बैकुण्ठपुर,@क्या कोरिया का भाजपा संगठन सफलता के बाद भी अपने कर्मठ पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को दूर कर रहा?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,20 मार्च 2025 (घटती-घटना)। जब भाजपा विपक्ष में थी उस समय भी संगठन कोरिया जिले का खराब दौर से गुजर रहा था,अब साा के बाद भी संगठन चुनावी सफलता के बाद भी खराब दौर से गुजर रहा है, जिलाध्यक्ष व विधायक के बीच तालमेल पूरी तरह से खत्म होता दिख रहा है, विपक्ष में रहते हुए तालमेल ना होना समझ में आता है पर साा में रहने के बाद भी विधायक व जिलाध्यक्ष के बीच तालमेल ना होना यह समझ के परे है, और वर्तमान विपक्ष के लिए सुखद समय माना जा रहा है वर्तमान जिलाध्यक्ष व वर्तमान सत्तापक्ष के विधायक के बीच तालमेल ना होने की सिर्फ एक वजह है वह वजह है योग्य व पुराने आदिवासी महिला भाजपा नेत्री को जिला पंचायत अध्यक्ष न बनने देना,जहां वर्तमान विधायक संगठनात्मक व पार्टी के दृष्टि से उस नेत्री को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाना चाह रहे थे जो पार्टी के लिए काफी योग्य थी समर्पित थी पर जिलाध्यक्ष भाजपा ने उस व्यक्ति को जिला पंचायत का अध्यक्ष बना दिया जो हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे,उन्हें जिला पंचायत का समर्थित प्रत्याशी चुनने तक का फैसला तो सही था पर जिला पंचायत अध्यक्ष बनने तक के फैसले को लेकर कोरिया भाजपा इस समय चारों तरफ से घिरी हुई है, साथ ही पार्टी के अंदर अब विद्रोह सी स्थिति हो गई है, विधायक से लेकर भाजपा का एक बहुत बड़ा वर्ग इस फैसले से नाराज है। सूत्रों का यह भी दावा है कि ऐसे व्यक्ति को भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने को लेकर कोरिया भाजपा को विद्रोह के दलदल में धकेला, उस व्यक्ति का जिला पंचायत चुनाव लड़ने से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष बनने तक उसका करोड़ों रुपए खर्च कर दिया, साथ ही वह व्यक्ति अपना राइस मिल भी एक कांग्रेसी के पास गिरवी रख दिया, ऐसा सूत्रों का दावा है घटती-घटना इसकी पुष्टि नहीं करता,जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष बहुत बुरी तरीके से ट्रोल हो रहे हैं। आखिर ऐसी क्या वजह आन पड़ी थी कि भाजपा जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस से भाजपा में प्रवेश करने वाले पर इतना अधिक भरोसा जता दिया? जिस वजह से कई सालों से भाजपा के लिए काम करने वाली नेत्री को दरकिनार किया गया?
जिलाध्यक्ष क्या पूर्व जिलाध्यक्ष के सलाहों पर चल रहे हैं जिस वजह से आपसी सामंजस्य की कमी आ रही?
जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव संपन्न होने के बाद एक सवाल बहुत तेजी से लोगों के जेहन में उठने लगा है क्या वर्तमान जिलाध्यक्ष भी पूर्व जिलाध्यक्ष की सलाह पर चल रहे हैं जिस वजह से पार्टी में तालमेल बिगड़ता दिख रहा यहां तक की सत्तापक्ष के विधायक के साथ भी तालमेल अब सही नहीं है ऐसा खुद साा पक्ष के विधायक भी अब लोगों को कहने लगे हैं।
क्या वर्तमान विधायक भी हुए ब्लैकमेल और लिया गया उनसे लाखों?
शहर में एक चर्चा और बहुत तेजी से फैली हुई है वह चर्चा है कि वर्तमान विधायक की बहू को उपाध्यक्ष बनने के लिए व निर्विरोध उपाध्यक्ष बनने के लिए उनसे अच्छी खासी रकम ब्लैकमेल करके कैसे उनसे पैसा निकाला गया, यह बात पर यदि चर्चा किया जाए तो लोगों का कहना है कि भाजपा के जिलाध्यक्ष ने ही कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य को नामांकन फार्म खरीदवाया और उपाध्यक्ष के लिए भरने को कहा और फिर उनकी बहू को निर्विरोध उपाध्यक्ष बनाने के लिए ब्लैकमेल करने की योजना बनाई गई ताकि कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को पैसे देने हैं ताकि वह नामांकन फॉर्म वापस ले ले ताकि उनकी बहू निविरोध उपाध्यक्ष बन सके, जबकि वह चाहता तो अध्यक्ष के लिए भी दावेदारी कर सकता था पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी ने योजनाबद्ध तरीके से उपाध्यक्ष के लिए दावेदारी पेश की फिर उसके बाद जिलाध्यक्ष के मन मुताविक पैसे की डील हुई फिर जाकर निर्विरोध वर्तमान विधायक की बहू उपाध्यक्ष बनी ऐसा सूत्रों का दावा है कि 15 लाख रुपए के डिमांड वर्तमान विधायक से उनकी बहू को उपाध्यक्ष बनने के लिए हुआ और पैसे भी दिए गए और सवाल यह उठता है कि क्या भाजपा में यह एक नई संस्कृति की शुरुआत है?
क्या वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष को कांग्रेसियों से है प्रेम?
वर्तमान कोरिया भाजपा जिला अध्यक्ष को लेकर अब लोगों के जुबान पर यह बात आने लगा है कि उन्हें कांग्रेस प्रेम ज्यादा उनके अंदर देखा जा रहा है, उन्हें कांग्रेसियों पर भरोसा ज्यादा है भाजपाइयों की अपेक्षा, लगातार सोशल मीडिया पर फोटो डालना और बधाई देना के साथ ही तस्वीर भी घर बुलाकर खिंचवाना और उनका स्वागत करना ऐसा लग रहा है कि उनमें भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य से ज्यादा खुशी उन्हें अन्य पार्टी के समर्थित प्रत्याशियों में है? जिसे लेकर अब उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर भी लोग का खुलकर लिखने लगे हैं और उनके कार्यप्रणाली का विरोध भी करने लगे हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष व वर्तमान विधायक के अलग-अलग विचार भाजपा के लिए जिले में मुसीबत बन सकती है…
विपक्ष में स्थिति तो जो थी सो थी पर अब सत्ता में भी स्थानीय विधायक व भाजपा जिलाध्यक्ष के बीच तालमेल न होना कहीं ना कहीं भाजपा की लुटिया डूबने वाली स्थिति निर्मित कर रही है, जिला पंचायत व नगरीय निकाय में जीत की सफलता के बाद भी भाजपा खेमे में वह खुशी नहीं है जो होनी चाहिए थी तुलनात्मक व समझदारी वाला निर्णय न लेना ही वर्तमान जिलाध्यक्ष के लिए आलोचना का विषय बन गया है, जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा आलोचना में है जिलाध्यक्ष और यह आलोचनाएं हर तरह से हो रही हैं जिसकी समीक्षा भी शायद उन्हें करनी चाहिए और अपने किए हुए गलती पर भी विचार करनी चाहिए क्या यह पार्टी हित में था या फिर ऐसा करके पार्टी को तोड़ने का प्रयास था कार्यकर्ताओं व पदाधिकारी के मनोबल तोड़ने का प्रयास था? वर्तमान विधायक व जिलाध्यक्ष के बीच बिल्कुल भी तालमेल अब नहीं दिख रहा ऐसा लग रहा है कि अब दोनों के बीच एक बड़ी सी लकीर खींच गई है जो अब मिटाने वाली नहीं है।
आखिर कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले की स्थिति इस चुनाव में हो गई काफी खराब…राइस मील तक रखना पड़ा गिरवी वह भी कांग्रेसियों के पासःसूत्र
एक सामान्य व सीधे-साधे व्यक्ति को एक दिग्गज नेता के सामने चुनाव लडवाकर भाजपा ने उस व्यक्ति के लिए एक तरफ कुआं तो एक तरफ खाई वाली स्थिति निर्मित कर दी थी अच्छा खासा व्यापारी नेतागिरी के चक्कर में करोड़ों के कर्ज में दब गया,जहां चुनाव जीतने के लिए उसने लाखों खर्च किए तो वही अध्यक्ष बनने तक उसका राइस मिल किसी कांग्रेसी के पास गिरवी रखा गया ऐसा सूत्रों का दावा है और यह बात जिले में आम हो चली है आखिर भाजपा क्या अपने ही पार्टी के व्यक्ति की बर्बादी तलाश रही है? क्या सफलता के लिए जिलाध्यक्ष किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं?
भाजपा जिलाध्यक्ष व वर्तमान विधायक आपसी सामंजस्य के साथ एक योग्य व पार्टी के पुराने कार्यकर्ता को जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बना पाए जिस वजह से टूट रही पार्टी
भाजपा के जिलाध्यक्ष काफी पढ़े लिखे होने के साथ काफी मीठे बोली वाले हैं और संगठन को चलाने का माद्दा भी रखते हैं पर क्या विधायक के साथ आपसी सामंजस्य व किसी वरिष्ठ के साथ रणनीति तय करने में सलाह लेना उनके सान के खिलाफ है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जिला पंचायत चुनाव को लेकर जो स्थितियां निर्मित हुई उसे लेकर भाजपा फिर से दो फाड़ हो गई है यहां तक की वर्तमान विधायक व जिलाध्यक्ष के बीच बिल्कुल भी अच्छा सामंजस्य नहीं है यह भी अब लोगों को पता चल चुका है जिसका फायदा कांग्रेस आगामी चुनाव में उठा सकती है वही पार्टी की छवि अलग खराब हो रही है।
एक भाजपा के व्यक्ति को सोशल मीडिया पर लिखना पड़ा भारी जिलाध्यक्ष के लोगों ने घर जाकर उसे धमकाया और पोस्ट डिलीट कराया:सूत्र
विधायक समर्थित एक व्यक्ति को वर्तमान जिलाध्यक्ष के विषय में सोशल मीडिया में लिखकर आलोचना करना महंगा पड़ गया सूत्रों का कहना है कि सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना करने वाले को भाजपा जिला अध्यक्ष के समर्थक डांटने व धमकाने पहुंच गए और उससे पोस्ट को डिलीट करवाया।


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