सत्तापक्ष करता रहा मनमानी,विपक्षी प्रत्याशी ढूंढते रहे आसपास सहारा,नहीं करा पाया निष्पक्ष चुनाव
रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 21 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में पहली बार नगरपालिका चुनावों में दिखा प्रशासनिक हस्तक्षेप, सत्तापक्ष करता रहा मनमानी, विपक्षी प्रत्यासी ढूंढते रहे आसपास सहारा, सत्तापक्ष की गिरफ्त में ऐसा फंसा रहा प्रशासन, नहीं करा पाया निष्पक्ष चुनाव, मारपीट सहित पूरे मतदान समय मे कई जगह बनी रही अराजक स्थिति, भाजपा के 15 सालों की लोगों को याद आई, कइयों ने कहा कम से कम अराजक नहीं थी तब की स्थिति।
छतीसगढ़ में सम्पन्न हुए 15 नगरीय निकाय चुनावों में मतदान के बाद यह साबित हो गया कि सत्तापक्ष का प्रशासन पर इस तरह का नियंत्रण रहा कि प्रशासन कहीं भी कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने के दरम्यान कानून व्यवस्था न्याय पूर्ण तरीके से कायम करा पाने में असफल रहा हर जगह सत्तापक्ष प्रशासन पर जहां भी कहीं मतदान के दौरान विवाद की स्थिति निर्मित हुई हावी रहा और अपनी मनमानी करता रहा यही देखने को मिला। नगरीय निकाय चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करने की सत्तापक्ष की हड़बड़ी इस कदर सत्तापक्ष पर हावी रही कि मान मर्यादा आपसी संबंध तो एक तरफ लोकतंत्र की भी परवाह नहीं कि गई जैसा कि जगह जगह जहां जहां भी विवाद की स्थिति निर्मित हुई से समाचार प्राप्त हुए। जिन भी निकायों में यदि सत्तापक्ष के विरोध में लड़ रहे प्रत्यासी या उसके समर्थक ने जरा सी भी मनमानी के विरोध में सत्तापक्ष के मुंह खोला या तो वह मारपीट में मार खाने की नौबत तक पहुंचा या फिर किसी तरह की भविष्य में देख लेने की धमकी उसको मिली,कुल मिलाकर सत्तापक्ष पूरे उत्साह के साथ मैदान में मनमानी करता रहा वहीं सत्तापक्ष के विरुद्ध प्रत्यासी व उसके समर्थकों के विरोध को प्रशासन दबाता रहा।
छत्तीसगढ़ में नगरीय चुनावों में जिस प्रकार का इसबार सत्तापक्ष का रवैया रहा साथ ही प्रशासन का जो रुख सत्तापक्ष के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे लोगों के लिए रहा उसको लेकर यह आम चर्चा का भी विषय बन चुका है कि कहीं न कहीं बाहुबल देखने को मिला जो 15 सालों तक इसके पीछे देखने को नहीं मिला,तबके चुनावों में चुनाव अमूमन निष्पक्ष हुए और सत्तापक्ष उस समय का सभी के लिए प्रशासन को निष्पक्ष रहने दिया करता था। कोरिया जिले के नजरिये से भी चुनाव बेहद संवेदनशील रहा और विवादों और पुलिस की सुरक्षा के बीच ही चुनाव संपन्न हो सका जबकि कहीं कहीं छीट फुट तो कहीं कहीं बड़े विवादों की भी सूचना मिली।
चुनाव में जिला विभाजन के मुद्दे का नहीं दिखा असर
कोरिया जिले के चुनावों में जिस प्रकार आरंभ में लगा कि जिला विभाजन का असर देखा जाएगा और जिलेवासी खासकर शहरवासी जिला विभाजन सहित कोरिया जिले के साथ हुए अन्याय जिसकी की बात लगातार जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में जिला बचाव मंच बनाकर की जा रही थी का असर चुनाव में कहीं देखने को नहीं मिला,जिले में दोनों नगरपालिकाओं में जिस प्रकार प्रत्याशियों ने जमकर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए मेहनत किया प्रचार किया उसी तरह मतदाताओं ने भी चुनाव में पूरे उत्साह से भाग लिया और मतदान किया। चुनाव पूर्व चुनाव बहिष्कार जैसे विषय चुनाव की घोषणा होते ही विलुप्त होते चले गए गुम होते चले गए और चुनाव के मतदान दिवस तक जिला विभाजन जैसा कोई मुद्दा कहीं नजर नहीं आया यह भी इस चुनाव की खूबी कही जा सकती है। केवल एक आश्वासन शासन की तरफ से सत्तापक्ष के लोगों ने जारी किया और जिले विभाजन का अन्याय न्याय में परिवर्तित हो गया और सभी इस मामले को भूलकर चुनाव में कूद पड़े।
जीत का सबका है अपना अपना दावा
जिले की दोनों नगरपालिकाओं बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा में चुनाव संपन्न होते ही मतदान होते ही अब सभी दलों और प्रत्याशियों द्वारा अपनी अपनी जीत का दावा किया जा रहा है। समर्थक भी अपने अपने प्रत्याशियों की जीत का अपना अपना दावा एक दूसरे के समर्थकों के सामने रख रहें हैं, अब मतदाताओं ने अंतिम रूप से किसे अपने वार्ड का नेता चुनकर उसके भाग्य का फैसला मतपेटियों में बंद किया है यह तो 23 दिसम्बर को पता चल सकेगा लेकिन शहर में यदि अभी इस सर्द ठंड में गर्मी का एहसास जारी है तो वह चुनावी परिणामों के घोषित होने तक गर्म ही रहने वाला एहसास है जो अब 23 दिसम्बर तक शहर के माहौल को गर्म ही बनाये रखेगा।