
अंबिकापुर, 06 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन रविवार को मर्यादा पुरूषोाम भगवान राम का जन्मोत्सव प्राचीन राम मंदिर में धूमधाम से मनाया गया। शहर के ब्रह्म रोड स्थित राम मंदिर में परपंरागत ढंग से दोपहर 12 बजे भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया गया। इस दौरान प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव भी शामिल हुए और पूजा अर्चना की। इस दौरान मंदिर परिसर जय श्रीराम के जयकारे से गूंजता रहा। रामनवमी पर वर्षों से परपंरागत ढंग से भगवान राम के जन्मोत्सव का आयोजन राम मंदिर में होता रहा है। रविवार की सुबह से ही महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गईं थी। भजन-कीर्तन के बीच भगवान राम सहित जानकी का विशेष श्रृंगार किया गया। पूजा से पहले परंपरा के अनुसार मंदिर के पट बंद कर दिए गए। दोपहर 12 बजे जैसे ही मंदिर के पट खोले गए। इस दौरान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। राम मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा महाआरती की गई। आरती के बाद बधाइयों का दौर शुरू हो गया। मंदिर परिसर में उपस्थित भक्तों ने एक दूसरे को बधाई देकर रामजन्मोत्सव की शुभकामनाएं दी। राम मंदिर में भंडारे का भी आयोजन किया गया था। जन्मोत्सव कार्यक्रम के बाद श्रद्धालुओं ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। जन्मोत्सव कार्यक्रम के बाद भक्तों द्वारा टॉफी बांटी गई। महिला मंडली द्वारा राम जन्मोत्सव गीत का भी आयोजन किया गया था।राम मंदिर में परपंरागत ढंग से दोपहर 12 बजे भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया गया। इससे पूर्व मंदिर में पूजा अर्चना सुबह से ही शुरू हो गई थी। जन्मोत्सव कार्यक्रम से पूर्व भक्तों द्वारा मंदिर परिसर में अखंड रामायण का भी आयोजन किया गया था। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी के अवसर पर रविवार को नगर के दुर्गा मंदिरों, देवी धामों में जगत जननी की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। सरगुजा की अराध्य मां महामाया मंदिर अंबिकापुर में मंदिर में पूरे दिन पूजा का दौर चलता रहा। इस दौरान सुबह से ही श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंच कर पूजा अर्चना की। महामाया मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। मां की दर्शन के लिए लोगों ने कतार में खड़े होकर घंटों अपनी बारी का इंतजार करते रहे। नौ दिन तक व्रत रखने वाले भक्त नवमी के हवन-पूजन कर पूर्णाहुति हुई। इस दौरान महामाया मंदिर, समलाया मंदिर, मां दुर्गा शक्तिपीठ गांधी चौक, संत हरकेवल मंदिर, काली मंदिर, रघुनाथपुर मंदिर, शीतला मंदिर सहित शहर के सभी देवी मंदिरों में माता की आराधना करने श्रद्धालु पहुंचे। इधर देवी मंदिरों में नवरात्रि के समापन पर हवन-पूजन का कार्यक्रम दिन भर चलता रहा। इसी के साथ चैत्र नवरात्रि का समापन हुआ। इस मौके पर मंदिरों एवं घरों में कन्या भोज का आयोजन किया गया था।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव हुए शामिल

अम्बिकापुर शहर के 95 वर्ष पुराने प्रभु श्री राम मंदिर में आज परंपरा अनुसार राजपरिवार की प्रथम पूजा के साथ रामनवमी का पर्व पूरी आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सरगुजा राजपरिवार के महाराज एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री टी0 एस सिंहदेव ने पूजा उपरांत दोपहर ठीक 12 बजे मंदिर के गर्भगृह का पट खोलकर प्रकटोत्सव की शुरुआत की। वर्ष 1930 में पूर्व महाराज स्व. मदनेश्वर शरण सिंहदेव के जन्म पर तत्कालीन सरगुजा रियासत के महाराज स्व. रामानुज शरण सिंहदेव ने प्रभु राम के मंदिर का निर्माण कराया था। 90 के दशक में अमरकंटक के कल्याण बाबा के अनुरोध पर पूर्व महाराज स्व. मदनेश्वर शरण सिंहदेव एवं महारानी स्व. देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव ने राममंदिर को कल्याण आश्रम को दान में दे दिया था। महारानी स्व. देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव आजीवन इस मंदिर के ट्रस्ट की ट्रस्टी रही थी। रामनवमी के दिन शहर के इस प्रचीन राममंदिर में परंपरा रही है कि सरगुजा महाराज या उनके प्रतिनिधि के द्वारा प्रथम पूजा की जाती है एवं गर्भगृह का पट खोला जाता है। आज दोपहर 12 बजे श्री राममंदिन में पूजा एवं गर्भगृह के पट को खोलने के उपरांत टीएस सिंहदेव ने सभी नागरिकों को रामनवमी की बधाई दी एवं प्रभु राम के मर्यादा पुरुषोाम के आचरण को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि रियासतकाल से सरगुजा राजपरिवार की पारिवारिक परंपरा सनातन धर्म की रही है, लेकिन निति के रुप में परिवार सर्वधर्म सद्भाव पर यकीन करता है। सर्वधर्म सद्भाव के साथ ही परिवार सरगुजा के आदीवासी संस्कृति के परंपराओं को भी अपने पूजा पद्धति में समावेश करता है। उन्होंने कहा कि चाहे रामनवमी में प्रभु श्री राम के मंदिर की प्रथम पूजा हो या नवरात्री में मां महामाया मंदिर में संधि पूजा हो सरगुजा राजपरिवार अपने परिवार के इन सनातनी परंपराओं को पूर्ण करने के लिये कृत संकल्पित है। रामनवमी की पूजा के उपरांत उन्होंने राजपरिवार की ओर से राममंदिर परिसर में आयोजित भंडारे को भी प्रारंभ किया और श्रद्वालुओं को भंडारे के प्रसाद का वितरण किया