करंट लगाकर किया गया हाथी का शिकार फिर हाथी के शव को काटकर किया गया अलग-अलग जगह दफन
-सोनू कश्यप-
प्रतापपुर,29 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। प्रतापपुर विकासखंड में जंगली हाथियों का शिकार सहित वन प्राणियों का संरक्षण वन विभाग के अधिकारी ठीक ढंग से नहीं कर पा रहे हैं तथा जानवरों के नाम से खाना पूर्ति करते हुए करोड़ों रुपए शासन से हजम किया जा रहा हैं वन विभाग के अधिकारियों को यह भी नहीं मालूम की हाथी कहां और किस दिशा की ओर है उसके बावजूद भी ग्रामीण किस कदर हाथियों को मौत के घाट उतार दे रहे हैं यह कोई नई घटना नहीं है। घूई रामकोला, परिक्षेत्र का यह दिल दहला देने वाला मामला सामने आने के बाद में वहीं शासन प्रशासन व वन विभाग के आला अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं।
आज तड़के मिले खबर के अनुसार ग्राम गिरिया वन परिक्षेत्र घुई रामकोला के जंगल में लगभग 45 दिवस पूर्व पीएफ 244 में जंगली जानवर के शिकार के लिए विद्युत तार करंट लगाकर मादा हाथी की करंट लगा देने की वजह से मौत हो गई थी जिसमें लगभग 8 से 10 आरोपी होने का अंदेशा है सभी आरोपी ग्राम भूरिया के निवासी हैं आरोपियों ने मृत मादा हाथी को 12 अलग-अलग टुकड़े में टांगी से कटकर अलग-अलग 12 जगह पर हाथी के टुकड़े को जंगल में ही दफन कर दिया गया था। लगभग एक माह गांव के ही कुछ लोगों ने बड़े-बड़े गड्ढे में हाथी के टुकड़ा का खबर वन विभाग को दिया तथा मुखबिर के सूचना के अनुसार यह पता चला कि गांव के ही कुछ लोग करंट से हाथी को मार कर 12 टुकड़ों में काटकर अलग-अलग 12 जगह में हाथी के शव को दफना दिए हैं तथा मुख वीरों की सूचना अनुसार स्थलों का पहचान करने के बाद वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देशन एवं मार्गदर्शन में आज युक्त स्थान का मुएना करते हुए मृत हाथी के शव को अलग-अलग जगह से बाहर निकल गया। जिसमें चार लोगों को वन विभाग में हिरासत में लेते हुए पूछताछ प्रारंभ किया है हाथी को मौत के घाट उतारने में नरेंद्र सिंह, जानू, चंद्र चौथा आरोपी माधव गिरफ्तार कर आरोपियों से कड़ी पूछताछ हिरासत में लेते हुए की जा रही है बाकी आरोपी अभी फरार बताए जा रहे हैं पकड़े गए चारों आरोपी ने मामला का खुलासा करते हुए बताया कि इसमें काफी संख्या में लोग शिकार के दौरान हाथी की मौत हो गई थी जिनको डर के मारे जंगल में अलग-अलग जगह हाथी के शव को काटकर 12 टुकड़ों में 12 जगह दफन कर दिया गया। लगातार हाथी की मौत और वन प्राणियों का शिकार करने के फिराक से लगातार वन प्राणियों की हत्या की जा रही है वही वन विभाग के सुदूर वनांचल क्षेत्र जो की प्रतापपुर क्षेत्र के अंतिम सीमा में होने के कारण अधिकारियों का चारागाह का अड्डा बना हुआ है जिले के बड़े अधिकारी निरंतर जांच नहीं करने के वजह से वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के वजह से ही लगातार हाथियों की निरिसंश हत्या हो रही है।