बैकुंठपुर/एमसीबी@क्या भाजपा की सरकार में कांग्रेस समर्थित कोयले का कारोबार करने वाले भाजपाइयों के साथ मिलकर करेंगे कोयले का काला कारोबार?

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  • नए वर्ष 2024 से कोयले के काले कारोबार की शुरुआत करने के लिए हो रही बैठक:सूत्र।
  • भाजपा समर्थित कोयला कारोबारियों को आगे कर पीछे से कांग्रेस समर्थित करेंगे कारोबार,सूत्र।

बैकुंठपुर/एमसीबी 31 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)।  विधानसभा निर्वाचन 2023 संपन्न होने के बाद प्रदेश की सत्ता में भाजपा ने अपना कब्जा जमाया वहीं कांग्रेस को विपक्ष की भूमिका स्वीकारनी पड़ी,कोरिया एमसीबी जिले में भी कांग्रेस को दोनो जिलों की तीनों विधानसभाओं में हार का सामना करना पड़ा और अब तीनो विधानसभाओं में भी भाजपा के ही विधायक हैं जिनमे से एक कैबिनेट मंत्री भी बनाए गए हैं। प्रदेश सहित कोरिया एमसीबी जिले में भाजपा का परचम जैसे ही लहराया अब सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस पार्टी के सहारे कोयले के अवैध कारोबार से जुड़े कांग्रेस समर्थित कारोबारी भाजपा समर्थित कोयले के कारोबारियों से संपर्क बना रहे हैं और उनके कंधे पर बंदूक रखकर अब वह काले कारोबार को गति देने की फिराक में हैं। ऐसा नहीं है की कोयले का काला कारोबार भाजपा के पंद्रह सालों के कार्यकाल में नहीं होता देखा गया था,कोयले का कारोबार तब भी होता था लेकिन उसका स्तर जिला तक का स्तर था और इस कारोबार की जड़ें जिले की सीमाओं के बाहर नहीं थीं लेकिन जैसे ही कांग्रेस की सत्ता में पंद्रह वर्ष बाद वापसी हुई थी वैसे ही इस कारोबार को बढ़ावा मिलते देखा गया था और यह कारोबार जिले की सीमाओं को तोड़कर अन्य जिलों यहां तक की अन्य राज्यों तक अपने पैर पसार चुका था। कहने का मतलब जो कोयला पहले जिले के अंदर ही अवैध रूप से ईंट भट्ठों तक बेचा जाता था वह बाहर बेचा जाने लगा था और इस कारोबार को बड़े स्तर पर फैलाव मिला था। अब सत्ता फिर से भाजपा के हांथ में है और कांग्रेस शासनकाल में जो लोग खासकर कांग्रेस समर्थित जो लोग इस कारोबार से जुड़कर इसे बड़े पैमाने पर कर चुके थे उनमें अब छटपटाहट देखी जा रही है क्योंकि उनकी सोच के विपरीत सत्ता परिवर्तन हुआ और उनकी पूरी तैयारी जो इस काले कारोबार को लेकर थी वह धरी रह गई क्योंकि उन्हे कांग्रेस की सत्ता में वापसी की उम्मीद थी जो नहीं हुआ।

क्या भाजपा के बड़े नेता व विधायक इस कारोबार को संरक्षण देंगे?

अब कांग्रेस समर्थित ऐसे लोग जो कोयले के काले कारोबार से जुड़े हुए थे वह भाजपा के उन लोगों से मुलाकात कर रहे हैं बैठक कर रहे हैं जो पांच साल पहले भाजपा शासनकाल में यह कारोबार छोटे स्तर पर करते थे और उन्हे अब कांग्रेस समर्थित कोयला कारोबारी अपने विश्वास में लेने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि इस कारोबार में सत्ता का संरक्षण अनिवार्य है। वैसे इस कारोबार को गति देने बैठकें जारी हो चुकी हैं जो दोनो जिलों में हो रही हैं कोरिया एमसीबी। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या भाजपा के बड़े नेता इस कारोबार को संरक्षण देते हैं जबकि कोरिया एमसीबी के कोयला के काले कारोबार को लेकर विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने ही हो हल्ला मचाया था यहां तक की तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष ने तो ग्राउंड जीरो पर जाकर विरोध किया था सत्ता और प्रशासन की मिलीभगत की बात कर उन्होंने इस मामले को विधानसभा में भी उठाया था तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार की काफी किरकिरी भी हुई थी वहीं उस समय तत्कालीन सरकार ने इस मामले में कुछ समय के लिए कार्यवाही भी की थी जिसका असर धीरे धीरे जाता रहा था और कारोबार फिर से जारी हो चुका था। अभी फिलहाल नई सरकार के गठन के बाद से ही इस कारोबार में रोक लगी हुई है छोटे स्तर पर भले ही यह कारोबार हो रहा हो लेकिन बड़े स्तर पर अभी यह कारोबार चालू नहीं हो सका है इसको लेकर बैठकें हो रही हैं।

कांग्रेस शासन काल में जिन लोगों ने कोयले के अवैध कारोबार को जारी किया था बड़े स्तर पर अब वह छटपटाहट में नजर आ रहे हैं

कोयले का काला कारोबार एमसीबी सहित कोरिया जिले में बड़े पैमाने पर होता चला आया है। पिछली सरकार के कार्यकाल में यह कारोबार जिले की सीमाओं को भी लांघ चुका था और इसे अन्य राज्यों तक फैलाव मिला हुआ था। अब फिर से इसे उसी स्तर पर किए जाने की तैयारी हो रही है। पिछले सालों तक इस कारोबार को जो लोग संचालित कर रहे थे वह सत्ता के सहारे यह कारोबार कर रहे थे वहीं उन्हे उम्मीद थी की सत्ता में फिर से पुरानी ही सरकार वापस करेगी और उनका कारोबार फलेगा फूलेगा लेकिन हुआ इसके विपरित सत्ता में भाजपा काबिज हो गई जिसके बाद पुराने कारोबारी अब छटपटाहट में हैं।

भाजपा समर्थित उन कोयला कारोबारियों के साथ कांग्रेस समर्थित कोयला कारोबारी कर रहे बैठक जिनका था पूर्व में अवैध कोयला कारोबार से नाता

\ अब सत्ता परिवर्तन होने उपरांत यह देखने को मिल रहा है की विगत वर्षों से जो कोयले का कारोबार करते चले आ रहे थे बड़े स्तर पर जो कांग्रेस समर्थित लोग थे वह अब भाजपा समर्थित उन लोगों के साथ बैठक कर रहे हैं जो कभी कोयले का अवैध कारोबार किया करते थे। कुल मिलाकर कोयला कारोबारी इस बार भाजपा समर्थित लोगों के कंधे का इस्तेमाल करने की फिराक में हैं इस कारोबार में।

करोड़ों का है एक विशेष में होने वाला यह कारोबार,होती है करोड़ों की आय

कोयले का अवैध कारोबार करोड़ों का कारोबार है। यह एक विशेष मौसम में चलने वाला सीमित समय का कारोबार है जिसमे करोड़ों की आय होती है। यह आय अर्जित करने की हर वर्ष होड़ मचती है। कुल मिलाकर इस काले कारोबार में फायदा ज्यादा है और इसमें निवेश भी न के बराबर है इसलिए इसमें जुड़ने लोगों का तांता लगा रहता है। वैसे इसे सत्ता के संरक्षण में ही संचालित किया जाता रहा है और उसी फिराक में लगे हुए हैं कारोबारी।

कारोबार में शासकीय विभागों की भी होती है हिस्सेदारी,कई विभागों की अनुमति के लिए लेना होता है सत्ता का सहारा

कोयले का अवैध कारोबार पूंजी निवेश के बिना होता है यह एक सच जरूर है लेकिन इसमें हिस्सेदार कई होते हैं यह जानना भी जरूरी है। इस कारोबार को करने के लिए कई शासकीय विभागों से तालमेल बनाना होता है जिसमे वन, खनिज, पुलिस, सहित एसईसीएल शामिल है। सभी शासकीय विभागों को हिस्सा तो दिया ही जाता है वहीं उनके ऊपर दबाव बनाने के लिए सत्ता का सहारा लेना भी अनिवार्य होता है तब जाकर इस व्यवसाय को निडर होकर किया जा सकता है।

क्या भाजपा सरकार कोयले के कारोबार को लेकर वही रुख अपनाएगी जो विपक्ष में रहकर उसने निभाया था,क्या होगा यह काला कारोबार बंद?

वैसे कोयले के काले कारोबार से जुड़े लोग जरूर भाजपा के उन लोगों से मुलाकात कर रहे हैं जो पहले कभी कोयले का अवैध कारोबार किया करते थे लेकिन सत्ता में काबिज हुई भाजपा सरकार और स्थानीय विधायकों का क्या रुख रहेगा इसको लेकर यह देखने वाली बात होगी,क्या वह जिस प्रकार विपक्ष में रहते हुए इस कारोबार को लेकर गंभीर हुई थी राष्ट्रीय संपदा की लूट जिस मामले को भाजपा ने कहा था क्या वह खुद की सत्ता में इस कारोबार को होने देने की हरी झंडी देंगे। वैसे मामला भविष्य के गर्भ में है और देखना होगा की क्या भाजपा कोयले के कारोबार को बंद कराती है पूरी तरह या फिर वह इसे होने देती है।


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