाद विभाग में हलचल मची हुई है। खबर के बाद अधिकारियों को उक्त बिलों को मैनेज करने में पसीना छूट रहा हैं। सीएमएचओ कार्यालय के सूत्रों की माने तो रायपुर से दोपहर के बाद लौटते ही डीपीएम ने सीएमएचओ के साथ अकेले में घंटो चर्चा की, उसके बाद कार्यालय के बाहर खड़े हो कर दोनों मंत्रणा करते रहे, जिसके बाद यह तय किया गया कि 5 हजार किमी से ज्यादा चली वाहनों का भार कार्यालय के कर्मचारी भी उठाए और वो भी लॉग बुक में हस्ताक्षर करें, और बताए कि उन्होने भी 5 हजार किमी चले वाहन में दौरा किया है। वहीं कर्मचारी सब जानते है कि घटती घटना में लगातार आ रही खबरों से कभी भी मामले की जांच हो सकती है जिसके कारण कोई भी लॉगबुक में हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं है। इधर, सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अब प्रति माह 5 हजार से ज्यादा वाहनों को दौड़ाने को लेकर वाहन मालिक तो बताएगा कि वाहन कहां कहा गई और उस वाहन में कौन बैठा, परन्तु कहावत है कि जब गिदड़ की मौत आती है तो वो शहर की ओर भाग़ता है, ऐसा ही हाल विभाग के सीएमएचओ और प्रभारी डीपीएम का है।

आखिर कोरिया के प्रभारी डीपीएम को रायपुर में इतना कौन सा काम पड़ता है की महीने में 10 बार जाते है ?
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो कोरिया के डीपीएम आये दिन रायपुर दौरे में रहते है, चाचा मंत्री बने तो रायपुर, हाल ही में 4 दिन रायपुर से होकर आए है। जिला प्रशासन में इनकी पैठ का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि आचार संहिता के दौरान भी इन्हें बाहर जाने की अनुमति प्रदान कर दी गई थी, वही आसपास जिलों के डीपीएम की बात की जाए तो बीते डेढ माह से वो रायपुर नही गए है, ये जांच का विषय है कि इनकी ऐसी सभी डीपीएम से अलग से कौन सी ट्रेनिंग होती है जो सिर्फ कोरिया के डीपीएम को दी जाती है।

क्या बदल गया वाहन?
सूत्रों की माने तो जिस वाहन में प्रभारी डीपीएम दौरा करते है, उस वाहन को कई बार खुद भी वह ड्राइव करते है, परन्तु खबर के बाद डीपीएम ने गाडी बदल ली है, परन्तु बड़ी मात्रा में ऐसे बिलों का भुगतान कर दिया गया है, सूत्र यह भी बता रहे है इस पूरे खेल में सिर्फ डीपीएम ही अकेले नहीं है सीएमएचओ जो काफी मीठे है, उन्होने भी सरकारी वाहन का खूब लुत्फ उठाया है, सूत्र यह भी बता रहे है हर महिनों कई बार निजी कार्यो में किराए के वाहन दुर्ग से लेकर बिलासपुर दोड़े है। जिनका भुगतान सरकारी राशि से किया गया है।
बड़े बेआबरू होकर
बीते सप्ताह रायपुर में डटे रहे प्रभारी डीपीएम मायूस लौटे है,सूत्र बताते है कि घटती घटना की खबरों का असर यह रहा कि रायपुर में सचिव स्तर के अधिकारियों ने बिल्कुल हाथ रखने नहीं दिया, कहा कि आपकी छवि से भाजपा सरकार की छवि खराब हो रही है। मंत्रालय में जिला प्रशासन की छवि पर गहरा धक्का लगा है। रायपुर में रहकर 4 दिन पूरी कोशीश की गई कि कोई तो अधिकारी उनकी बात सुनता। सूत्र यह भी बता रहे हे आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस प्रकरण से नुकसान हो सकता है। भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री पूरे देश में कार्यवाही कर रहे है और उनकी पार्टी शासित राज्य में सरकार कार्यवाही नहीं कर पा रही है। बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है? तब विपक्ष में मैनेज अब तो सत्ता अपनी है जिले में प्रशासनिक दादागिरी के बल पर प्रभारी आयुवेर्दिक चिकित्सक प्रिंस जायसवाल और बेहद मीठे सीएमएचओं डॉ आरएस सेंगर पर भाजपा सरकार अभी तक कोई कार्यवाही नहीं कर पाई है। हर कोई अच्छे से वाकिफ है कि जिले के कलेक्टर का यदि कोई कोरिया में सबसे राजदुलारा है तो वो है डॉ प्रिंस जायसवाल। कांग्रेस के कार्यकाल में तो पूरी दाल ही काली थी, नियमों को दरकिनार कर विभाग ने जमकर वित्तीय अनियमितताएं बरती गई थीं, अब भाजपा सरकार आने के बाद भी कार्यवाही के नाम पर जिला प्रशासन चूं तक नहीं कर रहा है। वहीं तब विपक्ष चुप्पी साधे बैठा था बताया जा रहा है कि दोनों पर कांग्रेस की सरकार रहते भी कार्यवाही इसलिए नहीं हो पाई थी क्योंकि तब विपक्ष दोनों के खिलाफ बढिया मैनेज था और अब तो सैया भए केातवाल तो डर काहे का। चाचा अब तो स्वास्थ्य मंत्री ठहरे तो अब डर किस बात का?
जिले के स्वास्थ्य विभाग के वाहनों से स्वास्थ्य विभाग के लोग घरेलू काम भी निपटा रहे हैं…

सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग कोरिया में मरीज को समय पर वाहन एंबुलेंस मिले न मिले लेकिन यदि किसी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी को पारिवारिक जरूरतों से भी वाहन की जरूरत है तो वह तत्काल उपलब्ध हो जाती है। सूत्रों की माने कई बार स्वास्थ्य विभाग के वाहन स्वास्थ्य विभाग के लोगों के घरों के लोगों को लाने ले जाने का भी काम करते हैं जो देखा जा सकता है। अब समझा जा सकता है की कैसे लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाला स्वास्थ्य महकमा अपनी निजी जरूरतें विभाग के ही पैसे से कर रहा है और वेतन अलग ले रहा है।


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