लेख@ क्या अब सरकारी योजनाएं दीर्घकालिक नहीं रहीं

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अब वह सिर्फ सरकार परिवर्तन पर निर्भर हो गई हैं?
क्या योजनाएं सरकार के प्रचार के लिए हैं या फिर लोगों को लाभ देने के लिए उनके हितों के लिए?

सरकार बदलते ही सिर्फ योजनाओं के नाम बदलते हैं बाकी योजनाएं वैसे ही रहती है?
दीर्घकालिक योजनाएं कभी हुआ करते थे अब तो सत्ता परिवर्तन कालीन योजनाएं हो गई?

सरकारी योजनाएं देश के के साथ देशवासियों के हित के लिए बनाई जाती थी ताकि उन योजनाओं का लाभ उन वर्गों को मिल सके जो इसके लायक है या फिर जिन्हें उन योजनाओं की आवश्यकता है। तमाम सरकार शुरू से ऐसी ही योजनाएं लाया करती थी। आजादी के बाद से जब देश में लोकतांत्रिक सरकार आई तो देश के लोगों की स्थिति को देखते हुए उनके अनुरूप योजनाएं सरकार ने लाई। कांग्रेस की जब सरकार थी तो उनके द्वारा भी सैकड़ो योजनाएं चलाई जा रही थी। योजनाएं भले ही नेताओं के टेबल से तैयार होते थे लेकिन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर उन व्यक्तियों को मिलता था जो उस योजना के लिए पात्रता रखते थे। बड़ी-बड़ी योजनाओं की बात की जाए यह दीर्घकालीन योजनाओं की बात की जाए तो यूपीए सरकार में इंदिरा आवास जो आज प्रधानमंत्री आवास में बदल गया है। इंदिरा गांव गंगा जो आज जल जीवन मिशन में परिवर्तित हो गया है। ऐसी कई योजनाएं हैं जो दीर्घकालीन हुआ करती थी पर अब सत्ता परिवर्तन कालीन हो गई हैं। योजनाएं वैसे ही रहती हैं सिर्फ सत्ता के बाद उनका नाम बदल जाता है। ऐसा लगता है कि वह योजना वर्तमान सत्ता की है जबकि योजनाओं की बात की जाए तो योजनाएं पहले से जारी वाली ही रहती हैं। सिर्फ नाम में परिवर्तन हो जाता है। जैसे राशन वितरण,सड़क योजना,शिक्षा की कई योजनाएं स्वास्थ्य की कई योजनाएं जिनके नाम सिर्फ बदले हैं बाकी योजनाएं सिर्फ वही रहती हैं। आज की स्थिति में कोई ऐसी योजनाएं नहीं बची है जो दीर्घकालीन कहा जा सके क्योंकि उनका नाम ही परिवर्तन हो जाता है। वर्तमान छत्तीसगढ़ में भी कुछ ऐसे ही देखने को मिल रहा है।
हाल ही की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ भी इस परम्परा से अछूता नहीं है।वर्तमान में भाजपा की सरकार है और इससे पहले कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस का आरोप यह है कि भूपेश बघेल की योजना का नाम भाजपा सरकार ने बदल दिया है। किसे मिलता है इसका लाभ। रमन सिंह ने की थी शुरुआत। आत्मानंद मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना का बदला नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना किया। रमन सिंह ने शुरू की थी टॉपर्स छात्रों के लिए यह योजना। भूपेश बघेल ने 2018 में योजना का बदल दिया था इसका नाम। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने भूपेश बघेल के कार्यकाल की एक योजना का नाम फिर से बदल दिया है। हालांकि इस योजना की शुरुआत रमन सिंह के कार्यकाल में हुई थी। विष्णुदेव साय सरकार ने छत्तीसगढ़ में टॉपर्स के लिए चल रही छात्र प्रोत्साहन योजना का नाम बदल दिया है। अब स्वामी आत्मानंद मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना कर दिया गया है। इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने नाम बदलने को लेकर आदेश भी जारी कर दिया है। आदेश जारी होने के बाद ही अब इस पर सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने बीजेपी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बीजेपी प्रदेश के महापुरुषों के अपमान कर रही है। टॉपर्स को किया जाता है सम्मानित इस योजना
के तहत हर साल कक्षा 10 वीं और 12 वीं के टॉपर्स को सम्मानित किया जाता है। नाम बदलने के बाद सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जल्द ही टॉपर्स का सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। इस योजना के तहत टॉप करने वाले छात्रों को डेढ़ लाख रुपये तक की स्कॉलरशिप दी जाती है। योजना इस योजना की शुरुआत 2017 में राज्य के तत्कालीन सीएम रमन सिंह ने की थी। जब इस योजना को शुरू किया गया था तब इसका नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना थी। 2018 में राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे। कांग्रेस सरकार बनने के बाद तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने इस योजना का नाम बदल दिया था। रमन सिंह के कार्यकाल में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से चल रही योजना को उन्होंने स्वामी आत्मानंद छात्र प्रोत्साहन योजना कर दिया था। टॉप छात्रों के लिए जो राशि वितरण की जाती है एवं योजना के जो खर्च होता है शिक्षा विभाग वहन करता है वह खर्च, शिक्षा विभाग की तरफ से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि, योजना में लगने वाला पूरा खर्च छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा उठाया जाएगा। सरकार के इस फैसले के बाद अब टॉपर्स के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा।
-रवि सिंह-
पण्डोपारा,कटकोना,
कोरिया,छत्तीसगढ़


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