रायपुर@छत्तीसगढ़ में अब भी रहस्यमय बना हुआ है… साय केबिनेट में मंत्रियों को विभाग का बंटवारा

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रायपुर,26 दिसम्बर 2023(ए)। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार में साय मंत्रिमंडल का विस्तार तो हो गया है। मंत्रिमंडल के गठन को पांच दिन बीत चुके हैं लेकिन साय केबिनेट में मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा अब तक नहीं हो पाया है। कैबिनेट विस्तार के बाद छत्तीसगढ़ की जनता को यह विश्वास हो गया था कि केबिनेट के विस्तार के बाद अब जल्द ही मंत्रियों को विभाग भी सौंप दिए जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। इस तरह किस मंत्री को कौन से विभाग का जिम्मा सौंपा जायेगा इस पर सस्पेंस बरकरार है। वही एक तरफ जहाँ साय सरकार इस मामले में जल्दबानजी के मूड में नहीं है तो दूसरी तरफ कांग्रेस इस पर चुटकी ले रही है। कांग्रेस ने बीते दिनों मंत्रिमंडल के विस्तार में हो रही देरी पर इसे भाजपा के भीतर खींचतान का नतीजा बताया था। उन्होंने दलील दी थी कि इसी तरह देर नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भी नजर आई थी। क्या हो सकता है फार्मूला बता दें कि भाजपा ने सीएम के नाम से लेकर मंत्रियों के नाम फाइनल करने में जिस तरह के चौंकाने वाले फैसले लिए है इससे उम्मीद जताई जा रहे है कि विभागों के आबंटन में भी इसी तरह का निर्णय लिया जायेगा। यानी सीएम साय वरिष्ठ मंत्रियों को पीछे रखते हुए नए और युवा मंत्रियों को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंप सकते है। यानी गृह, पीडब्लूडी, कृषि, शिक्षा स्वास्थ्य और नगरीय प्रशासन नए मंत्रियों को जबकि शेष मंत्रालय वरिष्ठ मंत्रियों के बीच आबंटित किये जाये। संभावना इस बात की भी है कि वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग खुद मुख्यमंत्री अपने पास ही रखें। सीएम समेत अबतक 12 मंत्री गौरतलब ही कि पिछले दिनों साय सरकार में शामिल होते हुए 9 विधायकों ने मंत्रिपद की शपथ ली थी। इनमें नए-पुराने दोनों ही चेहरों को शामिल किया गया था। सीएम साय ने इस दफे राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, पुन्नूलाल मोहले, धरमलाल कौशिक और लता उसेंडी जैसे दिग्गज विधायकों को अपने कैबिनेट में शामिल नहीं किया था जबकि इस टीम में जगह बना पाने वाले पुराने चेहरों में बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, केदार कश्यप और दयालदास बघेल का ही नाम था। इनके अलावा श्याम बिहारी जायसवाल, ओपी चौधरी, लक्ष्मी राजवाड़े, लखनलाल देवांगन और टंक राम वर्मा पहली बार मंत्री बनाये गए है। सीएम की टीम में अरुण साव और विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। छग में कितने विभाग प्रदेश में कुल 50 विभाग है। इनमें कृषि, पशुपालन, छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल, छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल, वाणिज्य और उद्योग, वाणिज्यिक कर, सहकारी, संस्कृति एवं पुरातत्व, संचालनालय, उद्यानिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभागम, ऊर्जा, वित्त, मत्स्य पालन, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, वन, सामान्य प्रशासन विभाग, उच्च, शिक्षा, जेल, श्रम, विधि एवं विधायी कार्य विभाग, जनशक्ति नियोजन, खनन, पंचायत एवं समाज कल्याण, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, संसदीय कार्य, योजना आर्थिक एवं, सांख्यिकी, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जनसंपर्क, लोक निर्माण विभाग, लोक शिकायत निवारण, पंजीयन एवं मुद्रांक, निवासी आयुक्त विभाग, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, ग्रामोद्योग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, स्कूल शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समाज, कल्याण विभाग, क्रीड़ा विभाग, तकनीकी शिक्षा, पर्यटन, नगर तथा ग्राम, निवेश विभाग, परिवहन, नगरीय प्रशासन, जल संसाधन, महिला एवं बाल विकास, छत्तीसगढ़ रेरा एवं इनके अतिरिक्त अन्य विभाग शामिल है।

मंत्रियों के विभाग बंटवारे में हो रही देरी को लेकर रामविचार नेताम ने कहा कि दूसरे राज्य में भी यही स्थिति है। सबका एक साथ घोषणा होने की संभावना है। वहीं सरगुजा संभाग को मिले प्रतिनिधित्व को लेकर उन्होंने कहा कि सरगुजा संभाग की सभी सीटें जनता ने भाजपा की झोली में डाल दी है। शीर्ष नेतृत्व ने भी सरगुजावासियों के मान-सम्मान की रक्षा के लिए तीन-तीन कैबिनेट मंत्री के अलावा मुख्यमंत्री का पद दिया है। विभागों के बंटवारे के उठाए सवाल को कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम ने पार्टी संस्कृति से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आपसी गुटबाजी कांग्रेस में तो हो सकती है, लेकिन भाजपा में इस तरह की बात नहीं होती। बीजेपी कार्यकर्ता भाव से काम करती है। पद का दायित्व मिला है, जल्द ही विभाग की घोषणा हो जाएगी। बता दें कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दो उप मुख्यमंत्रियों अरुण साव और विजय शर्मा के साथ 13 दिसंबर को पद की शपथ ली थी। वहीं 22 दिसंबर को राजभवन में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने 9 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। मंत्रियों के शपथ ग्रहण के चार दिन बाद भी उनके विभागों को लेकर राजनीतिक हलकों में कयासों का दौर जारी है।


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