- ग्रामीण बैंक के कई लोन मामले में इन्होंने किया है घोटाला,जिसकी हुई जांच तो जा सकते हैं शाखा प्रबंधक जेल।
- पटना ग्रामीण बैंक शाखा प्रबंधक के खिलाफ निष्पक्ष जांच की उठ रही मांग।
- पीएमईजीपी योजना में हुये अनिमियता पर सीआरजीबी बैंक मैनेजर पर लगा आरोप,अध्यक्ष से हुई शिकायत।
- शाखा प्रबंधक कार्यवाही करने वाले अधिकारी को ही कर लिए अपनी गिरफ्त में, इस वजह से बचे हुए हैं अभी तक,सूत्र।
- ग्रामीण बैंक पटना के बैंक मैनेजर तथा लोन अधिकारी पर लगा अनिमियता का आरोप।
- बैंक में कार्यरत एक स्थानीय अनियमित कर्मचारी भी है शाखा प्रबंधक का खास,सभी जगह एवम सभी मामलों में वह है स्थानीय मददगार।
- स्थानीय कर्मचारी को भी अन्यत्र भेजने की उठ रही मांग,उसका व्यवहार भी ग्राहकों के प्रति बेहतर नहीं।
बैकुण्ठपुर/पटना 02 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के कोरिया जिले के पटना शाखा प्रबंधक के खिलाफ लगातार हो रही है शिकायतें और लग रहे हैं बड़े आरोप और की जा रही है जांच की मांग, उपभोक्ताओं को शाखा प्रबंधक से है काफी शिकायतें अभद्रता का भी लगा रहे हैं लोग आरोप, कार्यशैली शाखा प्रबंधक की नहीं आ रही है उपभोक्ताओं को रास, जिस वजह से शाखा प्रबंधक को हटाने की कर रहे हैं लोग मांग, साथ ही उनके कार्यकाल में अब तक बांटे गए ऋण की भी जांच करने की हो रही है मांग।
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक शाखा में प्रबंधक गौरवदीप की मनमानी बढ़ती ही चली जा रही है आये दिन इनके नये-नये कारनामें सुर्खियां बटोर रही हैं जहां आम भोले-भाले ग्रामीणों, किसानों का खाता बैंक में संचालित होता है और लेने-देने के लिये छोटे-छोटे रकम के लिये बैंक के कर्मचारी व मैनेजर अपना सरदर्द समझते है और ग्राहकों से झुंझलाकर ग्राहक सेवा केन्द्र में भेजे जाने की सूचना मिलती रहती है, वहीं बड़े-बड़े कारोबारीयों का काम तथा उन ग्राहकों जिनसे अतिरिक्त लाभ मिल सके उन्हें अपने केबिन में बैठाकर चाय परोसकर किया जाता है उनका स्वागत यह भी बात सामने आ रही है। इस बैंक शाखा के तीन लोगों की शिकायत ज्यादा है जिसमे शाखा प्रबंधक, लोन अधिकारी साथ ही एक अनियमित कर्मचारी जो पटना का स्थानीय निवासी है इन तीन लोगों से बैंक के ग्राहक परेशान हैं और उनकी सुनने वाला कोई नहीं है बैंक का नियंत्रण करने वाले भी मौन हैं क्योंकि शाखा प्रबंधक सभी को अपने सामने विवश करके रखे हुए हैं और वह इसके लिए अपने संपर्क का हवाला देते सुने जाते हैं जो काफी बड़े बड़े संपर्क हैं जो वह खुद लोगों को कहते सुने जाते हैं। हांलाकि ब्रांच मैनेजर गौरवदीप के दुर्व्यवहार और पीएमईजीपी योजना में हुये अनिमियता की शिकायत अध्यक्ष एवं मुख्य सर्तकता अधिकारी को किया गया है। लेकिन मामले में उन्होंने जांच हेतु पहुंचे अधिकारी को ही प्रभाव में ले लिया गया है जैसा बताया जा रहा है और मामले का पटाक्षेप लगभग होने ही वाला है जैसी सूचना है।
ग्राहकों से बदसलूकी की लगातार आ रही शिकायत,शाखा प्रबंधक आम ग्राहकों से मधुर नहीं रखते संबंध यह लग रहा आरोप
शाखा प्रबंधक द्वारा आये दिन बैंक के ग्राहकों के साथ दुर्व्यव्हार आम हो चली है। शिकायतकर्ता सागर कुमार ने बताया कि जब वह प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की जानकारी हेतू बैंक के शाखा में गया तो प्रबंधक गौरवदीप द्वारा ग्राहक का हैसियत पूछकर शाखा से भगा दिया गया। इसके बाद लोगों से जानकारी मिली की मैनेजर साहब बिना पैसो के सब्सिडी वाला पीएमईजीपी का लोन नहीं करते है। हांलाकि इन बातों की जानकारी बैंक के उच्च अधिकारीयों को है फिर भी न जाने क्यों इन जैसे शाखा प्रबंधक को संरक्षण दिया जाता है? शाखा प्रबंधक गौरवदीप लम्बे समय से एक ही शाखा में पदस्थ है और अपनी पकड़ स्थानीय प्रबंधन स्तर के अधिकारीयों से बना ली है।
ऋण देने में पीएमईजीपी गाईडलाईन का नहीं हुआ पालन
शिकायतकर्ता के बतायी जानकारी के आधार पर पीएमईजीपी ऋण गाईडलाईन के अनुसार एक परिवार के केवल ‘‘पति-पत्नी‘‘ को शामिल किया गया है, परंतु छग राज्य ग्रामीण बैंक के शाखा पटना के मैनेजर गौरवदीप व लोन अधिकारी श्रीमती अदिति रावत के एएमएच अधिकारी के साथ मिलीभगत कर एक ही घर के कई लोगों को पीएमईजीपी सब्सिडी योजना का लाभ पहुंचाया गया है जो सभी पटना के निवासी है जिन्हें लोन दिया गया है इनके घर के अन्य सदस्यों को भी इस योजना का अनुचित लाभ बैंक के शाखा के उच्च अधिकारीरयों द्वारा दिया गया है, इस अनिमियता पर यदि बारीकी से जांच हो तो प्रबंधक के साथ कर्मचारीयों की संलिप्ता के मामले का ऊजागर हो जायेगा।
कम समय के कार्यकाल में ही पटना में खरीद ली महंगी भूमि
सूत्रों कि माने तो शाखा प्रबंधक गौरवदीप द्वारा अपने ही बैंक शाखा के ग्राहक व लोनधारक के पत्नी के नाम से संयुक्त रूप से पटना स्थित ईमली चौक में खसरा नं. 441/11 लगभग 06 डिसमिल का प्लाट अपने पत्नी दीक्षा के नाम से लिया गया है। हांलाकि भूमि क्रय करना कोई अपराध नहीं पर जिस जगह पर पदस्थ बैंक कर्मचारी है वहां पर भूमि क्रय करना और क्रय करने से पूर्व क्या अपने उच्चअधिकारी से अनुमति प्राप्त किया था? क्या अपने ही बैंक के ग्राहक से साथ पार्टनरशिप में भूमि क्रय का अधिकार बैंक के नियम में शामिल है? बात यहीं तक नहीं सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार बैंक मैनेजर गौरवदीप पूर्व में जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर के शाखा में पदस्थ थे जहां उन्होने कई भूमि का क्रय किया है। फिलहाल यह जांच का विषय है जहां बैंक के उच्चअधिकारी जांच करगें तो स्पष्ट होगा की बैंक मैनेजर गौरवदीप ने अपने बैंकिग कार्यावधि में ग्राहकों से मिलकर कैसे भूमि का क्रय किया? बैंक मैनेजर जमीन खरीद-फरोक के मामले में संलिप्त रहता है और जमीन दलालों के सम्पर्क में रहते हुये इनके साथ कई बार ढ़ाबा-हॉटलों में देखा जाता है। वेतन भोगी कर्मचारी होने के बावजूद शाखा प्रबंधक का ठाट और उनका लगातार संपत्ति क्रय करना जांच का विषय है जिसकी मांग उठ रही है।
क्या साहूकारी एवं ब्याज के धंधे में सहयोगी है बैंक मैनेजर?
सूत्रों की माने तो पटना बैंक जो दो-दो कॉलरी क्षेत्र को प्रभावित करता है। इन कॉलरी क्षेत्रो में पटना बैंक के ग्राहक शामिल है जो साहूकरी वह सूदखोरी के चंगुल में फंसे है। इनसे पैसे लेने के लिये मैनेजर का पूरा सहयोग रहता है। व्यक्तिगत तौर पर ग्राहकों के खातों को होल्ड करना, राशि के संबंध में सूदखोरों को जानकारी देना एवं कॉलरी कर्मचारीयों के वेतन आने पर ब्याज सहित राशि वसुली कराने में मदद करना अपने पद का गलत उपयोग करते हुये चंद पैसो के लालच में अनैतिक कार्य बैंक मैनेजर के संरक्षण से धड़ल्ले से चल रहा है जो जांच का विषय है। वैसे उनके इस कार्य में उनका सहयोगी एक स्थानीय युवक है जो बैंक में वर्षों से अनियमित कर्मचारी है जिसकी भी ग्राहक शिकायत करने आगे आने वाले हैं, क्योंकि वह स्थानीय लोगों के विषय में बैंक प्रबंधक को अवगत कराता है और कौन खास है और संपन्न है कौन आम ग्राहक है वह यह निश्चित करता है तब जाकर शाखा प्रबंधक का व्यवहार उचित अनुचित होता है।
बैंक प्रबंधक द्वारा बड़ी-बड़ी डिंगे मारकर लोगों को किया जाता है प्रभावित
यदि कोई बैंक में अपना कार्य कराने जाता है तो और किसी तरह से ग्राहक मैनेजर से बात करता है तो मैनेजर गौरवदीप द्वारा अपने जीवन वृतांत की कथा उसे सुनाया जाता है और बातो-बातो में वह उन सभी लोगों के नाम लेते है जो उनके बैंक के ग्राहक है और समाज में अपनी अलग पहचान रखते है। उनके साथ के सम्बन्ध बताकर ग्राहक को यह बताते है कि हम जैसा चाहेंगे वैसा ही इस बैंक में होगा और उनका संपर्क इतना ऊंचा है की वह कुछ भी करके बच निकलेंगे और उनका कुछ नहीं होगा। वह परिचय देते समय कुछ पुलिस अधिकारियों के नाम भी बताते हैं और लोगों को अपने पक्ष में रहने एक तरह से हिदायत देते हैं। बैंक मैनेजर द्वारा अपनी बढ़ाई में यह बार-बार कहते सुना गया है कि हमनें अपने शाखा एनपीए को कम किया वहीं लोन न पटाने वालों को नोटिस देने पर वह सभी आरोप लगाते है। बैंक मैनेजर की भले ही लोनधारक से पैसा वसुल करने में अपनी उपलब्धी गिना रहे हो पर एक बात यह भी है कि इनके रहने से वित्तिय अनिमियता जैसी शिकायत भी आ रही है वहीं ग्राहक इनके कार्य पद्धिति से खुश नहीं दिखाई देते।
नेताओं व पहुंच वाले लोगों को बांटते हैं लोन,अन्य उपभोक्ताओं के साथ शाखा प्रबंधक का व्यवहार नहीं होता अच्छा
शाखा प्रबंधक गौरव दीप के बारे में जैसा बताया जाता है उसके अनुसार उनके द्वारा बड़े लोगों जिनमे नेता और ऊंची पकड़ वाले लोग होते हैं उन्हे ऋण प्रदान किया जाता है वहीं उनके द्वारा आम उपभोक्ताओं को नजरंदाज किया जाता है उन्हे तवज्जो नहीं दिया जाता जिसके कारण वह निराश होते हैं। कुल मिलाकर ग्रामीण बैंक पटना की शाखा ग्रामीणों के लिए है ही नहीं फिलहाल वह केवल संपन्न लोगों की शाखा है।
स्थानीय अनियमित कर्मचारी से भी लोगों को है शिकायत,उसे अन्यत्र हटाए जाने भी लोग देने वाले हैं ज्ञापन
शाखा पटना में स्थानीय एक अनियमित कर्मचारी वर्षों से पदस्थ है जिसका व्यवहार भी आम लोगों के प्रति अच्छा नहीं है जैसी की सूचना मिली है। शाखा प्रबन्धक के लिए वह एक एजेंट का काम करता है जो बैंक समय के बाद ऐसे ग्राहक तलाशता है जिससे ऊपरी फायदा हो सके यह भी लोगों का कहना है वहीं वह वर्षों से पदस्थ होने का फायदा उठाकर यह जानता है की किसका लेनदेन किसके साथ फंसा हुआ है और वह एक तरह से वसूली में बाहर के लोगों की बैंक में रहकर मदद करता है।