- आत्मानंद विद्यालय के समस्त स्टाफ व शिक्षकों ने कलेक्टर एसपी सहित विभाग के उच्च अधिकारियों को…की शिकायत,लगाए गंभीर आरोप
- क्या स्कूल के प्राचार्य व व्याख्याता शिक्षक को मिला हुआ है जिला शिक्षा अधिकारी व संयुक्त संचालक शिक्षा अधिकारी का संरक्षण?
- सीसीटीवी का उपयोग क्या प्राचार्य व व्याख्याता टीचर अपने नयन सुख के लिए लगाए हैं?
- नियमित शिक्षकों व संविदा वाले शिक्षकों में भेदभाव क्यों?
- प्राचार्य के पास एक अच्छी टीम होने के बाद भी भेदभाव में शिक्षा व्यवस्था को करवा रहे हैं चौपट?
- प्राचार्य की बातों को जिला शिक्षा अधिकारी व संयुक्त संचालक शिक्षक सरगुजा मानते हैं सत्य बाकी स्टाफ की बातें उन्हें लगती है असत्य क्यों?
- क्या नियमित शिक्षक नहीं है तो संविदालय शिक्षकों का नहीं है कोई इज्जत व मान सम्मान क्या उन्हें डरा कर नौकरी से निकलने की बात कह कर प्रताडि़त करेंगे प्राचार्य?


-भूपेन्द्र सिंह-
अंबिकापुर,11 मार्च 2025 (घटती-घटना)। कांग्रेस शासन काल में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी विद्यालय अंबिकापुर के केशवपुर में संचालित होना शुरू हुआ था,जहां बेहतर शिक्षा की कल्पना के साथ इस स्कूल का शुभारंभ किया गया पर आज भाजपा सरकार में इस स्कूल में पदस्थ संविदा कर्मचारी अपने परेशानियां को लेकर सरगुजा कलेक्टर से शिकायत कर कई गंभीर आरोप अपने प्राचार्य व व्याख्याता शिक्षक के विरुद्ध लगाए हैं,जो कहीं ना कहीं उनकी कर प्रणाली को लेकर बड़ा सवाल है वही जिला शिक्षा अधिकारी व शिक्षा संयुक्त संचालक ऐसे प्राचार्य व व्याख्याता पर मेहरबान है, जिस वजह से उन्हें अपने ही कर्मचारी व आत्मानंद विद्यालय के स्टाफ व कर्मचारियों के बातों पर विश्वास नहीं सिर्फ उन्हें विश्वास है तो अपने समाज के व्याख्याता शिक्षक व प्रभारी प्राचार्य की बातों का, कर्मचारियों ने जो आरोप लगाया है वह आप काफी गंभीर है और अपराध की श्रेणी के आरोप है,पर क्या इस पर कार्यवाही होगी यह भी बड़ा सवाल है,क्योंकि संविदा शिक्षकों को अभी से ही यह कह कर डराया जा रहा है की नेतागिरी मत करो नहीं तो नौकरी से हाथ धौ बैठोगे। जिस प्रकार से शिक्षक व संविदा स्टाफ ने आरोप लगाए हैं यह आरोप काफी गंभीर है इस आरोप में उन्होंने बताया है कि प्रभारी प्राचार्य व व्याख्याता शिक्षक की नियत को गलत बताते हुए कहा कि सीसीटीवी कैमरा की निगरानी में खुद प्राचार्य व व्याख्याता शिक्षक नहीं रहते हैं पर बाकी शिक्षकों के निगरानी के लिए लगे कैमरे का उपयोग गलत नीयत से लगाया गया है,सीसीटीवी से शिक्षिकाओं का फोटो सीसीटीवी से लेकर शिक्षक के मोबाइल पर भेजा जाता है और उसे धमकाया व टारगेट किया जाता है अब ऐसे गंभीर आरोप कानूनी दृष्टिकोण से अपराधिकृत माने जा रहे हैं पर क्या अपराध दर्ज होंगे यह भी सवाल है।
शिकायत में लिखा की हम सब संविदा कर्मचारी स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी विद्यालय केशवपुर में पदस्थ हैं। हम सबके साथ हमारे प्रभारी प्राचार्य संतोष कुमार साहू तथा व्याख्याता अनिल त्रिपाठी द्वारा नियमित रूप से परेशान किया जा रहा है। हम मानसिक शारीरिक एवं आर्थिक रूप से नियमित प्रताडि़त हो रहे हैं। कार्यालय प्राचार्य द्वारा हमें नौकरी से निकालने जैसी धमकी दी जाती है तथा उच्च अधिकारियों तक बात पहुंचाने की बात करने पर संविदा रद्द कराने की धमकी दी जाती है। संविदा कर्मचारियों ने 28 बिंदु व चार पन्ने की शिकायत पत्र कलेक्टर सरगुजा को सौंपा है जिस में प्रभारी प्राचार्य व व्याख्याता शिक्षक से त्रस्त होकर स्वामी आत्मानंद विद्यालय केशवपुर अंबिकापुर के संविदा स्टॉफ ने जो चार पन्ने का शिकायत 28 बिंदुओं पर दिया है वह काफी चौंकाने वाले शिकायत है और कहीं न कहीं प्राचार्य व व्याख्याता शिक्षक की तानाशाही को भी उजागर करने की कोशिश हुई है अपनी नौकरी की परवाह किए बिना, इस बार उन्होंने हिम्मत जुटकर यह शिकायत की है यदि शिकायतों पर गौर किया जाए तो यह शिकायत किसी क्राइम पेट्रोल जैसे सीन से काम भी नहीं है।
बिना समझाए हमें बेवकूफ कहा जाता है…
हमारे साथी विज्ञान शिक्षिका को ऑफिस कार्य हेतु रखा गया है तथा उन्हें विज्ञान पढ़ाने मिडिल की कक्षाओं में नहीं भेजा जाता है। इससे हमारे विद्यालय का परीक्षा परिणाम खराब हो रहा है। महोदय इस पूरे सत्र के विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम का अवलोकन कर इसकी पुष्टि की जा सकती है। एकीकृत परीक्षा पांचवी तथा आठवीं का नॉमिनल रोल तैयार करने हेतु हमें कोई निर्देश नहीं दिया गया था। गलती होने पर बिना समझाए हमें बेवकूफ कहा जाता है और परेशान किया जाता है। नॉमिनल रोल 25 फरवरी तक (प्राइमरी केशवपुर दोनों माध्यम) का संबंधित कार्यालय में जमा नहीं हुआ था। जिस पर विलंब का दोषी हमें बताकर प्रताडि़त किया जा रहा है जबकि हमारे द्वारा एक दिन में तैयार कर कार्यालय प्राचार्य को सौंप दिया गया था। जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर यदि हम किसी कार्यक्रम या प्रतियोगिता में बच्चों के साथ शामिल होते हैं तो भी यात्रा देयको का भुगतान नहीं दिया जाता है जबकि पत्र में इसका प्रावधान लिखा होता है। पूर्व दो वर्षों से प्राचार्य के अडि़यल रवैये के कारण हमारे द्वारा क्लेम किया यात्रा देयक आज दिनांक लंबित है। कार्यालय प्राचार्य द्वारा हमें आर्थिक नुकसान पहुंचाने का लगातार प्रयास किया जाता है। केशवपुर में एमडीएम में बच्चों को उपस्थित बढाकर भेजी जाती है तथा शिक्षक जिनकी ड्यूटी भोजन चेक करने तथा स्वाद परिक्षण पंजी में इंट्री में लगाई जाती है के साथ एक अभिभावक की ड्यूटी भी अनिवार्य है। जबकि कभी किसी भी अभिवावक को भोजन का स्वाद लेने नहीं बुलाया जाता है। इसके अतिरिक्त बच्चों का भोजन और ऑफिस स्टाफ का भोजन अलग बनता है जो प्राचार्य एवं ऑफिस स्टाफ अपने कमरे में बैठकर भोजन करते हैं। बच्चों के साथ ना तो सफाई का ध्यान दिया जाता है ना ही बच्चों का बना भोजन कभी प्राचार्य द्वारा परीक्षण किया जाता है। महोदय संधारित पंजी एवं बच्चो के उपस्थिति पंजी से मिलान कर इसकी पुष्टि की जा सकती है।
स्वामी आत्मानंद में गलत एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है…
विद्यालय में कंप्यूटर लैब है लेकिन ना तो बच्चों को कंप्यूटर का अभ्यास कराया जाता है ना इनका उपयोग करने दिया जाता है। कंप्यूटर लैब में सदैव ताला लगा रहता है जिसकी चाभी प्राचार्य संतोष साहू अपने पास रखते हैं। शासन द्वारा सभी कक्षाओं में प्रोजेक्टर लगाया गया है ताकि ऑडियो विजुअल पढ़ाई हो सके। जिनमें से कुछ खराब हो गए है। विगत कई माह से नियमित शिकायत करने पर भी प्राचार्य द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। यह ध्यान दिलाना आवश्यक है स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी विद्यालय में एमडीएम (मध्यान भोजन) में बच्चों की कम उपस्थित होने पर भी उसे बढा कर भेजा जाता है और अंतर की राशि संबंधित समूह से मांगी जाती है। दो वर्षों से स्वामी आत्मानंद में गलत एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है कक्षा एक में बिना फॉर्म के बच्चों का एडमिशन लिया गया है, विरोध करने पर कहा जाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों का निर्देश है। इसके अतिरिक्त विज्ञापन में जिन कक्षाओं में सीट रिक्त नहीं दिखाई गयी थी उनमे भी सीट छुपा कर रखी गयी थी और बाद में बिना प्रक्रिया पूरी किये हिंदी माध्यम से आये बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश दिया गया है। यह शासन द्वारा निर्धारित नियमों की सरासर अवहेलना है।
बच्चे भूखे परेशान होते रहते हैं
विद्यालय में गणित एवं विज्ञान क्लब की राशि प्रतिवर्ष आती है पर गणित और विज्ञान की शिक्षकों को इस क्लब की कोई जानकारी नहीं दी जाती है ना ही उन्हें शामिल किया जाता है जबकि गणित विज्ञान क्लब की राशि का निरंतर खर्च दिखाया जा रहा है। यह बात ध्यान में लाना आवश्यक है कि केंद्र सरकार द्वारा दी गयी इस राशि का उपयोग कहां किया जा रहा है यह जांच का विषय है। अनिल त्रिपाठी द्वारा हिंदी माध्यम के बच्चों को देर तक रोका जाता है। कई बार बच्चे सुबह 7:30 से आकर दोपहर 3:00 तक उनके इंतजार में बैठे रहते हैं कि वह गणित पढ़ाएंगे। लेकिन कई बार कक्षा कार्य देकर वे ऑफिस में बैठ जाते हैं। बच्चे भूखे परेशान होते रहते हैं। हिंदी माध्यम के शिक्षकों द्वारा आपत्ती किए जाने पर उन्हें भी उटपटांग बात कही जाती है। हमें लंच टाइम में भी लंच ड्यूटी करने के लिए बाधित किया जाता है और कहा जाता है कि जिस दिन जिसकी ड्यूटी है वह लंच नहीं करेगा। आप अपनी ड्यूटी कीजिए नहीं तो आपका वेतन रोक दिया जाएगा।
संविदा कर्मचारियों ने 28 बिंदु व चार पन्ने का शिकायत पत्र के आरोप:-
स्तनपान कराने वाले शिक्षिका को नहीं मिलती है छुट्टी
हमारी महिला शिक्षिका (स्तनपान करने वाली साथी) को उनके बच्चे को स्कूल साथ में लाने की अनुमति है,लेकिन बच्चों को स्तनपान कराने हेतु विशेष ब्रेक नहीं दिया जाता है। ऐसे स्तनपान कराने वाले शिक्षिका का वेतन लगातार काटकर भुगतान किया गया है। स्टाफ रूम में बैठे होने पर कम उम्र की शिक्षिकाओं पर कैमरा जूम कर/फोकस कर उन्हें टॉर्चर किया जाता है। स्कूल प्रबंधन द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरे का प्रभारी प्राचार्य एवं अनिल त्रिपाठी द्वारा दुरुपयोग किया जाता है। इससे हमारी नियमित स्टॉकिंग की जाती है। स्टाफ रूम में बैठे होने पर कम उम्र की शिक्षिकाओं पर कैमरा जूम कर/फोकस कर उन्हें टॉर्चर किया जाता है,इसकी जांच कराई जाए। प्राचार्य द्वारा सीसीटीवी से फोटो लेकर हमें विशेष कर एक दो शिक्षिकाओं को टारगेट कर धमकाया जाता है तथा पुरुष शिक्षक के मोबाइल में फोटो भेजा जाता है। इस तरह की घटना को पूरे सत्र भर हम झेल रहे हैं। हमें लगता है कि यह कैंपस अब हमारे लिए सुरक्षित नहीं है। सीसीटीवी से हमें कोई परेशानी नहीं है लेकिन इस तरह की घटनाएं हमें मानसिक और शारीरिक कष्ट देती हैं। फोटो और वीडियो बिना हमारे परमिशन के सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से लिया जाता है और बाद में उसे ग्रुप में डालकर हमारा मजाक उड़ाया जाता है। हमारी एक महिला साथी की स्कूटी से दुर्घटना होने पर उन्हें शरीर में चोट आयी थी। अनिल त्रिपाठी द्वारा चोटिल हिस्से के फोटोग्राप्स की मांग की गयी थी। इस तरह की हरकतें हम निरन्तर झेलते आ रहे है। यह कार्य विगत डेढ़ साल से चल रहा है अब यह बर्दाश्त से बाहर होते चला जा रहा है।
एक निश्चित ड्रेस कोड (साड़ी) में आना अनिवार्य किया जाता
यहां यह ध्यान दिलाना आवश्यक है कि छत्तीसगढ़ के किसी भी शासकीय विद्यालय में ड्रेस कोड लागू नहीं है,लेकिन हमें एक निश्चित ड्रेस कोड (साड़ी) में आना अनिवार्य किया जाता है। हमारे द्वारा सौम्य एवं मौसम अनुकूल परिधान पहनने की अनुमति मांगने पर तानाशाही रवैया अपनाया जाता है। ज्ञात हो कि स्टाफ रूम कॉमन है जिसमें हमारे साथ पुरुष शिक्षक भी बैठते हैं। हमारे कपड़े अव्यवस्थित होने पर हमें उनके सामने तथा सीसीटीवी के स्टॉकिंग के साथ रहना पड़ता है। यह बहुत ही असहज स्थिति है।
बालकों के बाथरूम में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है…
बालकों के बाथरूम में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है तथा प्राचार्य एवं ऑफिस स्टाफ द्वारा अपने मोबाइल से लगातार अवलोकन किया जाता है। इसकी जानकारी बालकों ने अपनी अभिवावकों को दी है। यह बालकों के निजता का हनन है।
जानबूझकर वेतन बिल को विलंब किया जाता है…
आपके द्वारा समय पूर्व वेतन की राशि का अंतरण प्राचार्य के खाते में कर दिया जाता है। ऑफिस में वेतन का बिल अनिल त्रिपाठी द्वारा बनाया जाता है। वह जानबूझकर वेतन बिल को विलंब से डीईओ कार्यालय में भेजते हैं ताकि वेतन हमें विलंब से मिले। हमें वेतन अक्सर माह के द्वितीय सप्ताह तक प्राप्त होता है, जिसके कारण हमारी बैंक के ईएमआई बाउंस हो रही है और क्रेडिट रेटिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हमें बैंक को अतिरिक्त शुल्क तथा जुर्माने का भुगतान करना पड़ रहा है। जबकि महोदय हमारे द्वारा कार्य में कोई विलंब या लापरवाही नहीं किया जाता है। द्वेषपूर्ण किए गए इस कार्य से हमें मानसिक एवं आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है। हम इस विलम्ब की लगातार मौखिक सूचना देते रहे हैं पर प्राचार्य द्वारा कोई सुधार कार्य नहीं किया जाता है तथा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय अंबिकापुर द्वारा विलंब करने की बात कही जाती है। वेतन में विलंब होने पर जब हम कोई मौखिक शिकायत प्राचार्य से करते हैं तो ऑफिस स्टाफ द्वारा नौकरी से निकलवाने की धमकी दी जाती है।
अनैतिक तरीके से रास्ता रोककर (ऑफिस में) बात किया जाता है…
हमारी एक महिला शिक्षिका को अनिल त्रिपाठी द्वारा अनैतिक तरीके से रास्ता रोककर (ऑफिस में) बात किया जाता है जिससे वे कार्यालय जाने में असहज रहती हैं लेकिन उन्हें बार-बार प्राचार्य कक्ष में बुलाया जाता है। प्राचार्य को बताने पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है उल्टा हमें वेतन रोकने की धमकी दी जाती है। महोदय न्याय नहीं मिलने पर हम इस घटना को उच्च अधिकारिओं को देने हेतु बाध्य होंगे। कृपया हम महिलाओं की सुरक्षा हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करेंगे।
अनिल त्रिपाठी हिंदी माध्यम में गणित के व्याख्याता है वह अपनी कक्षा नियमित नहीं लेते हैं…
अनिल त्रिपाठी हिंदी माध्यम में गणित के व्याख्याता है वह अपनी कक्षा नियमित नहीं लेते हैं। हिंदी माध्यम का समय प्रातः 7:30 से है वह अंग्रेजी माध्यम 11:00 बजे के समय पर आते हैं और देर तक विद्यालय परिसर में ऑफिस कार्य के नाम पर शिक्षकों को रोक कर रखते हैं। महोदय यह बताना भी जरूरी है की अंग्रेजी माध्यम में पिछले सत्र में ही व्याख्याता गणित (संविदा) की नियुक्ति कहीं और हो जाने के कारण पद रिक्त है। श्री त्रिपाठी द्वारा अंग्रेजी माध्यम के समय पर उपलब्ध रहने पर भी अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को गणित नहीं पढाते है। इसके अतिरिक्त प्राचार्य संतोष साहू स्वयं भी गणित के व्याख्याता है लेकिन उनके द्वारा गणित की कक्षाएं कभी नहीं ली जाती हैं जबकि नियमानुसार प्राचार्य को भी दो कक्षाएं प्रतिदिन लेना आवश्यक है।
डिपार्चर ड्यूटी तथा मीटिंग के नाम पर हमें लगातार देर शाम तक जानबूझकर रोका जाता है…
डिपार्चर ड्यूटी तथा मीटिंग के नाम पर हमें लगातार देर शाम तक जानबूझकर रोका जाता है। पिछले शुक्रवार (28/02/2025) को भी मीटिंग के नाम पर सभी महिलाओं को शाम 06:45 तक रोका गया था। महोदय यह हमारे साथ जानबूझकर की गई ज्यादती है। महिला साथियों के द्वारा इस कृत्य पर आपत्ती करने पर प्राचार्य द्वारा नौकरी से निकलवाना, वेतन काटने, एलडब्लूपी करने और अनुपस्थित करने जैसी धमकी दी जाती है। महोदय प्राचार्य के इस कृत्य का हमारे निजी एवं पारिवारिक जीवन में भी बुरा असर पड़ रहा है। कृपया हमारे साथ न्याय करने का कष्ट करेंगे।
कंप्यूटर शिक्षिका की नियुक्ति है लेकिन उसे कार्यालय में रखा गया है
विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षिका की नियुक्ति है लेकिन उसे कार्यालय में रखा गया है तथा उससे अध्यापन कार्य नहीं कराया जाता है। जबकि प्राचार्य एवं कंप्यूटर शिक्षिका द्वारा बच्चों पर दबाव बनाकर लैपटॉप तथा कंप्यूटर खरीदवाया गया है। आप बच्चों एवं अभिभावकों से इसकी जानकारी ले सकते हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी एवं उच्च अधिकारियों के आदेश के अवहेलना की जाती
प्राचार्य सर द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी एवं उच्च अधिकारियों के आदेश के अवहेलना की जाती। हमारी ड्यूटी उच्च कार्य में लगाए जाने पर कार्य हेतु नहीं जाने दिया जाता है, ताकि हमारी छवि उच्च अधिकारिओं के समक्ष ख़राब हो। इस कारण उच्च अधिकारी हमें डाँटते है, जबकि उन्हें वस्तुस्थिति की जानकारी नहीं होती कि हमारे साथ क्या होता है। इससे शासकीय कार्य में अवरोध होता है जिसके लिए हम बिल्कुल जिम्मेदार नहीं होते हैं। लेकिन प्राचार्य के इस कृत्य से हम कार्यस्थल पर हतोत्साहित होते हैं और मानसिक प्रताड़ना का शिकार होते हैं।
शिकायत के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच टीम को सौपा जांच का जिम्मा
स्टाफ की शिकायत के बाद अंबिकापुर जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच टीम गठित करके सारे बिंदुओं पर जांच करने का जिम्मा जांच टीम को सौंप दिया है और जल्द से जल्द जांच प्रतिवेदन मांगा गया है अब देखना यह है की जांच टीम जांच करके क्या देती है।
शासन के निर्देशों के विपरीत हमें आधा घंटा पूर्व विद्यालय बुलाया जाता है…
हमारे विद्यालय आने का समय 12:00 है और अवकाश होने का समय शाम 5:00 बजे है जो राज्य शासन एवं जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र से से स्पष्ट होता है। शासन के निर्देशों के विपरीत हमें आधा घंटा पूर्व विद्यालय बुलाया जाता है, हमें 11:30 पर विद्यालय नहीं आने पर अनुपस्थित कर दिया जाता है। हमें शाम 5:00 बजे के बाद भी डिपार्चर ड्यूटी के नाम पर रोका जाता है और कई बार हमें बच्चों के साथ शाम 6 – 6:30 बजे तक रुकना पड़ता है, जबकि उस समय हमारे साथ अन्य कोई भी साथी नहीं होते हैं। चूँकि विद्यालय में बाउंड्रीवॉल नहीं है जिससे ग्रामीणों का एवं शराबियों का आना-जाना परिसर पर बना रहता है जिसे हम भयभीत रहते हैं इसकी सूचना थाना प्रभारी मणिपुर को लिखित में भी दी गयी है। अपरिहार्य कार्य के नाम से हमें लगातार देर शाम तक रोका गया तथा केंद्रीकृत कार्य करने के कारण किसी एक शिक्षक के कारण पूरे शिक्षकों को साथ देने के लिए रुकना पड़ता है आदरणीय देर शाम तक हमें रोका जाना हमें असहज स्थिति पर ले आता है। अपरिहार्य का कार्य नहीं करने और देर शाम तक नहीं रुकने की स्थिति में जिला शिक्षा अधिकारी का हवाला देकर वेतन रोकने की धमकी दी जाती है जिसकी जानकारी आदरणीय जिला शिक्षा अधिकारी को भी है। जिला शिक्षा अधिकारी को भी प्राचार्य द्वारा गलत जानकारी दे कर भ्रमित किया जाता है। हमारा कार्य विभाजन गलत किया जाता है। सबको समान कार्य नहीं दिया गया है ऑफिस में जो लोग रहते हैं उनको कम कक्षाएं दी जाती है और उनका सब्सिटूशन नहीं लगाया जाता है। हम में से कुछ लोगों को टारगेट करके सçसटूशन लगाया जाता है ताकि हम पूरे दिन लगातार कक्षा में खड़े रह कर पढाते रहें।
नियमित शिक्षकों को गर्मी छुट्टियां दी जाती है पर हमें नहीं
हमें छुट्टियां विशेष कर गर्मी की छुट्टियां हमें नहीं दी जाती हैं जबकि उसी विद्यालय के नियमित शिक्षकों को छुट्टियां दी जाती है। महोदय हमें प्राचार्य द्वारा पूरी गर्मी स्कूल लगाने और नियमित उपस्थिति की धमकी दी जाती है। कुछ विशेष कृपापात्र संविदा शिक्षकों को अतिरिक्त अवकाश की सुविधा दे कर उपकृत किया जाता है। हमारी छुटिया होने पर भी हमें आकस्मिक अवकाश न देकर वेतन काट दिया जाता है जबकी अन्य ऑफिस में रहने वाले शिक्षकों को ओ डी दिया जाता है। प्राचार्य को बार- बार अपनी परेशानी बताये जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती है वह अपने मित्र अनिल त्रिपाठी के कहे अनुसार चलते है, हमारी समस्या पर समाधान हेतु कभी कोई पहल नहीं की जाती है। गत दिनों हुवे दो मीटिंग में जो पिछले सप्ताह ही लगातार हुई है इसमें हमें देर शाम तक 06:45 तक रोका गया है, में स्पष्ट कहा गया है कि गर्मी की छुट्टियां नहीं दूंगा आपको जिसको जहां शिकायत करनी है कर लीजिए महोदय यदि नियमानुसार हमें गर्मी की छुट्टियों का प्रावधान नहीं है तो बात अलग है लेकिन जब नियमित शिक्षकों को गर्मी की छुट्टियां प्रदान की जाती है तो हमें क्यों नहीं?