अंबिकापुर, 07 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। महामाया पहाड़ से हटाए गए अतिक्रमण के प्रभावितों ने सोमवार को डीएफओ कार्यालय का घेराव कर विरोध-प्रदर्शन किया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रभावितों ने अपना पक्ष रखने डीएफओ कार्यालय पहुंचे थे। प्रभावितों का आरोप है कि वन विभाग कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। कोर्ट ने प्रभावितों को अपना पक्ष वन विभाग के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा इसके बावजूद विभाग के अधिकारी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।
महामाया पहाड़ पर अवैध तरीके से वन भूमि पर अतिक्रमण कर घर बनाकर रहने का मामला सामने आया था। शिकायत के बाद मामले की जांच कराई गई थी। जांच में अवैध अतिक्रमण पाया गया था। इसके बाद जनवरी माह में वन विभाग ने 60 घरों को नोटिस देने के तुरंत बाद कार्रवाई की गई थी। जिसके तहत कुछ घरों को जमींदोज कर दिया गया था,लेकिन कार्रवाई के दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया गया था। प्रभावितों ने हाईकोर्ट गए थे। जिसमें हाईकोर्ट ने प्रभावितों को कहा था कि वे अपना पक्ष डीएफओ के समक्ष रखें। लिखित पक्ष लेते हुए 7 अप्रैल तक पूरे जांच रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। पीडि़तों का आरोप है कि वन विभाग उनका पक्ष भी लेने में आनाकानी कर रही है। प्रभावित सोमवार को अपना पक्ष रखने पहुंचे थे। प्रभावितों ने पक्ष नहीं सुनने का आरोप लगाकर डीएफओ कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। प्रभावित परिवारों ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर जमीन का सीमांकन कराने की मांग रखी। प्रदर्शनकारियों के साथ पहुंचे अधिवक्ता अनवारूल हक फिरदौसी ने दावा किया कि हाईकोर्ट ने डीएफओ के नेतृत्व में टीम बनाकर जमीनों का सीमांकन करने का आदेश दिया है। अनवारूल हक फिरदौसी ने दावा किया कि जिस भूमि से अतिक्रमण हटाया गया है,वह मेंटनेंस में नजूल के पत्थर चट्टान मद में दर्ज है। वनविभाग उक्त भूमि को रिजर्व फारेस्ट का बताकर कार्रवाई की है। चूंकि वनविभाग के अधिकारी फंस गए हैं,इसलिए वे जांच एवं सीमांकन करने से बच रहे हैं। अतिक्रमण हटाने से प्रभावित 24 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। डीएफओ तेजस शेखर ने बताया कि इसमें हाईकोर्ट द्वारा डीएफओ के समझ पक्ष रखने कहा है। हम हाईकोर्ट के निर्देश के आधार पर पक्षकारों का बयान दर्ज कर रहे हैं। पूरी प्रक्रिया नियमानुसार पूरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि पूरी भूमि फारेस्ट की है। हमने हाईकोर्ट के समक्ष नोटिफिकेशन भी प्रस्तुत कर दिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए यह ऑर्डर जारी किया है।
