- बंशु को आगे कर भू-माफियाओं ने रची है शासकीय भूमि को निजी करने की पूरी कहानी…कहानी में राजस्व विभाग के नजुल अधिकारी का किरदार बड़ा
- जमीन का पूरा मामला कमिश्नर व कलेक्टर के संज्ञान में फिर भी आज तक उस जमीन की खरीदी बिक्री में रोक नहीं लग पाई…
- चौक चौराहा सहित शासन की स्वीकृत भवन जमीन के अभाव में बनता नहीं पर वही शासकीय भूमि हो जाती निजी कैसे ?
- क्या राजस्व विभाग शासकीय भूमि को निजी हाथों में देने के लिए बैठा है?
- शासकीय जमीन बचाने की पहल क्यों नहीं करती कोई भी सरकार?
- जब शासन को निर्माण करना होता है तो भूमि खोजती है पर वही भू-माफिया शासकीय भूमि खोज कर निजी करा लेते हैं
- अंबिकापुर शहर की बेस कीमती जमीन हो गई निजी पर खबर प्रकशन के बाद भी राजस्व विभाग के कानों मे जूं तक नहीं रेंगी
- क्या 60 करोड़ की जमीन नामांतरण के मामले में होगी जांच?
-भूपेन्द्र सिंह-
अंबिकापुर 11 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। एक समय था जब लोग अपनी निजी जमीन लोगों के भलाई के लिए दान दे दिया करते थे, पर आज का दौर ऐसा है कि लोग शासकीय जमीन को भी अपना जमीन बनाने से बाज नहीं आ रहे और यह सब सिर्फ हो रहा है तो वोट बैंक की राजनीति से जमीन का बढ़ता व्यापार और भूमाफिया की सक्रियता शासकीय भूमि के लिए खतरा बन चुकी है, वहीं भूमि की रक्षा करने वाला विभाग भी अपनी ड्यूटी शासकीय भूमि को बचाने के लिए नहीं शासकीय भूमि को लूटने के लिए करता दिख रहा है,ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि ऐसे कई उदाहरण इस समय देखने को मिल जाएंगे। क्या राजस्व विभाग शासकीय भूमि को निजी हाथों में देने के लिए बनाया गया है? यह सवाल इस समय सबसे बड़ा सवाल है, क्योंकि शासकीय भूमि निजी हाथों में जाती दिख रही है और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है निरंकुश राजस्व विभाग,इसके ऊपर किसी का लगाम नहीं है और यह लगाम पिछले 10 सालों से हटा हुआ है क्या वर्तमान सरकार इस मामले पर लगाम लग पाएगी या फिर से पूर्ववर्ती सरकारों के जैसे ही यह चला जाएगा,ऐसा ही एक मामला अंबिकापुर शहर का है जहां सबसे प्रसिद्ध राज मोहिनी देवी कॉलेज के पास की बसें कीमती जमीन भू-माफिया व राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से निजी हाथों में जाती दिख रही है, अखबार के पन्ने रंगे जा रहे हैं और बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार हुआ है शासकीय जमीन को बचा लीजिए पर शासकीय जमीन को बचाने में राजस्व विभाग बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा ऐसा लग रह है कि निजी हाथों में ही राजस्व विभाग उस बेस कीमती जमीन को देना चाहता है और देकर कर्मचारी अपना पैकेट भरना चाहते हैं।
ज्ञात हो की शासकीय जमीन की हेराफेरी के लिए अंबिकापुर शहर कई वर्षों से बदनाम रहा है। यहां के कुछ राजस्व कर्मचारियों और भू-माफियाओं के बीच तगड़ी सेटिंग किसी से छिपी नहीं है। इसी तगड़ी सेटिंग का परिणाम है कि खसरा नंबर 243/1 में से रकबा 1.710 डिसमिल भूमि स्थित ग्राम नमना कला, तहसील अम्बिकापुर जिला सरगुजा छ.ग. को फर्जी तौर से नजूल अधिकारी तथा नजूल अधिकारी के लिपिक एवं नमना कला के हल्का पटवारी द्वारा भू-माफियाओं से मिलकर 60 करोड़ रूपये की भूमि का फर्जी तौर से नामांतरण कर 04 करोड़ रूपये की अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा धन उगाही कर भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रहा करने के। जिसकी शिकायत भी हुई पर कार्यवाही कब का सवाल आज भी बना हुआ है। ज्ञात हो कि अंबिकापुर शहर के नमनाकला राजमोहिनी देवी के पीछे बेशकीमती जमीन का घोटाला कर दिया गया। नियम विरुद्ध तरीके से 60 करोड़ रूपये की भूमि का फर्जी तौर से नामांतरण कर दिया गया। जिस व्यक्ति के नाम जमीन का नामांतरण किया गया उसका कजा कभी भी उस जमीन पर नहीं था लेकिन सूत्रों की माने तो चार करोड़ रूपये की सेटिंग में कुछ कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से जमीन का नामांतरण कर दिया। नामांतरण से पहले ही जमीन पर दूसरे लोगों का निर्माण था। राजस्व अभिलेखों में नाम अंकित होते ही संबंधित व्यक्ति ने उक्त जमीन को नियम विरुद्ध तरीक¸े से बेचना भी शुरू कर दिया है। मामले में नजूल अधिकारी कार्यालय के एक लिपिक तथा नमनाकला के हल्का पटवारी की भूमिका संदिग्ध है। मामले की शिकायत मनीष सिंह व कमल सिंह ने कलेक्टर सरगुजा से की है। इस शिकायत के सामने आने के बाद गड़बड़ी में संलिप्त अधिकारी, कर्मचारी बचाव की मुद्रा में आ गए हैं।
विभाग का ऐसा कमाल की हाईकोर्ट में लंबित है प्रकरण और निर्णय सुना दिया नजूल न्यायालय ने
शहर के राजमोहिनी देवी भवन के पीछे 60 करोड़ की जमीन फर्जीवाड़ा के मामले में कार्रवाई की प्रतीक्षा है…इस मामले ने राजस्व व नजूल विभाग के कुछ कर्मचारियों के स्वेच्छारिता की पोल खोल कर रख दी है । जिस बेशकीमती जमीन पर 50 वर्ष बाद कजा बताकर नामांतरण कर दिया गया उस जमीन का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय से फैसला आने से पहले ही स्थानीय स्तर पर चार करोड़ रुपये में सेटिंग कर 60 करोड़ की जमीन का फर्जी तरीके से नामांतरण कर दिया गया। राजस्व व नजूल विभाग के जिन कर्मचारियों ने यह गड़बड़ी की है उनके द्वारा भू-माफिया के रूप में कार्य किया जा रहा है। एक तीसरे व्यक्ति को सामने खड़ा कर बेशक¸ीमती जमीन को उसके नाम कर खुद जमीन बिक्री की जा रही है। अंबिकापुर शहर व इसके आसपास के इलाके में पहुंच और प्रभाव के दम पर जमीन फर्जीवाड़ा कमाई का सबसे बड़ा माध्यम रहा है। जमीन के धंधे में कई शासकीय कर्मचारी भी लाल हो चुके हैं। उन्हें किसी कार्रवाई का भी डर नहीं रहता है। यही कारण है कि उच्च अधिकारी भी सब कुछ जानते हुए शांत बैठे हुए हैं। इस मामले में अभी तक प्रशासनिक स्तर पर जांच के आदेश नहीं हुए हैं। नए साल के स्वागत और पुराने साल के विदाई में उच्च प्रशासनिक अमला भी व्यस्त है लेकिन जमीन फर्जीवाड़े के इस मामले में जनहित में जब तक कार्रवाई नहीं हो जाती तब तक इस गड़बड़ी की कहानी सामने लाई जाएगी। शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान कर अपनी जेबें भरने वालों को यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता। उनकी काली कमाई के चिट्ठे सामने लाकर उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को कार्रवाई के लिए मजबूर किया जाएगा।
शासन को अपने निर्माण कार्यों के लिए नहीं मिल रही भूमि और भू-माफिया शासन की भूमि पर कर रहे कजा
शासन से यदि कोई मांग की जाती है ताकि किसी समाज का भला हो सके चाहे उसके लिए भवन हो या फिर स्कूल हो या फिर चौक चौराहे हो जब भी मांग होती है घोषणा भी होती हैं, पर मामला फंस जाता है सिर्फ जमीन के अभाव में,क्योंकि सरकार कहती है की जमीन बताइए कहां है? वही स्वीकृत व घोषणा वाली मांगों को पूरा करने के लिए शासन जमीन नहीं खोज पाती पर शासन की जमीन भू-माफिया खोज कर निजी जरूर कर लेते हैं, आखिर ऐसा कब तक चला आएगा? क्या जब तक की शासकीय पूरी जमीन निजी ना हो जाए? कहीं एक दिन ऐसा ना आए की सरकारी भवन भी निजी हाथ में हो जाए।
क्या भू-माफिया के सामने राजस्व विभाग नासमस्तक ?
बेस कीमती शासन की भूमि को भू माफिया राजस्व विभाग के साथ मिलकर बड़ी चतुराई से किसी को बिना भनक लगे बंशु नाम के व्यक्ति को आगे कर भूमि को निजी कर लिया, अब उसे भूमि को प्लाटिंग कर बेच रहे हैं कई सारे टुकड़े उस में से बेचा जा चुका है और बाकी की बिक्री चालू है, इतने बड़े मामले की शिकायत होने के बावजूद व लगातार खबरों में प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन इस पर कोई भी कार्यवाही नहीं कर रही, यहां तक की जमीन की खरीदी बिक्री पर भी रोक नहीं लगा है लगातार निर्माण हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि बड़े-बड़े लोग इसके पीछे हैं जिस वजह से प्रशासन भी कार्रवाई करने से डर रहा है।
भूमि सरगुजा स्टेट सेटेलमेंट के अनुसार गोचर मद में थी दर्ज
जबकि उक्त भूमि नगर सीमा से सटी हुई है, जिसके अनुसार वह भूमि राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार किसी भी परिस्थिति किसी को 01 वर्ष से के लिए कृषि कार्य से अतिरिक्त पट्टे पर प्रदान नहीं की जा सकती साथ ही यह उल्लेखनीय है कि उक्त भूमि सरगुजा स्टेट सेटेलमेंट के अनुसार गोचर मद में दर्ज है, जिसका किसी भी स्थिति में पट्टा प्रदान नही किया जा सकता है।इन सब तथ्यों को प्रकरण में विद्यमान होने के बाद भी तात्कालीन नजूल अधिकारी ने उक्त विधि विरूद्ध आदेश पारित कर शासन को 60 करोड़ रूपये की क्षति पहुंचाई है जिसकी जांच उच्च स्तरीय स्तर पर कर कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। क्योंकि यह राजस्व पत्रों की हेराफरी कर भू माफियाओं से मिलकर तात्कालीन नजूल अधिकारी तथा उनका लिपिक और नमनाकला का हल्का पटवारी गणेश मिश्रा व राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह और भू माफिया के द्वारा किया गया भू घोटाला बताया जा रहा है जिसकी जांच करने से स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि किस तरह से राजस्व अधिकारी भू माफियाओं से मिलकर सरगुजा जिले और खास तौर से अंबिकापुर तहसील में भूमि का करोड़ो घोटाला कर रहे हैं।