डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती पर राजनीतिक दलों में दिखी होड़,पहली बार काफी उत्साह से मनाई गई वर्ष 2025 की उनकी जयंती।
देश की आजादी को हुए 78 वर्ष संविधान लागू हुए 75 वर्ष, इसके पूर्व नहीं दिखा था इस तरह का कोई आयोजन 14 अप्रैल को।

लेख by रवि सिंह: राजनीति भी बड़ी अजीब चीज बनती जा रही है राजनीति अब सिर्फ स्वार्थ व ताकत पाने का एक माध्यम माना जाने लगा है यह बात इसलिए हो रही है क्योंकि आज की राजनीति में कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है देश को आजाद हुए 78 वर्ष हो गए और देश के लिए संविधान बने 75 वर्ष हो गए देश की आजादी से लेकर देश के संविधान तक के महानायक की भूमिका अलग-अलग रही और देश चला रहा और अपने आजादी के 78 वर्ष में पहुंच चुका है इस समय देश में भाजपा की सरकार है और इस 78 साल में कांग्रेस से लेकर कई राजनीतिक पार्टियों की सरकार रही उनके प्रधानमंत्री देश के लिए बने सभी ने अपनी क्षमता अनुसार देश का हित सोचा और आज भी अपने अनुसार वह हित सोच रहे हैं, प्रदेश में रहने वाले लोगों की सोच व समझ पर स्वतंत्रता है वह अपनी सोच व समाज से हर चीजों को पढ़ते हैं और आज की स्थिति में राजनीति को भी वैसे ही परखा जा रहा है, पूर्व के समय में जैसी स्थितियां थी वैसे ही राजनीतिक पार्टियां थी और वैसे ही राजनीतिक पार्टियों को चलाने वाले निर्वाचित सरकार थी, उसे द्वारा की सरकार आज के दौर की सरकार भले ही अलग हो समय अलग हो व्यवस्थाएं अलग हो संसाधन अलग हो और यहां तक की इतिहास के पन्नों में महापुरुष भी अलग होंगे पहले के महापुरुष जो अब इस दुनिया में नहीं है जिन्होंने क्या किया उनकी यादें जरूर है, और उनके पार्टी के लोग उन्हें फॉलो करते हैं और उनके विचारों से जुड़ने की बातें करते हैं पर क्या ऐसा सही में होता है या फिर विचार है सिर्फ दिखावे की हो जाती हैं, इस समय हम बात कर रहे हैं भारत के संविधान की नींव रखने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जिनकी जयंती अभी कुछ दिन पहले ही बीती है पर इस जयंती को देखकर जो अनुभव हुआ वह अनुभव कहीं ना कहीं एक राजनीतिक से जुड़ने का अनुभव भी समझा जा सकता है डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारत के पहले कानून व न्याय मंत्री थे उनकी अध्यक्षता में हमारे देश का संविधान 1950 में लागू किया गया था आज संविधान 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं और संविधान बनाने वाले वह उनके अध्यक्षता करने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मृत्यु के भी 69 साल हो चुके संविधान देश में लागू होने के 5 साल बाद उनका निधन हो गया, यदि हम बात करें इनके जन्म की तो इनका 14 अप्रैल 1891 महू, मध्य प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब डॉ॰ आम्बेडकर नगर, मध्य प्रदेश, भारत में) हुआ था वही उनकी मृत्यु मृत्यु6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65 वर्ष) डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली मैं हुई थी। अंबेडकर जी एक समाज सुधारक विचार रखा करते थे अंबेडकर जी अपने दौर के महानायक हैं यह कहना कहीं से भी गलत नहीं होगा उसे समय की स्थितियां परिस्थितियों में उनका योगदान भी अपने देश के लिए जो था उन्होंने दिया था सभी लोग अंबेडकर जी को संविधान देने वाले के नाम से जानते हैं जिनके संविधान को आज भी लोग मानते हैं और इस संविधान पर आज देश चलता है यह बात अलग है कि उसे संविधान में समय-समय पर बदलाव होते रहे पर संविधान की नीव उन्हीं के द्वारा रखी गई थी पर आज जो बड़ा सवाल इसलिए हो रहा है क्यों की देश के आजादी के 78 साल बाद व संविधान के लागू होने के 75 साल बाद वह संविधान की अध्यक्षता करने वाले की मृत्यु के 68 साल बाद डॉ भीमराव अंबेडकर कि लोगों को याद आई उनके विचारों से वह प्रभावित होते दिखे और ऐसी याद आई की क्या बीजेपी क्या कांग्रेस सभी ने इस बार उन पर खूब प्यार लुटाया कहा जाए तो उन्हें खूब याद किया, पर क्या यह याद सिर्फ राजनीतिक प्रोपकोंडा था या फिर सही में लोगों ने उनके विचारों से प्रभावित होकर याद किया? यह 2025 इस बार छत्तीसगढ़ में डॉक्टर अंबेडकर जयंती पर एक अलग ही मुहिम में देखने को मिला पहली बार इस बार छुट्टी हुई शासकीय छुट्टी घोषित की गई इसके साथ ही इतना ज्यादा इनकी प्रतिमाएं बनाई गई जो 68 साल में कभी नहीं बनी होगी, इतनी जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए जो 68 साल में कहीं नहीं हुए होंगे ऐसा लगा कि अचानक से पूरे देश को संविधान की नींव रखने वाले व संविधान को देश में लागू करने वाले भीमराव अंबेडकर की याद आ गई? ऐसा लगा कि सभी के सपने में आ गए हैं पर जहां कांग्रेस इसे अपनी पार्टी को लेकर उनकी उपलब्धि गिना रहे थे तो वहीं भाजपा भी पीछे नहीं थी भाजपा के पदाधिकारी मंत्री विधायक भी इनके मूर्तियों पर फूल माला डालकर उन्हें श्रद्धांजलि देते दिखे वहीं उनके किए गए कार्यों पर मंथन करते दिखे उनके जीवन शैली पर प्रकाश डालते दिखे पर ऐसा अचानक क्या हुआ कि यह 2025 डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को याद करने की जरूरत आन पड़ी? क्या देश इस राजनीति को एक अलग आयाम देने का यह प्रयास था या फिर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाओं पर फूल माला चढ़कर कार्यक्रम आयोजित कर कर छुट्टी दिला कर भाजपा यह बताना चाह रही थी कि वह भी उन्हें उतना ही सम्मान देती है और उनके लिए उतना ही आदर भाव रखती है और उनके समाज के लिए भी उतना ही वह सोचती है, क्या यह अगले चुनाव की तैयारी मानी जाए या फिर सही में उन्हें यह बात का एहसास हुआ कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सही में देश के लिए एक शख्सियत थे एक महान पुरुष थे? क्योंकि भारत का संविधान, देश का सर्वोच्च कानून है. यह एक लिखित दस्तावेज़ है. संविधान सभा ने इसे 26 नवंबर, 1949 को अपनाया था और 26 जनवरी, 1950 से लागू हुआ था. संविधान, भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाता है. यह देश की राजनीतिक व्यवस्था की रूपरेखा तैयार करता है, भारतीय संविधान देश का सर्वोच्च कानून, संविधानिक सर्वोच्चता का आधार जो देश में रहने वाले हर व्यक्ति को एक अलग ही स्वतंत्रता देता है एक अलग ही अधिकार देता है और एक अलग ही जीवन जीने का आधार देता है, अहम बातें सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है, इसकी संरचना 25 भागों में बंटा है, मूल रूप से 395 अनुच्छेद थे, अब 448 अनुच्छेद हैं, अब तक 106 बार संशोधन हो चुके हैं, 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, भारत सरकार अधिनियम 1935 को माना जाता है, इसकी प्रमुख विशेषताएं यह है कि दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। और जब भी संविधान की बात आती है तो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हमेशा ही याद आते हैं क्योंकि वह संविधान की अध्यक्षता कर रहे थे इस पर भी राजनीतिक लोग अपनी अलग-अलग तर्क देते हैं पर सबसे जो सरल बात है वह यह है कि वह संविधान समिति के अध्यक्ष थे और उनकी ही अध्यक्षता में यह संविधान 1950 में देश के लिए लागू हुआ था पर आज संविधान लागू होने के 75 साल बाद अचानक आजादी के 78 वें वर्ष में पढ़ने वाली अंबेडकर जी की जयंती पर हुए कार्यक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए अंबेडकर जी के नाम पर जो राजनीति हो रही थी उसे लेकर लोगों के अंदर विचारों के मंथन के तूफान ला दिए। क्या वर्तमान कि देश की सरकार अब अंबेडकर जी पर राजनीतिक करके अपना आगे का जीत का रास्ता देख रही है और विपक्षी पार्टी को धूल चटाने का ख्वाब देख रही है?
