
पिछले छः दशकों से देश में नासूर बनकर उभरा नक्सलवाद अब समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में घोषणा की है कि 31 मार्च 2026 तक देश में नक्सलवाद को समाप्त कर दिया जाएगा। गृह मंत्री द्वारा की गई यह एक बहुत बड़ी घोषणा है। गत 60 वर्षों से देश नक्सलवाद की समस्या से बुरी तरह पीçड़त रहा है। इस दौरान देश में कई सरकारें आई और चली गई मगर नक्सलवाद का नासूर दिनों-दिन बढ़ता ही रहा था। देश के कई प्रदेशों में तो बहुत बड़े हिस्से में नक्सलवादी अपनी समानांतर सरकार तक चलाते थे। नक्सलवाद प्रभावित जिलों में उनकी हुकूमत चलती थी। वहां केंद्र व राज्य सरकार का कोई असर नहीं दिखता था। नक्सलियों का फरमान ही अंतिम आदेश होता था जिसे लोग मानने को मजबूर थे।
मगर अब परिस्थितियों पूरी तरह बदल चुकी है। केंद्र सरकार की नक्सलवाद से मुक्ति के अभियान की सफलता से नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। कई बड़े-बड़े नक्सली कमांडर सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में ढेर हो चुके हैं या फिर उन्होंने सरेंडर कर अपनी जान बचा ली है। केंद्रीय गृह
मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनो कहा कि नक्सलवाद मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत ने वामपंथी उग्रवाद से अति प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटाकर 6 कर दिया है। शाह ने नक्सलवाद को खत्म करने के लिए मोदी सरकार के दृष्टिकोण पर रोशनी डालते हुए और सभी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने के लिए देश की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा था कि मोदी सरकार सर्वव्यापी विकास के लिए अथक प्रयासों और नक्सलवाद के खिलाफ दृढ़ रुख के साथ सशक्त,सुरक्षित और समृद्ध भारत बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। हम 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
गृह मंत्रालय के अनुसार भारत में नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की कुल संख्या पहले 38 थी। इनमें से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या अब घटकर 6 हो गई है। साथ ही चिंता के जिलों और अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या में भी कमी आई है। नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित छह जिलों में अब छत्तीसगढ़ में चार जिले बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम जिला व महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला शामिल है। इसके अतिरिक्त चिंता के जिलों की संख्या जिन्हें गहन संसाधनों और ध्यान की आवश्यकता है 9 से घटकर 6 रह गई है। ये जिले आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू, मध्य प्रदेश में बालाघाट,ओडिशा में कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी और तेलंगाना में भद्राद्री-कोठागुडेम हैं।
अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या जो नक्सली गतिविधि का भी सामना कर रहे हैं लेकिन कम हद तक 17 से घटकर 6 हो गई है। इनमें छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा,गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चैकी, झारखंड का लातेहार,ओडिशा का नुआपाड़ा और तेलंगाना का मुलुगु जिला शामिल हैं। इन जिलों को उनके पुनर्निर्माण और विकास में सहायता करने के लिए केंद्र सरकार विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करती है। सबसे अधिक प्रभावित जिलों को 30 करोड़ रुपये मिलते हैं। जबकि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में अंतराल को भरने के लिए चिंता वाले जिलों को 10 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं। इन क्षेत्रों की जरूरतों के अनुरूप विशेष परियोजनाओं को भी सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के चलते वर्ष 2025 में अब तक केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ों में कम से कम 130 नक्सली मारे गए हैं। इनमें से 110 से ज्यादा बस्तर संभाग में मारे गए जिसमें बीजापुर और कांकेर समेत सात जिले शामिल हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से 105 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 2025 में अब तक 164 ने आत्मसमर्पण कर दिया है। वहीं इससे पहले वर्ष 2024 में 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज किया गया था 1090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया था। अभी तक कुल 15 शीर्ष नक्सली नेताओं को न्यूट्रलाइज किया जा चुका है।वर्ष 2014 तक कुल 66 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन थे जबकि मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में इनकी संख्या बढ़कर 612 हो गई है। इसी प्रकार, 2014 में देश में 126 जिले नक्सलप्रभावित थे लेकिन 2024 में सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या घटकर मात्र 12 रह गई है। पिछले 5 वर्षों में कुल 302 नए सुरक्षा कैंप और 68 नाइट लैंडिंग हेलीपैड्स बनाए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2004 से 2014 तक देश में नक्सलवाद से जुड़ी 16,463 हिंसक घटनाएं हुई थीं। लेकिन पिछले 10 वर्षों में इसमें 53 प्रतिशत कमी आई है। वर्ष 2004 से 2014 तक विभिन्न नक्सली हमलों और नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान 1851 सुरक्षा कर्मियों की जान गई थी। लेकिन पिछले 10 साल में सुरक्षाबलों के हताहत होने की संख्या 73 प्रतिशत घटकर 509 रह गई है। वहीं 2004 से 14 के बीच नक्सली हमलों में 4,766 नागरिकों की मौत हुई थी। 2014 से 2024 के बीच यह आंकड़ा 70 प्रतिशत घटकर 1495 रह गया है। गृह मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2025 में अब तक 90 नक्सली मारे जा चुके हैं,104 को गिरफ्तार किया गया है और 164 ने आत्मसमर्पण किया है। वर्ष 2024 में 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज किया गया था,1090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया था। पिछले 20 वर्षों में 2,344 सुरक्षाकर्मियों ने नक्सलियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवाई है पिछले दो दशकों में अकेले नक्सली हमलों में 6,258 लोग मारे गए हैं। जब देश में नक्सलवाद अपने चरम पर था तब 8 करोड़ लोगों को प्रभावित किया था। जिनमें मुख्य रूप से आदिवासी थे। यह आंध्र प्रदेश, बिहार,छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में फैले एक लाल गलियारे के साथ 10 राज्यों में फैला हुआ था।सरकार एक तरफ जहां नक्सलवाद को समाप्त करने की घोषणा कर रही है वहीं दूसरी तरफ शहरी नक्सलवाद जिसे अर्बन नक्सलवाद भी कहा जाता है तेजी से उभर रहा है। यह पारंपरिक ग्रामीण नक्सलवाद से अलग है क्योंकि इसका फोकस शहरों और शहरी इलाकों में होता है। शहरी नक्सली विचारधारा के समर्थक, जिनमें शिक्षाविद, छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शामिल होते हैं नक्सलवादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करते हैं। वे विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक माध्यमों से अपनी विचारधारा फैलाते हैं और व्यवस्था के खिलाफ असंतोष को भड़काते हैं। देश में नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र सरकार के समग्र प्रयासों का असर दिखने लगा है। सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि अब देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में कमी हो रही है। सरकार ने नक्सलवाद-मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। देश में वामपंथी उग्रवाद से अति प्रभावित जिलों की संख्या में कमी आना इस आंदोलन की समाप्ति के संकेत है। नक्सलवादी आंदोलनकारियों ने अपनी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है। हजारों निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों ने भी नक्सलवादी विरोधी अभियान में अपनी शहादत दी है। एक समय था जब देश के 10 प्रांतो में नक्सलवादियों की तूती बोलती थी। इन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर भी हमला कर दिया था। जगदलपुर में तो नक्सलवादियों ने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की हत्या कर सनसनी फैला दी थी। मगर अब केंद्र सरकार की नीतियों के कारण एक तरफ जहां इन पर दबाव बढ़ा है वहीं उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में सरकार ने विकास की योजनाएं प्रारंभ कर उनका जन समर्थन समाप्त कर दिया है। कई बड़े नक्सली कमांडरो का एनकाउंटर होने के बाद डर कर बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। जिससे आने वाले समय में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शांति व्याप्त होगी। जो सरकार व आमजन की एक बड़ी जीत होगी।
रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू,राजस्थान