अंबिकापुर@मेडिकल कॉलेज से उदयपुर स्वास्थ्य केन्द्र ड्रोन से 20 मिनट में पहुंचा सैंपल

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ड्रोन टेक्निक इन हेल्थ केयर का मेडिकल कॉलेज में हुआ सफल ट्रायल

अंबिकापुर,19 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। भारत सरकार के पायलेट प्रोजेक्ट युज ऑफ ड्रोन टेक्नॉलॉजी इन हेल्थ सर्विस डिलीवरी में जिले के राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अम्बिकापुर का चयन हुआ। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आर एन गुप्ता ने बताया कि ड्रोन के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उदयपुर से सैंपल शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में प्राप्त किया जायेगा और जांच उपरांत रिपोर्ट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उदयपुर प्रेषित कि जायेगी। जिसके क्रियान्वयन के लिए प्रथम चरण में प्रयोग के तौर पर राजामाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में सोमवार को प्रथम ट्रायल किया गया, जिसके तहत् मेडिकल कॉलेज से 40 कि.मी. दूर उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से ड्रोन के माध्यम से लेप्टोस्पीरा स्क्रबटाईप्स और डेंगु एलजीएमईएल आईएसए जाँच हेतु सैम्पल, लाये गये। साथ ही साथ ओटी कल्चर हेतु सैंपल भी ड्रोन से भेजे गये। इस प्रोजेक्ट हेतु दो स्व-सहायता समूह की ड्रोन दीदीयों को, ड्रोन संचालन की ट्रेनिंग हेतु दिल्ली भेजा गया था जिसमें से सैंपल लोडिंग एवं अनलोडिंग के कार्य हेतु एक ड्रोन दीदी को उदयपुर एवं एक ड्रोन दीदी अम्बिकापुर से प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रोजेक्ट के जिला स्तर पर मेडिकल कॉलेज के अस्पताल अधीक्षक नोडल डॉ. रमणेष मूर्ति एवं इंचार्ज डॉ. अरविंद कुमार सिंह हैं। यदि यह प्रोजेक्ट सफल होता है तो राज्य के समस्त जिलों में इसे लागू किया जावेगा।
उन्होंने बताया कि दूरस्त इलाके से भर्ती मरीज को तत्काल जांच एवं सैपल रिपार्टिग की जानकारी वायु परिवहन के माध्यम से सुविधा उपलध कराना सरगुजा जिले के लिए एक वरदान साबित होगा।
इससे समय की बचत के साथ आपातकालीन स्थिति में मरीजों को बचाने में सुविधा होगी। प्राय: दुरस्थ क्षेत्र से आपातकालीन स्थिति में उच्च स्तरीय जांच हेतु परीवहन करना पड़ता है। ड्रोन सुविधा प्रदाय करने वाली संस्था काईट मैप के माध्यम से मेडिकल कालेज अम्बिकापुर से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उदयपुर के मध्य लड सैम्पल परिवहन हेतु परिक्षण उडान आयोजित किया गया ताकि ऐसे लैब संबंधित जांच जो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मे नही होती हैं का जांच किया जा सके। ड्रोन को मेडिकल कालेज अम्बिकापुर से उदयपुर पहुचने मे 30 मिनट का समय लगा जहां उदयपुर के झिरमिटी स्टेडियम ग्राउंड मे उसका सफल लैडिंग कराया गया, इनके द्वारा 15 मिनट के अंदर लड सैपल जिसका वजन लगभग 600 ग्राम था, ड्रोन मे लोड कर दिया गया व काईट मैप कम्पनी के कर्मचारी जो पहले से मैजूद थे उनके द्वारा वापस ड्रोन को मेडिकल कालेज अम्बिकापुर भेज दिया गया। इस अवसर पर नोडल डॉ. रमणेश मूर्ति एवं इंचार्ज डॉ. अरविंद कुमार सिंह, पैथोलाजिस्टडॉ दीपक गुप्ता, लैब टैक्निशियन अषोक पुरकैत, खण्ड कार्यक्रम प्रंबंधक, भानेश गौरव,ड्रोन दीदी सुश्री संध्या बारी उपस्थित रहे।
छाीसगढ़ से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज को मिली है यह सुविधा
ड्रोन तकनीक इन हेल्थ केयर के लिए भारत सरकार द्वारा 25 मेडिकल कालेज का चयन किया गया है। जिसमें 10 राज्यस्तरीय मेडिकल कॉलेज शामिल है। जिसमें छाीसगढ़ से राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंह देव मेडिकल कालेज अंबिकापुर को भी शामिल किया गया है। शेष छासगढ़ से किसी भी मेडिकल कालेज को इस योजना में शामिल नहंी किया गया है। वहीं इसके अलावा रायपुर एम्स को यह सुविधा दी गई है। ड्रोन संचालन व देख रेख के लिए स्व सहायता समूह की बहनों को जिम्मा दिया गया है। जिसका नाम ड्रोन दीदी रखा गया है। महिला बाल विकास विभाग से समन्वय कर मेडिकल कालेज प्रबंधन ने आराधना व उत्कर्ष समूह का चयन किया है। जिसमें आराधनाा सहूह से संध्या व उत्कर्ष सहूह से आरती का चयन किया गया है। इन दोनों को नई दिल्ली में डीजीसीए अप्रूव्ड रिमोट पायलट का प्रशिक्षण दिया गया है। इन दोनों ने एक बार में सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पाई हैं। वहीं अन्य मेडिकल कॉलेज के ड्रोन दीदीयों को दो से तीन बार प्रशिक्षण लेना पड़ा। डीन डॉ. रमण्ेश मूर्ति ने बताया कि ड्रोन पायलट के प्रशिक्षण लेने में किसी भी व्यक्ति को दो लाख से ज्यादा का खर्च पड़ता है। पर आरती व संध्या को नि:शुल्क ट्रेनिनंग भारत सरकार द्वारा दी गई है। अंबिकापुर मेडिकल कालेज से ड्रोन को उड़ाने का काम आरती और उदयपुर में संध्या करेंगी।
1 किलो वजन का भेजा गया सौंपल
तीन माह बाद नई दिल्ली में इस सुविधा को लेकर विचार मंथन होगा। जिन-जिन मेडिकल कॉलेज में या सुविधा उपलध कराई जा रही है वहां से फीडबैक लिए जाएंगे। सभी अनुभवों के आधार पर व्यवस्था में और सुधार के साथ अगले चरण में देश के अन्य मेडिकल कॉलेज में भी यह सुविधा उपलध करा दी जाएगी। ड्रोन कंपनी के इंजीनियर ने बताया कि ट्रायल के दौरान लगभग एक किलो वजन के सैंपल को बेहतर तरीके से पैक कर उदयपुर अस्पताल भेजा गया। अंबिकापुर से उदयपुर अस्पताल की हवाई दूरी लगभग 40 किलोमीटर की है। ड्रोन के माध्यम से पांच किलो वजन तक के समान 100 किलोमीटर से 120 किलोमीटर की हवाई दूरी तय कर आसानी से भजा जा सकता है। डीन ने बताया कि तीन कंपनियों को आमंत्रित किया गया है। जिसका बेहतर होगा उसे काम के लिए दिया जाएगा। पहले दिन बंगलुरू की कंपनी काइट्स मैप का ट्रायल किया गया है। ट्रायल के लिए छोटे और कम वजन का ड्रोन प्रयोग किया गया। वहीं दो और कंपनियों के ड्रोन का ट्रायल किया जाना है। जिसका बेहतर होगा उसे निविदा दिया जाएगा।


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