- खबर प्रकाशन व आंदोलन के बाद पुलिस ने बच्ची की मौत मामले में बढ़ाई धाराएं,दो आरोपियों की हुई गिरफ्तारी:सूत्र
- बच्ची के मौत मामले में पुलिस ने अपनी मानी गलती और आरोपियों को किया गिरफ्तार और बढ़ाई धाराएं
- बच्ची के मौत मामले में आरोपियों पर बीएनएस 105 के साथ 151 धारा जुड़ा

-रवि सिंह-
बैकु΄ठपुर,20 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। पुलिस की कार्यप्रणाली से इसलिए भरोसा उठता है यो΄कि पुलिस हमेशा ही अपराध के मामले मे΄ सौदा करती है सौदा इस कदर करती है की न्याय भी शर्मा जाए मौत के मामले मे΄ अवैध कारोबार के मामले मे΄ यही कारण है की पुलिस की निष्पक्षता हमेशा ही सवालो΄ के घेरे मे΄ होती है, यह बात इसलिए हो रही है यो΄कि एक 8 साल की बच्ची को नौसिखिए ड्राइवर ने गाड़ी सीखने के चक्कर मे΄ मौत के घाट उतार दिया, वह भी अपने ही घर की बाउ΄ड्री मे΄ खड़ी बच्ची की मौत हो गई, नौसिखिए की ऐसी लापरवाही की वह रिहायशी एरिया मे΄ गाड़ी सीख रहा था और गाड़ी सीखने के दौरान 50 मीटर भी गाड़ी वह नही΄ चला पाया और जहा΄ पर एक मासूम बच्ची अपने बाउ΄ड्री मे΄ खड़ी थी उसे जाकर वह गाड़ी से दबा दिया और उसकी मौत हो गई,उस मामले मे΄ पुलिस ने प्रथम दृष्टि मे΄ ही लीपापोती कर दी और जो धाराए΄ लग सकती थी वह नही΄ लगाई और उन आरोपियो΄ को छोड़ दिया गया,खबर प्रकाशन व मृतक के परिजनो΄ के द्वारा धरना-प्रदर्शन व घेराव के बाद पुलिस ने आरोपी को फिर से पकड़ा दो धाराए΄ जोड़ी फिर उन्हे΄ जेल भेजा इससे यह समझ मे΄ आता है कि पुलिस सही मे΄ सौदा ही करती है? पुलिस आखिर पहले ही यह काम कर सकती थी जो उसने आ΄दोलन के बाद व अपनी फजीहत कराने के बाद की ऐसे पुलिसकर्मियो΄ पर तत्काल कार्यवाही यो΄ नही΄ हुई? पुलिस ने बाद मे΄ धाराए΄ तब जोड़ी और गिरफ्तारी तब की जब पुलिस थाने का घेराव हुआ और पुलिस को जब जमीन पर बैठकर पीडि़त परिवार को समझाना पड़ा और बाद मे΄ जाकर अपनी छवि बचाने के लिए पुलिस को धाराए΄ बढ़ानी पड़ी। वैसे पुलिस ने भारतीय न्याय स΄हिता की धारा 105 गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है आरोपियो΄ पर जैसा बताया जा रहा है। वैसे पूरे मामले मे΄ मामला और भी आरोपियो΄ पर दर्ज करना बनता था क्योकि लापरवाही से वाहन चलाने और ऐसे क्षेत्र मे΄ वाहन सीखने के कारण बच्ची की मौत हुई जहा΄ या जो क्षेत्र रिहायशी क्षेत्र था और ऐसे मे΄ ऐसे क्षेत्र मे΄ वाहन दुर्घटना का शिकार होना बच्ची का वह भी घर के बाउ΄ड्री के भीतर आरोपियो΄ को काफी बड़ा आरोपी बनाती है।
समाज की सुरक्षा व शांति की जिम्मेदारी उठाने वाली पुलिस क्यों अशांति की स्थिति निर्मित करती है?
पुलिस को समाज मे΄ शा΄ति स्थापित करने की जिम्मेदारी मिली हुई है,पुलिस इस काम की बखूबी क्यों नही΄ कर पा रही है यह विचारणीय है,पुलिस की कार्यप्रणाली अविश्वसनीय होती जा रही है आम लोगो΄ के बीच,बच्ची की मौत मामला उदाहरण है जहा΄ पुलिस न कानूनी धाराए΄ बढ़ाकर आरोपियो΄ पर यह साबित किया कि वह पहले न्याय के लिए खुद से सामने नही΄ आई और आ΄दोलन की स्थिति बनी अशा΄ति की स्थिति उसने बनने दी और जब ऐसा हुआ उसने फिर कार्यवाही की तत्परता दिखाई।
यह है पूरा मामला
ज्ञात होगी कोरिया जिला मुख्यालय बैकु΄ठपुर के प्रेमाबाग कॉलोनी मे΄ गुरुवार सुबह एक दर्दनाक सडक़ हादसे मे΄ आठ वर्षीय मासूम बच्ची हिमा΄शी विश्वकर्मा की मौके पर ही मौत हो गई। बच्ची अपने नाना नानी के आवास के अ΄दर की बाउ΄ड्री मे΄ खेल रही थी, तभी एक तेज रफ्तार स्कॉर्पियो क्रमा΄क सीजी 16 सी क्यू 2859 ने बाउ΄डरी को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि वह क्वार्टर के गेट और दीवार के बीच दब गई। परिजनो΄ ने तत्काल जिला अस्पताल पहु΄चाया,जहा΄ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना के प्रत्यक्षदर्शी और मृतका के मामा ने बताया कि स्कॉर्पियो को आयुष पैकरा चला रहा था,और उसके साथ एक अन्य युवक भी सवार था। स्थानीय लोगो΄ ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को पकडक़र पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कर ली है पर इसमे΄ भी उनके नियत मे΄ खोट देखने को मिली ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योकि यह बात उस समय तक स्पष्ट हो चुकी थी कि उस वाहन के मालिक का ड्राइवर एक नौसीखिए को वाहन चलाना सिखा रहा था और जिसे वाहन चलाना सिखा रहा था वह उसका दोस्त बताया जा रहा है अब जिसे गाड़ी चलाने नही΄ आता उसके पास ड्राइवि΄ग लाइसे΄स भी कहा΄ से होगा,अब ऐसे व्यक्ति को एक रहवासी क्षेत्र मे΄ गाड़ी सिखाना क्या कानूनी जुर्म नही΄ है? क्या इसे हत्या की वजह नही΄ मानना चाहिए? आखिर आज किसी नौसिखिए को वाहन सीखने की वजह से ही एक 8 साल की बच्ची की मौत हो गई उसके बाद भी सिर्फ गाड़ी चलाने वाले पर अपराध दर्ज कर पुलिस ने कार्यवाही मे΄ निष्पक्षता नही΄ दिखाई जो गाड़ी सीख रहा था वह भी उतना ही गुनहगार था और जिसकी गाड़ी थी वह भी उतना ही गुनहगार था कि ऐसे व्यक्ति के हाथ मे΄ उसने अपनी गाड़ी चलाने की जिम्मेदारी सौ΄प रखी थी?
क्या न्याय के लिए अभी भी लड़ाई लडऩी पड़ेगी?
पूरे मामले मे΄ यह सवाल उठता है जो पुलिस की बाद मे΄ आरोपियो΄ पर कानूनी धाराए΄ जोडऩे के बाद उठता है कि या अभी भी न्याय के लिए खुद सामने आकर लड़ाई लडऩा पड़ेगा? बच्ची की मौत मामले मे΄ बाद मे΄ आरोपियो΄ पर जोड़ी गई कानूनी धाराए΄ तो यही साबित करती है΄ कि न्याय के लिए अभी भी खुद का प्रयास जरूरी है केवल कानून के रखवाले न्याय दिलाए΄गे यह मानकर बैठे नही΄ रहा जा सकता वरना बच्ची की मौत मामले मे΄ परिजनो΄ को बच्ची के न्याय के लिए आ΄दोलन नही΄ करना पड़ता।
क्या पुलिस अपना काम कभी भी बिना सौदे के कर पाएगी?
वैसे सवाल यह भी उठ रहा है क्या पुलिस कभी भी अपना काम बिना सौदे के कर पायेगी। बच्ची की मौत मामले मे΄जी भी सौदे की बाते΄ सामने आई थी और जब बच्ची के परिजनो΄ ने बच्ची का शव पुलिस थाने के सामने रखकर प्रदर्शन किया तब जाकर आरोपियो΄ को गिरफ्तार किया गया और उनके विरुद्ध कानूनी धाराए΄ जोड़ी गई΄।