अब एक भी पेड़ नहीं कटने देंगे… कोल परियोजना के नाम पर जंगल उजाड़ना…आदिवासियों की आजीविका छीनना बंद करें…
अंबिकापुर,28 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। छाीसगढ़ के सरगुजा सरगुजा जिला के उदयपुर विकासखंड क्षेत्र में कोल परियोजना के लिए हसदेव अरण्य क्षेत्र घाटबर्रा,साल्ही, फोपुर, हरिहरपुर में वृक्षों की कटाई के विरोध में आंदोलन कर रहे ग्रामीणों ने आज कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कोल परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई तत्काल बंद कराए जाने की मांग की है, ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा है कि पेड़ से पहले उन्हे करना पड़ेगा। हम जीते जी जंगल का विनाश नही होने देंगे। हरिहरपुर क्षेत्र के आदिवासी, जनजाति समाज के सदस्य जंगल बचाने श्लोगन लिखी तख्तियां लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे।
जंगल कटा तो छीन
जायेगी हमारी आजीविका
कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में बताया गया कि आदिवासी समाज के लोग इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रहते हैं। जिसमें गोंड़, मझवार, अगरिया , जनजाति समाज के लोग प्रमुखता से रहते हैं। हमारी प्रमुख आय का साधन प्राकृतिक संसाधन है। आदिवासी,वनवासी परिवार जंगलों पर आश्रित रहता है। साल में 6 माह हम जंगल से आय प्राप्त करते हैं, महुआ, साल बीज, तेन्दुपाा, चार, चिरौंजी सहित कई प्रकार के बीमारियो के लिए जड़ी बूटी का उपयोग करते हैं। गर्मी के मौसम में वृक्षों की वजह से तापमान हमारे क्षेत्र में कम रहता है। यदि जंगल कटा तो उनकी आजीविका भी छीन जायेगी। जिसके कारण हम खदान का विरोध करते हैं।
जंगल उजड़ने के साथ हजारों पक्षियों, जानवरों का घर परिवार भी उजड़ गया
ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि वर्तमान समय में लाखों की संख्या में पेड़ काटे गये हैं, जिसमें हजारों की संख्या में चिडि़यों के घोसले टूटे, अंडे फुटे पक्षियों के बच्चे मरे। जिसका आदिवासी समाज घोर निन्दा करता है, कड़ी विरोध करता है। अब इस क्षेत्र में हम एक भी पेड़ नही कटने देंगे।
आदिवासी समाज को किया गया अपमानित
आदिवासी परिवार के सदस्यों ने ज्ञापन में आरोप लगाया कि 21 दिसंबर 2023 को गाँव में बगैर सूचना दिये क्षेत्र के सरपंचों को बगैर तैयारी और कपड़ा पहने बिना ही उदण्डता पूर्वक, बर्बरता के साथ पुलिस – प्रशासन द्वारा भोर में उठाकर ले गए। इससे आदिवासी समाज का घोर अपमान हुआ। जिसका समाज घोर निन्दा व कड़ा विरोध करता है। जिससे पूरे आदिवासी समाज अपमानित महसूस कर रहा है।
खदान निरस्त नही हुआ तो होगा आंदोलन
ज्ञापन में लिखा गया है कि पशु, पक्षियों के रहवास क्षेत्र सियार , भालू, बंदर, हिरण, खरगोश तथा अन्य जानवरों, सैकड़ो प्रजाति के पक्षियों का रहवास क्षेत्र नष्ट कर दिया गया जिसका समाज तथा क्षेत्रवासी कड़ा विरोध करते हैं। विकास के नाम पर पर्यावरण प्राकृतिक संसाधनों से खेलना तथा आदिवासी समाज के अधिकारों और स्वाभिमान को कुचलना बंद करें। मांग की गई कि क्षेत्र के सभी खदानों को निरस्त करें, नहीं तो हम अब उग्र आंदोलन के बाध्य होंगे।