- तबादले के 15 दिन बाद भी पुलीसकर्मी नही पहुचे अपने नवीन पदस्थापना स्थल तक।
- पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण रुकवाने एक मंत्री से मिले उप निरीक्षक,20 मिनट हुई चर्चा।
- एक उप निरीक्षक प्रधान आरक्षक सहित आरक्षक का स्थानांतरण क्यों चाहते हैं रुकवाना,आखिर इसके पीछे क्या है वजह?
- जिले से स्थानांतरण पश्चात रवानगी मिलने उपरांत भी नवीन पदस्थापना स्थल पर नहीं दे रहे आमद प्रधान आरक्षक और आरक्षक।
-रवि सिंह-
एमसीबी 03 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। नवीन जिले एमसीबी के कुछ प्रधान आरक्षक साथ ही आरक्षकों के तबादला आदेश में रुकावट डालकर या अन्य तबादला आदेश जारी करवाकर उनकी पुनः एमसीबी जिले में वापसी के लिए एक पुलिस विभाग के उप निरीक्षक परेशान हैं वहीं वह तबादला रुकवाने की गारंटी लेने के बाद परेशान हैं ऐसी सूचना सूत्रों से पता चल रही है।
सूत्रों की माने तो एमसीबी जिले के प्रधान आरक्षक साथ ही आरक्षकों जिनकी लगातार शिकायत सामने आ रही थी वहीं जो वर्षों से एक ही पुलिस थाने या एक ही जिले में पदस्थ थे उनका आईजी सरगुजा ने पिछले दिनों बलरामपुर जिले के लिए तबादला कर दिया था वहीं तबादला आदेश जारी होने उपरांत यह सभी रवानगी भी एमसीबी जिले से ले चुके थे वहीं रवानगी लेने के बाद वह अभी तक नवीन पदस्थापना स्थल तक नहीं पहुंचे थे वह तबादला निरस्त कराने के चक्कर में लगे हुए थे जिसका प्रयास उनका अब जारी नजर आ रहा है और एक पुलिस विभाग के ही उप निरीक्षक उनकी यह मंशा पूरी करने की गारंटी ले चुके हैं जो बताया जा रहा है। पुलिस विभाग के वह उप निरीक्षक जिन्होंने यह ठेका लिया है वह अब मंत्री जी के दरबार में पहुंचे हैं जहां से यह सूचना बाहर आई है और बताया जा रहा है की उप निरीक्षक की मंत्री जी से 20 मिनट चर्चा हुई और जिसके बाद वह बाहर निकले। मंत्री जी ने उन्हे क्या आश्वासन दिया यह तो पता नहीं चल सका लेकिन मुलाकात प्रधान आरक्षक और आरक्षक जिनका तबादला नवीन जिले एमसीबी से बलरामपुर जिले के लिए किया गया है उनका तबादला रुकवाने के लिए थी यह बात जरूर समाने आई है।
आईजी सरगुजा ने इन्हे जिले से हटाना ही बेहतर समझा कानून व्यवस्था के हिसाब से
बता दें की यह प्रधान आरक्षक और आरक्षक कोरिया संयुक्त जिला और नवीन एमसीबी जिले में ही सेवा देते चले आ रहे थे और इनका कार्यकाल ज्यादातर गृह थाना क्षेत्रों में ही संपन्न होता चला आया था और यह काफी चर्चित प्रधान आरक्षक और आरक्षक माने जाते हैं क्योंकि इनका नाम हर उस मामले में सामने आता रहता था जिसमे किसी को परेशान किए जाने की बात शामिल होती थी या किसी अवैध कारोबार में संलिप्तता की बात समाने आती थी। यह ऐसे नाम थे जिनकी शिकायत इतनी थी की निरीक्षण में पहुंचे आईजी सरगुजा ने इन्हे जिले से हटाना ही बेहतर समझा कानून व्यवस्था के हिसाब से।
एमसीबी जिले में लाने की जिम्मेदारी एक उप निरीक्षक ने ली है
वैसे अब इन्हे पुनः एमसीबी जिले में लाने की जिम्मेदारी एक उप निरीक्षक ने ली है और वह मंत्री जी से मिलकर इनके लिए जुगाड बनाने में लगे हुए हैं। वैसे देखना यह है की अपने ही क्षेत्र के लोगों को परेशान करने वाले साथ ही अवैध कार्यों में संलिप्त रहने वाले ऐसे पुलिसकर्मियों की मदद के लिए मंत्री जी गंभीर होते हैं या अपने क्षेत्र की जनता को परेशान करने वालों को क्षेत्र में अवैध कारोबार को संरक्षण देने वालों को मंत्री जी क्षेत्र से बाहर ही रखते हैं। वैसे इस बार भाजपा की छत्तीसगढ सरकार में कोई भी निर्णय सभी पहलुओं पर विचार उपरांत ही लिया जायेगा क्योंकि कई गलतियों के कारण ही जो इसी तरह की गलतियां थीं कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई क्योंकि उसने जनता से ज्यादा ऐसे लोगों को महत्व दिया जिन्होंने जनता को परेशान किया या अवैध कारोबार मामले से जुड़कर सरकार को ही कटघरे में खड़ा किया। वैसे उप निरीक्षक जिन्होंने तबादला रुकवाने का जिम्मा लिया है वह काफी मशक्कत कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने संबंधित स्थानांतरित पुलिसकर्मियों को आश्वस्त कर दिया है की उनका तबादला वह रुकवाकर ही दम लेंगे इसके लिए उन्होंने ने संबंधित पुलिसकर्मियों को आमद नही देने की हिदायत भी दी हुई है। वह उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना के लिए भी पुलिसकर्मियों को तैयार कर चुके हैं जैसी सूचना मिल रही है।क्या प्रधान आरक्षक व आरक्षक को आईजी के आदेशों की नही है परवाह?
भले ही एक उप निरीक्षक एमसीबी जिले के प्रधान आरक्षक और आरक्षक का तबादला रुकवाने का ठेका लिए हों लेकिन तबादला आईजी सरगुजा ने किया है वहीं उन्हे रवानगी भी मिल चुकी है फिर भी वह बलरामपुर जिले में जाकर अपनी आमद नहीं दे रहे हैं आईजी के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। अब सवाल यह उठता है की क्या प्रधान आरक्षक और आरक्षक को आईजी के आदेश की परवाह नहीं है,क्या पुलिस विभाग में भी अब अन्य विभागों की ही तरह अब अनुशासन भंग होता जा रहा है। सवाल कई हैं जिनके जवाब तब समझ में आयेंगे जब या तो तबादला रुक जायेगा या फिर आमद देनी होगी पुलिसकर्मियों को।
आईजी एसपी का तबादला तक कराने का रखते हैं माद्दा एक उप निरीक्षक
जिस उप निरीक्षक ने प्रधान आरक्षक और आरक्षक का तबादला रुकवाने के ठेका लिया है वह आईजी और एसपी का भी तबादला करवाने का माद्दा रखते हैं ऐसा उन्ही के सागिर्द कहते हैं। वैसे कांग्रेस नेताओं के ज्यादा करीबी उक्त उप निरीक्षक का कांग्रेस शासनकाल में काफी प्रभाव था और ऐसा उनके पुराने संबंधों का कारण था जो कांग्रेस नेताओं से अधिक चले आए थे। वैसे अब वह भाजपा नेताओं के पास पहुंच रहे हैं भाजपा नेताओं से अपना संपर्क बढ़ा रहे हैं जिससे आईजी एसपी भी उनके अनुसार कार्य करें।
तीनों के तीनों का आखिर कैसे हो सकता एक साथ तबीयत खराब की लगा रहे एकसाथ मेडिकल?
सूत्र बता रहे है की जिन तीन पुलिसकर्मियों का तबादला आईजी सरगुजा ने एमसीबी जिले से बलरामपुर जिले किया है तीनों की रवानगी एमसीबी जिले में दर्ज किया जा चुका है वहीं वह अभी तब बलरामपुर जिले पहुंचकर आमद नहीं दिए हैं। वह एक उप निरीक्षक के भरोसे रुके हुए हैं जो उनका तबादला रुकवाने सक्रिय हैं। तीनों ने फिलहाल मेडिकल दे रखा है और अपनी तबियत खराब बताई है। अब सवाल यह उठता है की हमेशा स्वस्थ रहने वाले तीन पुलिसकर्मियों का एक साथ कैसे तबियत खराब हो गया है की तीनों का मेडिकल लगा हुआ है। यह संयोग है की प्रयोग यह जांच का विषय है।
तबादला सूची के अधिकांश पुलिसकर्मी अपने नवीन पदस्थापना पर पहुंच गए पर एमसीबी के तीन दिग्गज को वहां पहुंचने में हो रही परेशानी
आईजी सरगुजा ने ऐसा नहीं है की केवल एमसीबी जिले के तीन पुलिसकर्मियों का ही तबादला किया ही,आईजी ने रेंज के कई जिलों के पुलिसकर्मियों का तबदला किया है जिसमे से अधिकांश अपने नवीन पदस्थापना पर आमद दे चुके हैं वहीं इन तीन एमसीबी जिले के पुलिसकर्मियों को छोड़कर। क्या एमसीबी जिले के तीन पुलिसकर्मी खुद को मानते हैं उच्च अधिकारियों के आदेश से ऊपर क्या वह नई जगह जाने में परेशानी महसूस कर रहे हैं यह बड़ा सवाल है। वैसे बताया जा रहा है की यह तीनों एमसीबी जिला छोड़ना नहीं चाहते जिससे इनकी जारी सेंटिग थाना क्षेत्रों की बनी रहे और इनकी ऊपरी आमदनी बनी रहे।