बिलासपुर@पुलिस विभाग के सूबेदार को 10 साल बाद मिला न्याय

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हाईकोर्ट ने निरस्त किया आईजी का आदेश
बिलासपुर,05 फरवरी 2024 (ए)।
सालों तक चली लंबी लड़ाई के बाद पुलिस विभाग के सूबेदार को हाईकोर्ट से अब जाकर न्याय मिला है। उच्चाधिकारियों द्वारा रोकी गई पदोन्नति को लेकर दायर याचिका में हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद अफसर को प्रमोशन देने का फैसला सुनाया है।यह मामला मुंगेली जिले से जुड़ा हुआ है। संजय कुमार सूर्यवंशी सूबेदार के पद पर पुलिस अधीक्षक मुंगेली के कार्यालय में पदस्थ थे। 25 दिसंबर 2013 को आरक्षक परमेश्वर श्रीवास ने रक्षित केंद्र परिसर में नशे की हालत में स्वयं के बाएं हाथ की कलाई को काट लिया था। घटना के संबंध में आरक्षक द्वारा हाथ काटने का कारण सूबेदार संजय सूर्यवंशी द्वारा बार-बार मालिश के लिए बुलाना, गाली-गलौच करना बताया गया। इसके फलस्वरुप पुलिस अधीक्षक मुंगेली द्वारा 25 अक्टूबर 2017 को संजय कुमार सूर्यवंशी को उसके आगामी एक वेतन वृद्धि 1 वर्ष के लिए असंचायी प्रभाव से रोके जाने की सजा से दंडित किया गया।
‘सजा देने का
अधिकार नहीं’
छत्तीसगढ़ पुलिस विनियम की धारा 221 के तहत पुलिस अधीक्षक को शक्ति नहीं है कि वह सूबेदार को दंडित कर सके और उनका एक वेतन वृद्धि असंचायी प्रभाव से रोक सके, जिसके विरुद्ध संजय कुमार सूर्यवंशी ने पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज के समक्ष अपील प्रस्तुत किया, किंतु पुलिस महानिदेशक बिलासपुर रेंज द्वारा भी अपने आदेश 29 सितंबर 2017 को एक वेतन वृद्धि 1 वर्ष के लिए संचय प्रभाव से रोके जाने का दंड से दंडित किया गया, जिसके विरुद्ध संजय कुमार सूर्यवंशी द्वारा एक अभ्यावेदन पुलिस महानिदेशक रायपुर में प्रस्तुत किया गया किंतु पुलिस महानिदेशक रायपुर द्वारा 5 दिसंबर 2018 को संजय कुमार सूर्यवंशी द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन को अमान्य कर दिया गया।
पदोन्नति को कर
दिया गया निरस्त
इसी बीच पुलिस मुख्यालय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सूबेदार से रक्षित निरीक्षक के पद पर पदोन्नति हेतु योग्यता सूची का प्रकाशन किया गया जिसमें संजय कुमार सूर्यवंशी का नाम सरल क्रमांक एक पर था, किंतु पुलिस महानिदेशक रायपुर द्वारा अपने आदेश दिनांक 29 अक्टूबर 2018 को संजय कुमार सूर्यवंशी रक्षित निरीक्षक के पद पर दी गई पदोन्नति को निरस्त कर दिया गया, यह कहते हुए कि पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज द्वारा दिया गया आगामी एक वेतन वृद्धि 1 वर्ष के लिए असंचायी प्रभाव से रोके जाने का दंड वर्तमान में प्रभावशील है, इसलिए संजय कुमार सूर्यवंशी का नाम उक्त योग्यता सूची से पृथक किया गया है।
हाईकोर्ट की लेनी पड़ड़ी शरण
संजय कुमार सूर्यवंशी द्वारा एक वेतन वृद्धि रोके जाने तथा रक्षित निरीक्षक पदोन्नति पद निरस्त हो जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसकी सुनवाई न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे के यहां हुई। याचिका में यह आधार लिया गया कि पुलिस विभाग द्वारा याचिकाकर्ता के ऊपर दंडाधिरोपित करने की प्रक्रिया, जो छत्तीसगढ़ सिविल सर्विसेज वर्गीकरण और अपील नियम 1966 की धारा 14 की उप धारा 3 से 23 तक का पालन नहीं किया गया है। दंड अधिरोपित करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया है।


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