बैकुण्ठपुर @ बैंक शाखाओं में तालाबंदी के कारण करीब 200 करोड़ का वित्तीय कारोबार ठप रहा

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संवाददाता-

बैकुण्ठपुर 17 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)।  सरकार द्वारा बैंकों का निजीकरण के तहत बैंकिंग कानून के संशोधित विधेयक 2015 को संसद में प्रस्तुत करने की मंशा का बैंक यूनियन ने विरोध दर्ज करते हुए 16 व 17 दिसंबर को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का आवाहन कर दिया है। जिसे देखते हुए 2 दिन सरकार के विरोध में बैंकों में कामकाज ठप रहेंगे और लेन-देन प्रभावित होगा। सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण करने के साथ-साथ बैंकिंग कानून में संशोधन करते हुए विधेयक 2015 को संसद में पेश करने की तैयारी की गई है जो बिल्कुल भी सही नहीं है इसे लेकर सरकारी बैंक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले बैंक कर्मचारी बैंको के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं और बैंकिंग कानून में जो संशोधन हो रहे हैं वह बिल्कुल भी देश हित में नहीं है। जिला संगठन सचिव सैयद नफीस अहमद ने बताया कि हमारे सभी संघ एवं साथी इस बैंक निजीकरण नियमोँ से अवगत है और भारत जैसे विकासशील देश में जहां बैंक बड़ी संख्या में जनता के बचत से सरोकार रखती है वहीं बैंकों को व्यापक आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए अग्रिम भूमिका का निर्वहन करना होता है सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग के साथ सामाजिक अनु स्थापना की उचित एवं अनिवार्य आवश्यकता होती है इसलिए पिछले 25 वर्ष से हम यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले बैंकिंग सुधार की नीतियों के विरोध कर रहे हैं जिनका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र में बैंकों को कमजोर करना है इस सरकार की इस नीति को लेकर कई यूनियन हड़ताल पर है और इस नीति का विरोध कर रहें है।

हड़ताल के चलते 200 करोड़ का वित्तीय कारोबार ठप रहने का दावा

सरकार के प्रस्तावित बैंक निजीकरण बिल के विरोध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर बैंक कर्मी बृहस्पतिवार को हड़ताल पर रहे। दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन जिले के करीब 250 बैंक कर्मी हड़ताल को लेकर कार्यालय के सामने एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के जिला संगठन सचिव सैयद नफीस अहमद ने दावा किया कि बैंक शाखाओं में तालाबंदी के कारण करीब 500 करोड़ का वित्तीय कारोबार ठप रहा। प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि गांवों में सरकारी बैंकों की 28921 शाखाएं हैं, जबकि निजी बैंकों की 7232 शाखाएं हैं। सरकारी बैंकों ने स्वनिधि योजना में 476966 पटरी दुकानदारों को ऋण दिया, जबकि निजी बैंकों ने सिर्फ 2187 ऋण दिए। इसी प्रकार सरकारी बैंकों ने 36 करोड़ जनधन खाते खोले, जबकि निजी बैंकों ने मात्र 1.26 करोड़ खाते ही खोले। शिक्षा ऋण में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी लगभग 95 फीसद है। इसलिए बैंक का निजीकरण किसी तरह जनता के हित में नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में निजी क्षेत्र का लगभग दो लाख अस्सी हजार करोड़ ऋण माफ कर दिया है जो कि यह दर्शाता है कि यह सरकार निजी क्षेत्र को जनता का धन अंधाधुंध तरीके से बांटने पर लगी हुई है। इसी कड़ी में सरकारी बैंकों को कॉरपोरेट को देने की तैयारी कर रही है।


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