कोरिया@क्या कोरिया जिले का स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार में इतिहास रचने जा रहा है?…क्या स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे हैं प्रभारी डीपीएम?

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-रवि सिंह-
कोरिया,09 फरवरी 2024 (घटती-घटना)।
कोरिया जिले में इस समय किसी विभाग की सबसे ज्यादा चर्चा है तो वह जिले के स्वास्थ्य विभाग की चर्चा है, स्वास्थ्य विभाग की चर्चा बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए नहीं सिर्फ स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर भ्रष्टाचार करने को लेकर है, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में जो भ्रष्टाचार हुए हैं उसकी जांच कब होगी इसकी मांग लगातार हो रही है पर सिर्फ मांग ही हो पा रही है जांच कोई कर नहीं पा रहा है, लगा था कि भाजपा सरकार आते ही सारी जांच इस विभाग की होने लगेगी पर ऐसा होता दिख नहीं रहा है, स्वास्थ्य मंत्री भी लग रहा है फूंक फूंक के कदम उठा रहे हैं इसकी वजह प्रभारी डीपीएम हैं जो कांग्रेस शासनकाल से इस पद पर जमे हुए हैं और भ्रष्टाचार का खेल खेल रहे हैं, प्रभारी डीपीएम ना जाने कहां से इतना दबाव अधिकारी सहित स्वास्थ्य मंत्री पर बना दिए हैं कि उनकी जांच अटक गई है जांच के साथ-साथ जहां उन्हें प्रभार से मुक्त करना था उन्हें प्रभार मुक्त भी नहीं कर पा रहा है, जिले के स्वास्थ्य विभाग फिलहाल चर्चा यह भी है कि स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे हैं प्रभारी डीपीएम अब सही में भतीजे हैं यह तो स्वास्थ्य मंत्री व डीपीएम ही जानेंगे और यदि वह भतीजे नहीं है तो फिर जल्द उनके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए, तभी पता चलेगा की स्वास्थ्य मंत्री भ्रष्टाचार को लेकर कितने जागरूक हैं और वह भ्रष्टाचार बर्दास्त नहीं करने वाले वह भी कम से कम अपने स्वास्थ्य विभाग में वह भी लोगों के स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर। स्वास्थ्य विभाग को आसान शदों में लोग जानते हैं कि यह एक ऐसा विभाग है जहां से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी और जो निशुल्क मिलेंगी पर ऐसा सिर्फ विश्वास है पर विश्वास पर कोरिया जिले का स्वास्थ्य विभाग कायम नहीं है, जिस मामले में विश्वास नहीं है उस पर स्वास्थ्य विभाग कायम है और वह मामला है भ्रष्टाचार का कोई भी इस बात का अंदाजा नहीं लग सकता कि स्वास्थ्य विभाग जैसे विभाग में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुए हैं और सिर्फ हुए हैं तो वह भी खरीदी को लेकर स्वास्थ्य विभाग बेहतर इलाज देने के नाकाम पर है पर बेहतर सुविधाओं के नाम पर जो खरीदी की गई है उसमें भ्रष्टाचार खूब हुआ है। चाहे वह दवाई हो या फिर मशीनरी या फिर अस्पताल की साफ सफाई सभी में भ्रष्टाचार की बू आ रही है जो सभी समझ पा रहे हैं जो दूर तक अपनी दुर्गंध फैला रहा है।
ज्ञात हो की वहीं स्वास्थ्य विभाग पूरी तरीके से प्रभारी के भरोसे चल रहा है सीएमएचओ भी प्रभारी हैं और डीपीएम भी प्रभारी हैं डीपीएम तो इतने महान व्यक्ति हैं कि उनकी तारीफ जितनी भी की जाए उतनी कम है इनके लिए तो कड़े से कड़े शदों का भी उपयोग कम पड़ जाए, संविदा कर्मचारी हैं पर परमानेंट कर्मचारियों से कम अपने आप को नहीं समझते, इनकी पकड़ कितनी ऊंची है इसका भी अंदाजा कोई लगा नहीं सकता, क्योंकि कांग्रेस सरकार हो या फिर भाजपा की नई नवेली सरकार सभी को यह अपने गिरफ्त में अभी तक कर चुके हैं, और कब तक इनके गिरफ्त में सभी रहने वाले हैं इसका पता नहीं, कार्यवाही का इंतजार है जांच की दरकार है पर यह कौन करेगा इसका इंतजार है ? भ्रष्टाचार सीएमएचओ, डीपीएम मिलकर कर रहे हैं और छोटे कर्मचारीयों संलिप्तता भी इनके साथ है यही वजह है कि कोरिया जिले में एक लाइन से स्वास्थ्य विभाग के अमले में बदलाव की जरूरत है पर यह काम कौन करेगा इसका भी इंतजार है? दो पेन एक डायरी वाले डीपीएम तो चर्चा में है ही उनका रहन-सहन देख ले तो नहीं लगेगा कि वह किसी कलेक्टर से कम है उनके सामने कलेक्टर भी शायद शर्मा जाएंगे। प्रभारी डीपीएम जिले के आला अधिकारियों पर भी पूरा रौब रखते हैं क्या मजाल उनकी बात कोई काट दे,इसके पीछे का कारण कहना भी गुनाह होगा क्योंकि भ्रष्टाचार हावी है और सभी मौन हैं।

क्या स्वास्थ्य मंत्री पूरे मामले में लेंगे संज्ञान,क्या वह प्रधानमंत्री के जीरो टॉलरेंस नीति पर करेंगे अमल?
अब कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में पूर्व में हुए भ्रष्टाचार और जारी भ्रष्टाचार को लेकर अब वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री को भी स्पष्ट करना होगा की वह भ्रष्टाचार के मामले में प्रधानमंत्री के जीरो टॉलरेंस नीति पर अमल करेंगे या फिर वह भ्रष्टाचार पर मौन धारण करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री क्या कोरिया जिले स्वास्थ्य विभाग में हुए भ्रष्टाचार और जारी भ्रष्टाचार को लेकर विभाग को जांच का आदेश देंगे दोषियों पर कठोर कार्यवाही करेंगे यह भी देखने वाली बात होगी। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार के मामले में स्वास्थ्य विभाग जैसे विभाग में स्वास्थ्य मंत्री कितने सजग रहते हैं किस तत्परता से कार्यवाही करते हैं यह भी देखने वाली बात होगी,वैसे कोरिया जिले के प्रभारी डीपीएम जो स्वास्थ्य मंत्री का खुद को भतीजा बताते हैं उनके मामले में उनके भ्रष्टाचार मामले में स्वास्थ्य मंत्री क्या रुख अपनाते हैं यह भी देखने वाली बात होगी। वैसे स्वास्थ्य मंत्री कोरिया जिले से लगे हुए जिले के निवासी हैं और आज भी वह जिला कोरिया जिले के ही जिला चिकित्सालय से स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त कर रहा है ऐसे में उन्हे ज्यादा जिम्मेदारी से दोषियों पर कार्यवाही करनी चाहिए ऐसी लोगों को उनसे उम्मीद है।
स्वास्थ्य विभाग के कारनामों को लेकर जिला प्रशासन क्यों चुप्पी साध रखी है?
कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग के कारनामों को लेकर जिला प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है, एक ओर जिला अस्पताल की जीवनदीप समिति की जांच के लिए सीएमएचओ और प्रशासन ने पूरा जोर लगा दिया, अब बताया जा रहा हे कि मामला टांय टांय फिस्स हो गया है। दूसरी ओर करोड़ो की खरीदी करने वाले सीएमएचओं और डीपीएम के खिलाफ जिला प्रषासन ने अब तक किसी भी तरह की जांच शुरू नही की है, जबकि घटती घटना लगातार स्वास्थ्य विभाग में जारी अनियमितताओं को लेकर खबर का प्रकाशन कर रहा है।
सरकार बदलते ही स्वास्थ्य विभाग की पिछली खरीदियों की होगी जांच,दोषियों पर कार्यवाही की थी उम्मीद, अब उम्मीद भी नाउम्मीदी में बदलने लगी
कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार हुआ था, सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार कोरोना वैश्विक महामारी काल के दौरान हुआ जब दवाइयों और सुविधाओं के नाम पर जिले में ऐसा खेल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में खेला जो एक बड़ा भ्रष्टाचार साबित हुआ। दवाइयां खरीदी गई,मशीनें खरीदी गईं जिले के लोगों से खूब वाहवाही भी तब के जनप्रतिनिधियों ने ली और स्वास्थ्य विभाग ने ली, लेकिन इसके पीछे कुछ था तो वह था बड़े भ्रष्टाचार का खेल, कोरोना काल में लोग जहां तड़पकर काल के गाल में समा रहे थे वहीं स्वास्थ्य विभाग खरीदी में व्यस्त था जो कैसी खरीदी थी यह लोगों ने भी देखा जाना था जब उन्हे ही सुविधाएं नहीं मिल सकीं थीं,सभी खरीदियो की जांच होगी और सभी पर कार्यवाही होगी ऐसी उम्मीद तब लोगों के मन में जगी जब प्रदेश में साा परिवर्तन हुआ और कांग्रेस की जगह भाजपा ने साा में वापसी की। लेकिन अब भाजपा शासनकाल में भी कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग की अनियमिताओं की जांच होगी ऐसी उम्मीद भी लोगों की जाने लगी है। जिले के प्रभारी सीएमएचओ और प्रभारी डीपीएम जिन पर कार्यवाही होनी थी जिनमे एक पूर्व के भी सीएमएचओ शामिल थे सभी निश्चिंत हैं और भाजपा शासनकाल में भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। सभी को जैसे फिर से ऐसा करने की अनुमति मिल गई है और स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर लूट मचाने की सभी को स्वतंत्रता है ऐसा लगने लगा है। अब नाउम्मीदी ही कही जाएगी इसको लेकर की इनके ऊपर कार्यवाही होगी।
क्या अधिकारी अपने बचने के लिए फार्मासिस्ट पर की कार्यवाही?
जानकारी के अनुसार झुमका महोत्सव में मुख्यमंत्री के आगमन के पूर्व सीएमएचओ ने फार्माशिष्ट को निलंबित कर दिया, निलंबन में स्पष्ट कुछ भी नही बताया गया, बकायदा कार्यवाही का सरकारी खबर भी जारी की गई। वहीं सूत्र बताते है कि स्वास्थ्य विभाग के स्टोर इंचार्ज के हस्ताक्षर के मामले में फार्मासिस्ट को निलंबित किया गया है। तय है कि स्वास्थ्य विभाग में की जा रही खरीदी में जमकर अनियमिूतताएं बरती जा रही है। अधिकारी खुद को सेफ रखने के बदले छोटे कर्मचारियों पर गाज गिरा रहे है, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी देखी जा रही है। इधर, सूत्र यह भी बता रहे है कि निलंबित फार्मासिस्ट रेगूलर मद की खरीदी में आई सामग्रियो की देखरेख और वितरण का जिम्मा संभाल रहा था, और हस्ताक्षर रेगूलर मद के तहत खरीदी के दस्तावेजो में की गई है। यह भी बताया जा रहा है कि स्टोर इंचार्ज द्वारा एनएचएम की बडे मात्रा में हुई खरीदी के दस्तावेजो में भी हस्ताक्षर नहीं किए गए है, तो अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि एनएचएम में किसने हस्ताक्षर किए और राषि निकाल ली गई। दूसरा बडा सवाल यह है कि क्या एनएचएम में बिना किसी फार्माषिष्ट के खरीदी की जा रही है। क्योंकि बिना फार्माशिष्ट के खरीदी पर तत्कालिन सीएमएचओ और सहायक ग्रेड 3 के खिलाफ कार्यवाही की गई है, सहायक ग्रेड 3 को तो निलंबित किया जा चुका है।
यदि सही तो शिकायत क्यों नहीं?
चर्चा है कि सीएमएचओ ने खुद को बचने के लिए फार्माशिष्ट को निलंबित कर दिया, दूसरी ओर फार्मासिस्ट को लेकर कर्मचारियों को कहना है कि उसकी कोई गलती नहीं थी, अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि यदि फार्माशिष्ट ईमानदार था तो उसने तत्काल सीएमएचओं के द्वारा बनाए जा रहे दबाव की सूचना जिला प्रषासन को क्यों नहीं दी, यह भी सही है कि बिलों के भुगतान में जल्द बाजी खरीदीकर्ता को ज्यादा रहता है। इसके पीछे की कहानी से हर कोई वाकिफ है। क्या निलंबित फार्मासिस्ट को एनएचएम का भी प्रभार दिया गया था। क्या एनएचएम की खरीदी में भी हुए हस्ताक्षर में फर्जीवाडा किया गया है।
क्रम समिति पर खडे होते सवाल
स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2022 से लेकर अब तक हुए खरीदी पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है,क्यों कि इस खरीदी में बड़ी अनियमितताओं की आशंका है। जिसे लेकर सीएमएचओं विभाग के कई बाबू खुद के अधिकारी की कार्यशैली से परेशान है। मनमर्जी और बहुत गुप्त तरीके डीपीएम के साथ कमरा बंद करके खरीदी का काम किया गया है, यहां तक की बाबूओ को इसकी किसी भी तरह की जानकारी न हो सके इसका पूरा ख्याल रखा गया है। वहीं क्रय समिति में शामिल सदस्यों की हस्ताक्षर पर भी अब सवाल खड़े हो रहे है क्या उन्हे भी दबाव डालकर हस्ताक्षर करवाए गए है। बताया यह भी जा रहा है कि हाल में हुई लैब की सामग्रियों की खरीदी में भी कुछ सदस्यों ने हस्ताक्षर करने से साफ इंकार कर दिया है।
प्रभारी डीपीएम को आदेश के बाद भी हटा पाने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम हो रहा साबित
जिले के प्रभारी डीपीएम जिनकी जगह नए डीपीएम की पदस्थापना हो चुकी है ऐसा आदेश होने के बावजूद प्रभारी डीपीएम को जिले का स्वास्थ्य विभाग हटा पाने में नाकाम साबित हो रहा है। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है,वैसे वजह स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद जरूर होगा और वह किसी ठोस वजह जो प्रभाव और पकड़ जैसी वजह होगी को उजागर नहीं कर पा रहा है। वैसे डीपीएम कोरिया मनमानी करते जा रहे हैं जिले के स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टचार की जड़ और मजबूती से फैलाते जा रहे हैं जो देखा सुना जा रहा है और वह पुरवर्ती कांग्रेस शासनकाल की ही तर्ज पर फिर से जिले के स्वास्थ्य विभाग को खोखला करते जा रहे हैं।


स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे बताए जाते हैं प्रभारी डीपीएम कोरिया,सच्चाई कितनी यह स्वास्थ्य मंत्री ही बता पायेंगे
कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी डीपीएम स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे हैं ऐसा बताया जा रहा है जबसे नए स्वास्थ्य मंत्री ने जिम्मा सम्हाला है। अब प्रभारी डीपीएम कोरिया स्वास्थ्य विभाग के मंत्री के भतीजे हैं की नहीं यह तो स्वास्थ्य मंत्री ही बता सकते हैं लेकिन माना जा रहा है उन्ही के नाम के सहारे वह अपनी धमक और धाक विभाग में जमा रहे हैं और नए डीपीएम को कार्यभार ग्रहण करने से रोक पा रहे हैं।वैसे स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा होना उन्हे भ्रष्टाचार करने की इजाजत देता है स्वास्थ्य सुविधाओं में सेंध लगाने की स्वतंत्रता देता है यदि ऐसा है तो यह कतई स्वीकार करने योग्य विषय नहीं है।
जिले में हुई दवा खरीदी में फार्मासिस्ट को किया निलंबित,बर्खास्त किए जाने की थी जरूरत,अन्य की संलिप्तता भी होनी थी उजागर होनी थी कार्यवाही…
जिले में स्वास्थ्य विभाग ने विगत कुछ माह पूर्व जमकर दवाओं की खरीदी की,यह कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुई खरीदियां थीं, खरीदी हुई बिलों का भुगतान हुआ तब पता चला खरीदी में भ्रष्टाचार का खेल कैसे रचा गया। अब जब मामला उजागर हुआ एक फार्मासिस्ट पर निलंबन की कार्यवाही की गई,जबकि उसे बर्खास्त करने की जरूरत थी क्योंकि खरीदी में भ्रष्टाचार साबित होता है। अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों सहित कर्मचारियों की भी मामले में संलिप्तता थी उन पर कार्यवाही भी नहीं की गई। कुल मिलाकर मामले को दबाने का प्रयास जारी है और इसलिए एक छोटी कार्यवाही की गई जिससे सभी को बचाया जा सके। अब सवाल यह है की क्या भ्रष्टाचार जैसे मामलों में वह भी स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार के मामलो में दोषियों पर रहम करना न्याय संगत है। लोगों के जीवन के नाम पर जो लूट रहा हो उनके हक का हिस्सा उसे माफ किया जाना क्या न्याय यह भी बताना चाहिए।


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