सरगुजा/रायपुर@क्या कांग्रेस के तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत सबसे भ्रष्ट मंत्री में हो जाएंगे सुमार?

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-भूपेन्द्र सिंह-
सरगुजा/रायपुर,08 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। कांग्रेस के भूपेश सरकार के सबसे भरोसेमंद मंत्री अमरजीत भगत अब समस्याओं से घिरते नजर आ रहे हैं इनके ऊपर जो एक साथ कई समस्या आन पड़ी है, जिसमें ट्रांसफर पोस्टिंग के वसूली से लेकर उनके खुद के खाद्य विभाग की वसूली सहित जमीन फर्जीवाड़ा मामला सामने आ रहा है, अमरजीत भगत सरगुजा के सबसे प्रसिद्ध मंत्रियों में शुमार थे अमरजीत भगत का मंत्री बनते ही अचानक उनके चाल-ढाल में परिवर्तन आना आज उन्हीं के लिए मुसीबत बन गया है, जानकार सूत्रों की मानें तो उन्होंने बेतहाशा भ्रष्टाचार किया और अब भ्रष्टाचार का खुलासा परत दर परत होना शुरू हो गया है, भले ही अमरजीत भगत इसे राजनीतिक रूप देने का कोशिश कर रहे हैं पर सभी जानते हैं कि मामला क्या है क्योंकि सरगुजा के जिले में जमीन का भ्रष्टाचार चरम पर है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री अमरजीत भगत उनके निवास व अन्य स्थानों में 5 दिनों तक चली आयकर कार्रवाई कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं । ऐसी जानकारी मिल रही है कि इनकम टैक्स अधिकारियों के पास 26 पेज की लंबी लिस्ट है जिसमें पूर्व खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री द्वारा डीएमएफ फंड और स्थानांतरण पोस्टिंग में किए गए भ्रष्टाचार का उल्लेख है। इसके अलावा चावल,दाल व अन्य अनाजों की कस्टम मिलिंग में भी रकम लिए जाने की बात आईटी की टीम ने की है। आईटी विभाग के अनुसार 250 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है । जिसके आधार पर जांच केंद्रीय एजेंसी को सुपुर्द किया जा सकता है। आईटी की टीम ने दावा किया है कि उनकी लिस्ट में कांग्रेस शासन के दौरान कई नौकरशाहों, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। इस सूची में पूर्व मंत्री के बेटे आदित्य भगत का नाम लाभार्थियों से रिश्वत लेने और कलेक्शन एजेंट के रूप में बताया जा रहा है । साथ ही टीम ने यह भी दावा किया है कि कांग्रेस शासन के दौरान लगभग 100 करोड़ रुपये रुपए का लेन-देन किया गया है । यह केवल आरंभिक आंकलन के आधार पर तय किया गया है । हालांकि अभी राशि का खुलासा आईटी विभाग ने नहीं किया है । आईटी की जांच में इस बात के सबूत भी मिले हैं कि अवैध कमाई का एक बड़ा हिस्सा,जो कि 250 करोड़ रुपये से अधिक है,इसका इस्तेमाल अचल संपçायों को खरीदने के लिए किया गया था। विभाग ने तलाशी अभियान के दौरान रायपुर महासमुंद राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पॉश धरमपुरा इलाके में स्थित प्रॉपर्टी से संबंधित दस्तावेज भी हाथ लगे हैं।
बंगाली जमीन के घोटाला
बंगाली जमीन के घोटाले में कुछ कलेक्टरों की अहम भूमिका रही है छोटे तबके के लोग जो 5 से 15-20 डिसमिल जमीन लेकर वर्षों से निवासरत हैं उस पर कलेक्टरों ने कोई कार्रवाई नहीं की जबकि बंगालियों ने भारत सरकार द्वारा प्रदत्त दो एकड़,तीन एकड़,चार एकड़ यहां तक की पूरे जमीन को भू माफिया को बेंच दिया जिसे प्लाटिंग कर करके भू माफिया भारी कीमतों में बेच रहे हैं इसकी भी जांच की जानी चाहिए वही जो छोटे तबके लोग वर्षों से घर बना कर रह रहे हैं उसपर भी भू माफियों की नजर है जो जमीन मालिकों से मिलकर उनके जमीन को खरीदते हैं व प्रशासन के सह पर गुंडागर्दी कर उन्हें बेदखली करने की कोशिश भी करते हैं इसकी भी जांच होनी चाहिए। इस मुद्दे की शिकायत पीएमओ से भी कर रहा है क्योंकि कुछ कलेक्टर इसमें दोषी इसलिए हैं क्योंकि वो यहाँ से ट्रांसफर आदेश आने के बाद ही बंगाली ज़मीन के लिए परमिशन आनन फानन में देते हैँ और चलते बनते हैं! जी एस धनंजय जो यहाँ कलेक्टर थे उन्होंने तो रिकॉर्ड बना डाला साथ ही सरगुजा से अलग कर सूरजपुर बना और यहाँ की महिला कलेक्टर ने तो ताबड़तोड़ परमिशन देकर भूमाफियाओं की चांदी कर दी। सूत्रों की माने तो संजीव कुमार झा ने भी मनपसंद लोगों को परमिशन दी, लेकिन कई आई ए एस जो नियम कानून जानते हैँ वो इससे दूर रहने में ही भलाई समझे!लकड़ी कारोबारी के यहाँ आई टी की रेड हुई यहाँ भी पैनी नज़र है, कई लोगों ने पहल को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस फर्जीवाड़े में प्रति एकड़ 20 से 30 लाख रूपये के कमीशन का खेल चलता है और भू माफिया हाथ पैर तोड़ने से लेकर जान से मारने तक की धमकी देकर कमजोरों से जबरन दबाब बना भी हस्ताक्षर करवा के अरबों का खेल खेल चुके हैँ जिसमें प्रशासन का पूरा सहयोग इन माफियाओ के साथ रहता हैं।
सहारा शहर का निर्माण हुआ अवैध
बता दें कि 150 एकड़ की विशाल संपत्ती उसी स्थान पर स्थित है जहां सहारा शहर का निर्माण प्रस्तावित था। इस संपçा की खरीद दो हिस्सों में की गई,जिसमें पहले हिस्से में 120 एकड़ जमीन और फिर दूसरी किस्त में 30 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। दोनों ही खरीद जांच के दायरे में बताया जा रहा हैं क्योंकि जिस कीमत पर 120 एकड़ जमीन खरीदी गई थी वह भारतीय स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड के नियंत्रण में होने के बावजूद कीमत से काफी कम है। साथ ही स्थानीय किसानों से शेष 30 एकड़ जमीन का सौदा 10 करोड़ रुपये से अधिक नकद के माध्यम से किया गया था। आईटी विभाग ने दावा किया है कि सभी भूमि सौदे,ज्यादातर ‘बेनामी’, पूर्व मंत्री भगत के इशारे पर हरपाल सिंह अरोड़ा द्वारा किए गए थे। साथ ही मंत्री भगत ने कांग्रेस शासन में मंत्री के रूप में अपने प्रभाव और शक्ति का उपयोग करते हुए दिसंबर, 2023 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से विकास और लेआउट भी पास करवा लिया। आईटी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने आयकर अधिनियम की धारा 131 के तहत कम से कम 15 किसानों के बयान दर्ज किए हैं, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्होंने मध्यस्थ कैलाश बजाज के माध्यम से हरपाल सिंह अरोड़ा को अपनी जमीन बेची थी। हरपाल अरोड़ा के अलावा पवन गुलानी और भागवत वर्मा का नाम भी इसमें शामिल किया गया है।
पूरे देश में विपक्ष के खिलाफ टेरर पैदा किया जा रहा
इस बारे में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि पूरे देश में विपक्ष के खिलाफ टेरर पैदा किया जा रहा है, आईटी भेजकर मुझे मानसिक रूप से प्रताडि़त किया गया। हर कमरे में आईटी की टीम थी और चप्पे-चप्पे में पुलिस का पहरा था। ऐसा लग रहा था कि दुनिया के सबसे बड़े बेइमान हम ही हैं।
क्या 23 साल पुराना रिश्ता चढ़ा भ्रष्टाचार की भेट?
सूत्रों का कहना है कि पूर्व मंत्री अमरजीत भगत और हरपाल सिंह अरोरा के बीच करीब 23 साल पुराना रिश्ता है। छाीसगढ़ में कांग्रेस सरकार से पहले और कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान आदिवासी नेता के रूप में मंत्री भगत की संपçा में भी बेतहाशा बढ़त हुई है। आईटी के पास लेन-देन के संबंध में पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। आईटी की टीम ने अंबिकापुर जिले से ही भगत के एक और करीबी सहयोगी राजू अग्रवाल से कड़ी पूछताछ की। इस दौरान अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण सबूत मिलने की बात बताई जा रही हैं। जो स्पष्ट कर रहे हैं कि पूर्व मंत्री भगत के कीरीबी अग्रवाल ने अपने संबंधों का लाभ उठाया और करोड़ों का लेनदेन किया। टीम ने उनके आवास को कर अधिकारियों ने सील कर दिया गया था। तलाशी अभियान के पांचवें दिन तक, लगभग 2.50 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की गई थी, साथ ही लगभग 3 करोड़ रुपये मूल्य के सोने के सिक्के और आभूषण भी आईटी की टीम ने जब्त किय है। आगे ऐसी जानकारी मिल रही है कि आईटी की जांच के बाद अब पूर्व मंत्री के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ सकता है। भगत से जुड़ी ‘बेनामी’ संपत्तीयों और उन्हें मदद पहुंचाने वालों तक भी केंद्रीय जांच एजेंसियां पहुंच सकती है।


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