बलरामपुर@ अपनी गलतियों को छिपाने के लिए पत्रकार को रिश्वत के मामले में फंसाने वाली प्रधानपाठिका,सहायक शिक्षिका हुईं निलंबित

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@खबर का असर…
@ जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर-रामानुजगंज की बड़ी कार्यवाही,नियम विरुद्ध तरीके से परीक्षा दिलाने वाली प्रधान पाठिका,सहायक शिक्षिका पर की गई निलंबन की कार्यवाही
@ पुलिस वाले से मिलकर प्रधान पाठिका व सहायक शिक्षिका ने पत्रकार को फंसाया था रिश्वत मांगने के मामले में…
@ दैनिक घटती-घटना की शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी ने की थी जांच टीम गठित,जांच टीम में दोषी पाए जाने के बाद दोनों पर हुई निलंबन की कार्यवाही
@ ये सिद्ध हुआ कि मामले में एफआईआर दर्ज करने के षड्यंत्र में टीआई कुमार चंदन सिंह भी थे शामिल?
-सुदामा राजवाड़े-

बलरामपुर,16 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। पांचवीं बोर्ड परीक्षा के दौरान अनुपस्थित छात्रा की जगह चौथी कक्षा की छात्रा से परीक्षा दिलवाने के मामले में दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र में बड़ी प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित की गई थी,जिला कलेक्टर के निर्देश पर बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी ने संज्ञान लेते हुए बड़ी कार्यवाही की है,बलरामपुर रामानुजगंज जिले के प्रतापपुर ब्लॉक के करजी संकुल के अंतर्गत उधेनपुर प्राथमिक शाल प्रधान पाठिका व सहायक शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया है,उन्हें इस मामले में दोषी पाया गया वह भी जांच उपरांत, इस कार्यवाही को अब तक की बड़ी कार्यवाही माना जा रहा है, जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर रामानुजगंज ने इस गलती को गंभीर मानते हुए तत्काल प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका पर निलंबन की कार्यवाही की है। ऐसा सिर्फ दैनिक घटती घटना खबर के बाद ही हुआ है यह खबर का बड़ा असर है।
ज्ञात हो की पांचवीं बोर्ड की परीक्षा मार्च महीने में चल रही थी इस दौरान बलरामपुर जिले के राजपुर ब्लॉक के करजी संकुल के अंतर्गत उधेनुपारा प्राथमिक शाला की प्रधान पाठिका प्रमिला तिग्गा और सहायक शिक्षिका नीलू केरकेटा नियम विरुद्ध तरीके से एक अनुपस्थित छात्रा की जगह उसी स्कूल के चौथी कक्षा की छात्रा से परीक्षा दिलाया जा रहा था जिसकी पड़ताल करने पहुंचे पत्रकार को भी रिश्वत मांगने के झूठे आरोप में पुलिस वाले से मिली भगत करके उसे फंसा दिया गया था और इस मामले में पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा था इसके बाद दैनिक घटती-घटना ने इस खबर को बड़ी प्रमुखता के साथ प्रकाशित करते हुए पूरे मामले को संज्ञान में लाया था और पत्रकार को भी झूठे रिश्वत के मामले में फसाने की खबर प्रकाशित की थी और अंततः वह बात भी सत्य हुई जांच में खबर सही पाई गई जिसके बाद बलरामपुर रामानुजगंज जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा स्कूल के प्रधान पाठिका प्रतिमा तिग्गा व नीलू केरकेट्टा सहायक शिक्षिका को दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया गया। पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर रामानुजगंज ने खबर से मामले का संज्ञान लिया और जांच टीम गठित कर मामले की जांच कराई वहीं मामले में दैनिक घटती-घटना के पत्रकार की खबर सही पाई गई और दूसरी छात्रा की जगह दूसरी छात्रा परीक्षा देती पाई गई। वैसे पूरे मामले में पत्रकार को झूठे लेनदेन के मामले में फंसाने की कवायद करने वाली प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका का पोल अब खुल गया…पत्रकार निर्दोष साबित हुआ…वहीं इस मामले राजपुर पुलिस भी कहीं न कहीं गलत साबित हुई और एक पत्रकार को बेवजह कानूनी कार्यवाही में फंसाने उसने षडयंत्र में सहयोग किया जान पड़ता है।

पत्रकार कहीं पर्दाफाश न करदे मामले का…इसलिए पत्रकार को रिश्वत के मामले में फंसाया गया
मामले में जिस पत्रकार ने विद्यालय पहुंचकर वीडियो बनाया उसे रिश्वत मामले में फंसाया गया। अब यह कहना गलत नहीं होगा कि पत्रकार मामले का पर्दाफाश न करदे इसलिए उसे रिश्वत मामले में फंसाया गया। पत्रकार ने मामले का वीडियो बनाया था और स्कूल पहुंचकर कक्षा में दूसरी छात्रा की जगह दूसरी छात्रा को परीक्षा देते पकड़ा और उसका वीडियो बनाया बयान लिया। जब पत्रकार ने बयान ले लिया और वीडियो बना लिया तब उसे बिना अनुमति के पहुंचना स्कूल में कहकर और रिश्वत मांगने के आरोप में पुलिस के हवाले किया गया। अब जब प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका दोषी पाई गई है तब यह कहना कि पत्रकार को फंसाया गया यह कहना भी गलत नहीं होगा।
राजपुर पुलिस ने पत्रकार के विरुद्ध शिकायत पर निष्पक्षता के साथ जांच क्यों नहीं की?
बता दें कि पूरे मामले में पत्रकार पर बिना अनुमति विद्यालय में पहुंचने की कार्यवाही की गई जबकि वह पहुंचा तभी मामले का खुलासा हुआ, कुल मिलाकर देखा जाए तो राजपुर पुलिस ने पत्रकार के विरुद्ध शिकायत की जांच केवल इसलिए नहीं की क्योंकि बात निष्पक्षता की थी जो उन्हें कहीं न कहीं पसंद नहीं आई और उन्होंने केवल सूचना पर कार्यवाही कर दी जबकि जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर रामानुजगंज ने दैनिक घटती-घटना की खबर से संज्ञान लिया और दोषी पाए जाने पर प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका पर कार्यवाही किया। जिला शिक्षा अधिकारी की कार्यवाही कबीले तारीफ है।
राजपुर थाना प्रभारी क्या प्रधान पाठिका व सहायक शिक्षिका के प्रभाव में थे जिस वजह से पत्रकार पर उन्होंने अपराध दर्ज किया?
वैसे प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका दोनों विभागीय जांच में दोषी पाए गए और अब यह तय हो गया कि पत्रकार जिसके ऊपर प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका ने आरोप लगाया था वह सही था उसकी खबर और उसकी पड़ताल सही थी,अब क्या यह कहना सही होगा कि थाना प्रभारी राजपुर प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका के प्रभाव में थे इसलिए उन्होंने बिना जांच किए पत्रकार पर अपराध दर्ज किया। कुल मिलाकर थाना प्रभारी की कार्यवाही दोषपूर्ण थी यह कहना सही होगा।
क्या है पूरा मामला
पत्रकार को प्रधान पाठक पर शिक्षिका की करतूत का पर्दाफाश करने का प्रयास पड़ा महंगा,प्रधान पाठक व शिक्षिका अपने आप को बचाने के लिए पत्रकार के पास रिश्वत की रखी बात ताकि मामले का हो सके पटाक्षेप,जब मामले का पटाक्षेप की बनी स्थित उसके बाद रिश्वत के ही मामले में पत्रकार को फसाया,रिश्वत दिया नहीं पर मांगने का आरोप लगाकर थाने में की शिकायत और शिक्षकों को ही बनाया गवाह,पत्रकार से भी दो कदम आगे निकली प्रधान पाठक व शिक्षिका आखिर उनके द्वारा जो नियम विरुद्ध तरीके से परीक्षा ली जा रही थी अब उसे पर कार्रवाई कौन करेगा? क्या इस पर जांच होगी जो मुद्दा पत्रकार को उजागर करना चाह रहा था वह मुद्दा रिश्वत की शिकायत भटका दिया गया और पत्रकार को उस मामले में उलझा दिया गया। पत्रकार को जानकारी मिली थी कि बलरामपुर जिले के प्राथमिक शाला उधेनुपारा संकुल करजी विकासखंड राजपुर में बोर्ड परीक्षा संचालित हो रही है छत्तीसगढ़ सरकार ने पांचवीं व आठवीं की भी बोर्ड परीक्षा कर दी है, राज्य सरकार बच्चों की शिक्षा को बेहतर करने के लिए ऐसा निर्णय ली है पर स्थानीय प्रशासन व जिला शिक्षा अधिकारी की उदासीनता से यह बोर्ड परीक्षा भी प्रभावित होती देखी गई,पत्रकार को सूत्रों जानकारी मिली थी कि पांचवीं बोर्ड परीक्षा में एक छात्रा अनुपस्थित है वह अपने किसी रिश्तेदार के यहां गई हुई है शत-प्रतिशत परिणाम दिखाने के लिए उस स्कूल के प्रधान पाठक ने अपने स्कूल की एक चौथी कक्षा के छात्रा को अनुपस्थित छात्रा की जगह बैठाकर परीक्षा दिलवा रहे है जो नियम के विरुद्ध था,इस पर पत्रकार 27 मार्च को इसकी पड़ताल करने उस स्कूल पहुंचा जहां पर उसने पाया कि सही में ऐसा हो रहा है, आपको बता दे की मेनका,एक प्रसिद्ध पात्र है जो स्वर्ग की सुंदर अप्सराओं में से एक मानी जाती है, जिसने ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग की थी ठीक उसी तरह यहां की शिक्षिका भी पत्रकार की तपस्या भंग कर दी और उसे अपने रिश्वत के जाल में फंसा लिया और पत्रकार भी उनके रिश्वत के जाल में फंसकर उस महत्वपूर्ण खबर से भटक गया, जो वह के प्रधान पाठक व सहायक शिक्षक द्वारा किया जा रहा गलत कृत्य था,पत्रकार की गलती बस इतनी थी की जो जानकारी उसे मिली थी उसे उजागर करने चला गया और उनके बिछाए जाल में फंस गया, पत्रकार पर तो पुलिस ने आनन फानन में कार्यवाही कर दिया पर वह प्रधान पाठक व सहायक शिक्षक से यह नही पूछे की आप ने ऐसी कौन सी बड़ी गलती किए है जो आप को रिश्वत देने की जरुरत पड़ी? पर उस स्कूल के प्रधान पाठक व सहायक शिक्षक पर कार्यवाही कौन करेगा? जो शासन के नियमों के विरुद्ध अनुपस्थित छात्र की जगह दूसरे कक्ष की छात्रा से बोर्ड परीक्षा दिलवा रहे थे, जबकि उसे स्कूल के पास में कक्षा के दर्ज संख्या 3 की, जिसमें एक छात्र और दो छात्रा थी,एक अनुपस्थित थी जिसे उपस्थित दिखाकर दूसरे कक्ष के अपने स्कूल के छात्र से बोर्ड परीक्षा दिला गया,जिसका वीडियो भी उस पत्रकार ने बना लिया था,जो आज भी मौजूद है इन प्रधान पाठक व सहायक शिक्षक पर कार्यवाही के लिए क्या शिक्षा मंत्री को आना पड़ेगा? या फिर उस जिले के शिक्षा अधिकारी कार्यवाही कर पाएंगे या फिर शिक्षा अधिकारी के सह पर ही ऐसा हो रहा था?


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