बैकुंठपुर@छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी की जिला शहर कांग्रेस कमेटी का हुआ अनुमोदन,कोरिया कार्यकारणी में दिखी गुटबाजी?

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रवि सिंह –
बैकुंठपुर,26 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने शहर एवम जिला कांग्रेस कमेटी कोरिया का अनुमोदन किया है। यह अनुमोदन संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद हुआ है और इस अनुमोदन का सीधा मतलब यह माना जा रहा है की विधायक प्रत्याशी की मंशा अनुरूप कार्यकारणी बनाई गई है जिसमे कई पुराने कार्यकारणी सदस्यों में से कई की छुट्टी कर दी गई है। इस नई अनुमोदित सूची में गुटबाजी साफ नजर आ रही है और अधिकांश पदों पर उन्हे ही नई जिम्मेदारी मिली है जो विधायक प्रत्याशी रह चुकीं पूर्व विधायक के खास हैं। नई जारी कार्यकारणी को देखने के बाद यह भी स्पष्ट हो गया की कोरिया जिले में विधायक प्रत्याशी ने यह मान लिया है की उनकी हार की वजह न ईवीएम है न ही भाजपा का संगठित होकर चुनाव लडना बल्कि उनकी हार की वजह कांग्रेस का भीतरघात रहा।
अब जारी कार्यकारणी में शामिल किए गए सदस्य ही लोकसभा में पार्टी के लिए पार्टी प्रत्याशी के लिए जीत का मार्ग तय करेंगे और इसमें वह सफल होंगे या नहीं वह परिणाम निकलने के बाद तय हो सकेगा। वैसे विधायक प्रत्याशी रही पूर्व विधायक ने पूरी सूची में ऐसे किसी कांग्रेसी को शामिल नहीं होने दिया है जिसपर उन्हे जरा भी यह शक रहा की वह उनके लिए चुनाव में काम नहीं किया। वैसे जारी सूची में कांग्रेस के ऐसे कई नाम शामिल नहीं हैं जो शुरू से कांग्रेसी माने जाते हैं और जिनकी पहचान ही कांग्रेस से है। वैसे विधायक प्रत्याशी ने जिस सूची का अनुमोदन कराया है उसको देखने के बाद यह भी कहा जा सकता है की कई वरिष्ठ कांग्रेसी पहली बार कांग्रेस कमेटी से बाहर नजर आ रहे हैं जो शायद वर्षों से कांग्रेसी थे। कांग्रेस की नई कार्यकारणी में विधायक प्रत्याशी की जमकर चली है और उन्होंने पूरी निगरानी सूची बनने के दौरान बनाए रखी थी यह इस बात से ही स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है की सूची में उनका नाम भी शामिल नहीं है जो पहले कई जिम्मेदार पदों पर थे या जो सत्ताकाल में विधायक के ही खास थे।
क्या विधायक प्रत्याशी में है सामंजस्य ना बैठा पाने की कमी?
बैकुंठपुर से कांग्रेस की पूर्व विधायक वहीं इस चुनाव में प्रत्याशी बैकुंठपुर के कांग्रेसियों के साथ सामंजस्य बैठा पाने में असमर्थ साबित हो रही हैं यह कहा जा सकता है कांग्रेस कमेटी कोरिया की नई कार्यकारणी सूची देखकर। विधायक रह चुकी साथ ही दोबारा प्रत्याशी बनने के बाद भी जिले के कांग्रेसियों को कभी एक सूत्र में बांध पाने में पूर्व विधायक असमर्थ ही नजर आईं। पहले जो कांग्रेस एकजुट थी वह आज गुटों में बंटी हुई है वहीं जारी कार्यकारणी के बाद और गुटबाजी होगी वहीं नाराजगी सामने आएगी जो आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए घातक होगा यह नई सूची बनाते समय ध्यान नहीं रखा गया। सूची में पूर्व विधायक साथ ही विधायक पद की प्रत्याशी की नाराजगी को ध्यान में रखकर नाम शामिल किए गए यह कहा जा सकता है।
नवरत्न में से सारे रत्न हुए खत्म सिर्फ बचे दो रत्न
पूर्व विधायक के पिछले चुनाव में जब वह प्रत्याशी थीं पार्टी की वहीं उनके निर्वाचन के बाद उनके पांच सालों के कार्यकाल में से साढ़े तीन सालों के कार्यकाल तक उनके खेमे में नौ रत्न शामिल नजर आते थे वहीं हालिया जारी कांग्रेस कमेटी जिला की सूची के सभी नौ रत्नों के नाम गायब नजर आ रहे हैं दो नामों को छोड़कर। सूची देखने के बाद यह कहा जा सकता है की पूर्व विधायक के साथ कभी उनके समर्थक स्थिर होकर नहीं रह पाए वहीं उन्होंने भी विश्वास नहीं किया नौ रत्नों पर जिसका परिणाम उन्हे चुनाव में भुगतान पड़ा। अपने ही खास लोगों को छोड़कर आज पूर्व विधायक को नए लोगो पर भरोसा करना पड़ रहा है वहीं यह भरोसा भी कब तक कायम रहेगा यह भी देखने वाली बात होगी क्योंकि पूर्व विधायक से जुड़कर ज्यादा दिनों तक कोई स्थिर नहीं रह सका है।
क्या कांग्रेस की पूर्व विधायक ने अपने नवरत्नों में से दो रत्नों की ही गलती को किया दरकिनार?
वैसे जिस तरह पूर्व विधायक ने चुनाव हारने के बाद अपने पुराने नवरत्नों में से कइयों को पार्टी के पदों पर नियुक्ति नहीं होने दिया कहीं दो को ही मौका दिया उसके बाद यह सवाल उठता है की क्या पूर्व विधायक ने दो ही अपने रत्नों की गलती को माफ किया। अन्य को उन्होंने माफ भी नहीं किया,वैसे पार्टी हित में यह जरूरी था की जो बीत गया उसे भूल जाना था वहीं आगे पार्टी कैसे मजबूत हो इसपर ध्यान देना था क्योंकि चुनाव में यदि पार्टी प्रत्याशी का विरोध हुआ इसका मतलब सीधा था पार्टी नहीं प्रत्याशी का विरोध था ऐसे में आगे के लिए पार्टी में सामंजस्य बनाने का काम करना था न की छतनी का।
छोटी-छोटी गलतियां पर कार्यकर्ताओं से नाराजगी पूर्व विधायक की सबसे बड़ी कमजोरी
छोटी छोटी बातों पर गलतियों पर कार्यकर्ताओं से नाराजगी पूर्व विधायक की कमजोरी रही है वहीं इसका खामियाजा पार्टी को हार देखकर चुकाना पड़ा। अब हार मिलने के बाद भी सीखने की बजाए आपसी द्वेष निकालने में ही पूर्व विधायक लगी हुई हैं जिसका नुकसान लोकसभा चुनाव में होना तय है पार्टी को ऐसा कार्यकर्ता ही कहते सुने जा रहे हैं। वैसे पार्टी को भी पूर्व विधायकों की बजाए सभी के बीच तालमेल बिठाकर कार्यकारणी बनाना था जो पार्टी ने नहीं किया।
सूची में वरिष्ठता क्रम का भी नहीं रखा गया ध्यान
जारी सूची में पूर्व विधायक का कितना हस्तक्षेप रहा यह सूची में वरिष्ठता क्रम देखकर ही समझा जा सकता है। आज की स्थिति में लाल विजय प्रताप सिंह जहां पूर्व विधायक हैं वहीं वह पूर्व सांसद भी रह चुके हैं वहीं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष यवत सिंह सहित कलावती मरकाम दोनो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। अब क्रम की बात करें तो लाल विजय प्रताप सिंह का नाम ऊपर क्रम में होना था यवत सिंह का ऊपर क्रम में होना था जो सूची में नहीं है। सूची में केवल नाराजगी चली है सामंजस्य नहीं यह कहा जा सकता है।


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