कोरिया/सोनहत@क्या सोनहत विकासखंड में जनपद सीईओ की चल रही है मनमानी…?

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  • आधा दर्जन से अधिक पंचायत सचिवों को एक पंचायत से ज्यादा का अतिरिक्त व वित्तीय प्रभार आखिर क्यों?
  • जनपद सीईओ का पहले की कांग्रेस सरकार में चलता था दबदबा…क्या अब पद पर बने रहने भाजपाईयों के बन रहे करीबी?
  • क्या सीईओ की मनमानी पर लगेगा लगाम क्या कोई लेगा संज्ञान?
  • क्या जनपद सीईओ साहब अपनी निजी वाहन में सीईओ का बोर्ड लगवा अपने सीईओ होने का झाड़ रहे रौब?


-रवि सिंह-
कोरिया/सोनहत 23 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। सोनहत मुख्यालय अन्तर्गत जनपद पंचायत सोनहत के सीईओ साहब की मनमानी चरम पर है। ख़बरों के मुताबिक जनपद सीईओ द्वारा जनपद पंचायत सोनहत के 42 पंचायतों के लगभग 34 पंचायत सचिवों में आधे दर्जन से अधिक पंचायत सचिवों पर जमकर मेहरबानी दिखा रहे हैं। और गलत तरीके से अपने अधिकार का उपयोग कर अतिरिक्त व वित्तीय प्रभार पंचायत सचिवों को सौंप चुके हैं। अतिरिक्त प्रभार वाले इस सूची में कुछ ऐसे भी पंचायत सचिव शामिल हैं जिन्होने विधानसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी के लिए खुलकर काम किया था। ऐसे में सवाल है कि आखिर सरकार बदलने के बाद भी उक्त सचिवों पर जनपद सीईओ ने किसके सह पर मनमाने ढंग से प्रभार दिया है। जबकि नियमानुसार एक सचिव को एक पंचायत का जिम्मा मिलना चाहिए था। लेकिन जनपद सीईओ ने अपने खास इन पंचायत सचिवों को मलाई काटने के लिए दो-दो जगह का प्रभार दे रखे हैं,जिसे कहीं न कहीं सीईओ की मनमानी या लापरवाही कहा जा सकता है।
अपनी निजी वाहन में सीईओ का बोर्ड लगवा झाड़ रहे सीईओ गिरी?
जनपद सीईओ सोनहत अपनी निजी वाहन में सीईओ जनपद पंचायत सोनहत का बोर्ड लगवाकर अपना रौब भी झाड़ रहे हैं। निजी वाहन में पदनाम लिखना जायज और नियम अनुसार शायद गलत है फिर भी जनपद सीईओ की अपनी निजी वाहन में सीईओ लिखा बोर्ड लगा हुआ है। जनपद सीईओ सोनहत की निजी वाहन में लगा बोर्ड यह भी बताता है की कानून का पालन करना अधिकारियों के लिए अनिवार्य नहीं है वहीं आम आदमी की एक गलती पर जुर्माना तय है,वैसे जिले के अधिकांश अधिकारियों की निजी वाहनों में पदनाम का बोर्ड लगा नजर आ रहा है,राजस्व अधिकारियों में से कई तो इतना बड़ा बड़ा बोर्ड निजी गाडि़यों में पदनाम का लगाकर चल रहे हैं जिसके आगे उनकी महंगी गाडि़यों का भी रंग फीका है केवल पदनाम का ही बोर्ड गाड़ी में नजर आता है।
क्या सीईओ की मनमानी पर होगी कार्यवाही?
जनपद क्षेत्र अंतर्गत आधे दर्जन से अधिक सचिवों को सूनियोजित तरिके से संलग्ननीयकरण कर लगातार की जा रही मनमानी के विरुद्ध जनपद सीईओ पर जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करेगा या सीईओ को नेताओं का साथ मिलेगा देखने वाली बात होगी। जनपद सीईओ फिलहाल पूरी तरह मनमानी करते नजर आ रहे हैं जिससे कहीं न कहीं सरपंच भी परेशान हैं।
सरपंच पर बना रहे दबाव
जनपद सीईओ द्वारा एक सचिव को ग्राम पंचायत में ज्वाइनिंग देने के लिए ग्राम पंचायत के सरपंच पर भारी दबाव बनाया जा रहा है, जबकि उक्त सचिव को ग्राम पंचायत सरपंच द्वारा पदभार न देने को लेकर जनपद सीईओ तथा कलेक्टर को आवेदन दिया है। सौंपे गए आवेदन पत्र में सरपंच ने स्पष्ट तौर पर लिखा है कि उक्त सचिव का ग्राम पंचायत के पंच व सरपंच विरोध कर रहे हैं क्योंकि उक्त सचिव उसी पंचायत का निवासी है और पूर्व में उसी पंचायत में कार्य भी कर चुका है। लेकिन उनकी कार्यशैली जनहित में देखने को नहीं मिला इस कारण पंच सरपंच इनको पुनः उसी ग्राम पंचायत में नहीं रखना चाहते। अब ऐसे में सीईओ साहब ग्राम पंचायत के सरपंच पर क्यों दबाव बना रहे हैं, जनपद सीईओ सवालों के घेरे में है। तथा लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों पर किसी कार्य के लिए दबाव बनाना जनपद सीईओ की ऐसी मनमानी व कार्यशैली अपराध की श्रेणी में आता है।
इन सचिवों पर है जनपद सीईओ की मेहरबानी
ग्राम पंचायत अकलासरई में पदस्थ सचिव प्रयास को ग्राम पंचायत किशोरी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, वहीं आंनदपुर सचिव उदयराज सिंह को दसेर में अतिरिक्त प्रभार,बसेर के लालमन को कचोहर का अतिरिक्त प्रभार, बेलिया के सचिव रामप्रकाश साहू को कैलाशपुर का प्रभार ,कटगोडी सचिव कमलकान्त को मझारटोला का अतिरिक्त प्रभार, सचिव अजय पांडेय को मझारटोला का वित्तीय प्रभार,नटवाही सचिव बृजलाल को रामगढ़ पंचायत का अतिरिक्त प्रभार, सोनहत सचिव रामलाल को राउतसरई तथा ग्राम पंचायत सिंघोर सचिव कैलाश गुप्ता को उज्ञाव पंचायत का अतिरिक्त प्रभार जनपद सीईओ की खास मेहरबानी व मनमानी पर मिला हुआ है।
अटैच का खेल
सूत्रों से मिली नकारी के मूताबिक आधे दर्जन से अधिक अपने चहेते पंचायत सचिवों को तो जनपद सीईओ ने अतिरिक्त व वित्तय प्रभार दिया हुआ है लेकिन एक पंचायत सचिव को रौब दिखाते और अपने मनमानी पर उतारू सीईओ ने जनपद में अटैच करवा दिया है। जिससे सीईओ की मनमानी और अतिरिक्त व विçाय प्रभार में बड़ा खेल सीईओ द्वारा खेला गया है साबित भी होता है।
क्या जनपद सीईओ साहब की सेटिंग तगड़ी है?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनपद सीईओ ने सोनहत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी बनने के लिए लंबी जूगाड लगाई थी और तत्कालीन कांग्रेस विधायक से सीधी सेटिंग कर सीईओ भी बन गए। बात यहीं खत्म नहीं हुई सरकार बदल गई लेकिन साहब का रुतबा नहीं बदला यहां भी कुछ सत्तापक्ष के नेताओं का नाम लेकर सीईओ साहब मनमानी करते हुए देखे जा रहे हैं, अब सवाल है कि साहब को ऐसे किन लोगो का संरक्षण प्राप्त हो गया कि साहब की मनमानी जोरो पर चल रही है।


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