बैकुंठपुर@बिना फॉरेस्ट से अनुमति लिए इंजीनियर नेकैसे टेंडर का दिया अप्रुवल?

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-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,01 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के अंतर्गत सहक्षेत्र कटकोना तालाब चौड़ीकरण व पेड़ कटाई का मामला विवादों में घिरता जा रहा है, इस विवाद का जनक कोई और नहीं उस समय के सिविल अभियंता राम सिंह मीणा है जो वर्तमान में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर होने के बाद भी प्रभारी क्षेत्रीय सिविल अभियंता बनकर बैठे हुए हैं और मलाई खा रहे हैं,एसईसीएल क्षेत्र के सिविल के कार्यों की बात की जाए तो सारे कार्यों में अनियमितता ही पाई जाएगी यदि जांच हो जाए तो? कॉलोनियों की साफ-सफाई तो भगवान भरोसे है,बिना काम हुए ही बिल पास हो जा रहे हैं और ठेकेदार मौज कर रहे हैं बस इन्हें तो कमीशन से मतलब है, कमीशन पा कर बिना काम के ही ठेकेदार की मौज है और उनकी भी मौज है पर इस समय यदि कोई सबसे बड़ा विवाद खड़ा हो चुका है तो वह विवाद है तालाब चौड़ीकरण व हरे पेड़ों की कटाई का विवाद वहीं यह इसलिए उत्पन्न हुआ है क्योंकि अपने आप को सुपर इंजीनियर बताने के चक्कर में इन्होंने तालाब चौड़ीकरण वाली जगह को खाली बता दिया था,निर्माण स्थल को क्लियर बताया था और सिर्फ चौड़ीकरण करना है जबकि वहां पर पहले से ही सैकड़ो पेड़ नीलगिरी के लगे हुए थे,सूत्रों का कहना है कि जब हेडमर्टर ने इनसे पूछा की साइड क्लियर है तो इन्होंने लिख कर दे दिया की साइड क्लियर है जिसके बाद 2 करोड़ का टेंडर हो गया और आज तालाब चौड़ीकरण स्थल पर सैकड़ो पेड़ लगे हुए हैं जिस वजह से अब वहां पर काम विवादों में फस गया है। चोरी छुपे पेड़ों की कटाई का जिम्मा भी इनके द्वारा लकड़ी माफिया को दे दिया गया था,दो-तीन ट्रक लकड़ी वहां से काट कर ले जाया भी गया पर खबर के बाद कटाई बंद हो गई। पर सवाल यह है कि ऐसे इंजीनियर पर क्या एसईसीएल हैडमटर से कोई कार्यवाही करेगी? जिसकी वजह से यह विवाद उत्पन्न हो गया है जबकि इंजीनियर को वन विभाग से एनओसी लेने के बाद ही टेंडर निकालना था और वहां पर स्थल को निर्माण योग्य पहले से तैयार कर लेना था पर बिना तैयारी के ही हेडमर्टर को भी गलत जानकारी दी गई और टेंडर भी करवा लिया गया,टेंडर का वर्क आर्डर भी आ गया पर अब ठेकेदार के पास काम करने के लिए स्थल को सौप नहीं पा रहे हैं, क्योंकि उस स्थल पर सैकड़ो पेड़ लगे हुए हैं जो खबर प्रकाशन के बाद अब उस पर वन विभाग की भी नजर है।
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बन गए हैं क्षेत्र के बॉस
एक बहुत अच्छी व पुरानी कहावत है जो हमेशा चर्चा में रहती है की बंदर के हाथ नारियल का लगना मतलब कि अयोग्य या अनाड़ी को कोई उच्च गुणवत्ता वाले पद या चीज दे दें तो वह उसे समझ नहीं पाता और उसे और उसका गलत उपयोग करता है,कुछ ऐसा ही एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राम सिंह मीणा के साथ देखने को मिल रहा है यह ई 3 के अधिकारी हैं पर ई 7 वाले अधिकारी के पद पर प्रभारी बनकर मलाई खा रहे हैं। क्षेत्रीय अभियंता का पद यह बड़ा पद होता है इस पर ई 6 या ई 7 रैंक के अधिकारी बैठते हैं जो काफी योग्य होते हैं और जानकार होते हैं पर इस समय ई 3 रैंक के व्यक्ति को प्रभारी क्षेत्रीय अभियंता बनाकर बैठा दिया गया है जो अपने मनमानी किए पड़े हैं और एसईसीएल क्षेत्र का भट्ठा बैठाए पड़े है। जिन्हें सहक्षेत्र में रहना था उन्हें पूरे क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंप दी गई। बिना अनुभवी के हाथों में पूरे क्षेत्र के सिविल काम का जिम्मा देना आज भ्रष्टाचार की भेंट की तरफ इशारा कर रहा है।
क्या प्रभारी क्षेत्रीय अभियंता अपने पद का कर रहे हैं दुरुपयोग?
प्रभारी क्षेत्रीय अभियंता ने कटकोना तालाब चौड़ीकरण मामले में जिस तरह से गलती की है उसके बाद यह सवाल खड़ा होता है कि क्या प्रभारी क्षेत्रीय अभियंता अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। वैसे कटकोना का मामला पद दुरुपयोग का मामला है और यह गलत जानकारी देने का भी मामला है उच्च स्तर पर।
बिना निर्माण स्थल के क्लीयरेंस टेंडर निकालना पड़ा भारी,ठेकेदार भी एक करोड़ फंसा कर चिंता में बैठे
कटकोना का तालाब चौड़ीकरण मामला अब फंसता हुआ नजर आ रहा है। एक तरफ बिना क्लियरेंस के टेंडर निकला और टेंडर एक ठेकेदार को मिल भी गया वहीं ठेकेदार अपनी पूंजी भी फंसा चुका लेकिन उसे काम चालू करने की अनुमति नहीं मिल रही है क्योंकि मामला अब पेड़ो की कटाई से जुड़ गया है। अब देखना है कि कैसे क्षेत्रीय अभियंता इस मामले में ठेकेदार को काम चालू करने की अनुमति प्रदान करते हैं।
वन विकास निगम द्वारा लगाए गए पेड़ को एसईसीएल ने अपने तालाब चौड़ीकरण को करने के लिए सौंप दिया था लकड़ी माफिया को…
एसईसीएल कटकोना सह क्षेत्र के जिस तालाब का चौड़ीकरण किया जाना प्रस्तावित है उस तालाब के तट पर काफी सारे नीलगिरी के पेड़ पर्यावरण की दृष्टि से वन विकास निगम द्वारा लगाए गए हैं,अब तालाब चौड़ीकरण के लिए उन पेड़ो की कटाई का जिम्मा लड़की माफियाओं को दे दिया गया था जिन्होंने काफी पेड़ काट भी लिए और ले भी गए…वैसे वन क्षेत्र से ऐसा कैसे संभव हुआ यह बड़ा प्रश्न वन विभाग से भी है।
क्या बिना अनुमति पेड़ काटने के मामले में वन विभाग एसईसीएल पर करेगा कार्रवाई?
वैसे अब यह भी देखने वाली बात होगी कि क्या बिना अनुमति पेड़ो की कटाई मामले में वन विभाग एसईसीएल कटकोना सहक्षेत्र के जिम्मेदारों पर कार्यवाही करता है। वैसे कार्यवाही तो बनती है क्योंकि मामला ही ऐसा है जहां लकड़ी माफिया वन क्षेत्र में घुसकर पेड़ काट ले जाते हैं और एसईसीएल प्रबंधन और वन विभाग मौन बना रहता है।
क्या पेड़ कटाई मामले में डीएफओ सहित रेंजर भी है शामिल?
वैसे कई पेड़ों की कटाई वन क्षेत्र से होने के मामले में यह भी सवाल उठता है कि क्या डीएफओ और रेंजर इस मामले में शामिल हैं,क्योंकि बिना जानकारी इतने सारे पेड़ो की कटाई वन क्षेत्र से लकड़ी माफिया नहीं कर सकते है।


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