लेख@ इस संसार में महिला होना गुनाह है क्या?

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परमात्मा ने स्त्री और पुरुष इस संसार चक्र को चलाने के लिए बनाए हैं! हमारा समाज पुरुष प्रधान है! मुख्य फैसले पुरुषों द्वारा ही लिए जाते हैं! स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बेशक हमारी समाज में जागरूकता लाने के कारण तथा महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के कारण पुरुषों की तरह काम करने की आजादी मिली हुई है! लेकिन इसके बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों तथा आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति सोचनीय है! हमारे देश में उत्तर पूर्व के एक प्रांत मणिपुर में पिछले 77 दिनों से मैतेई तथा कूका आदिवासियों में हिंसा आगजनी, महिलाओं के साथ दुष्कर्म आदि बातें हो रही है वह देश के लिए चिंता की बात है। अभी 2 दिन पहले सामने आई एक वीडियो ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। कहा जाता है यह वीडियो 4 जून 2023 की है। लगभग सौ आंदोलनकारियों ने कुछ महिलाओं को पुलिस कस्टडी में से छुड़वा कर उनमें से कुछ महिलाओं को निर्वस्त्र कर, नंगे पन में उनकी परेड करवाई, उनके प्राइवेट पार्ट्स के साथ छेड़छाड़ की और उनका गैंग रेप किया। बेशक यह घटना काफी पुरानी है इसको लेकर एफ आई आर दर्ज कराई गई लेकिन वीडियो में दिखाए गए किसी अपराधी को गिरफ्तार नहीं किया गया। हालांकि हर एफ आईआर की सूचना एक-दो दिन के बाद केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को दी जाती है। इसका मतलब यह है कि इस किस्म की जो वारदातें मणिपुर में हो रही थी उन सब का पता गृहमंत्री को था। अगर राज्य सरकार ने इनकी सूचना गृह मंत्रालय को नहीं दी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। नंगी स्ति्रयों का प्रेड कराया जाना तथा उनका गैंग रेप होने का वीडियो 2 दिन पहले जब वायरल हुआ तो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री चंद्रचूड़ ने स्वयं इसका संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार को दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है 28 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट करने के लिए कहा अन्यथा इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट स्वयं कार्रवाई करेगा। यह वीडियो वायरल होने के बाद सारे देश में क्रोध की आग भड़क उठी। संसद सदन के बाहर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस घटना ने उन्हें बहुत क्रोधित और दुखी किया है और देश की 140 करोड़ जनसंख्या को शर्मिंदा किया है। विपक्ष ने भी पिछले 77 दिनों से चल रही मणिपुर की हिंसा को लेकर सरकार की चुप्पी की आलोचना की। जब मणिपुर के मुख्यमंत्री से इसके बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि इस किस्म की सैकड़ों घटनाएं उनके राज्य में होती रहती हैं। यह तो और भी शर्मसार करने वाली बात है। जब कोई सरकार कानून व्यवस्था बना कर नहीं रख सकती, लोगों की जान माल की रक्षा नहीं कर सकती, महिलाओं की अस्मिता की रक्षा नहीं कर सकती तो कुछ सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए। संसद के सदन में सारा काम रोककर विपक्ष द्वारा मणिपुर पर बहस ना कराने के लिए 2 दिन तक संसद की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी। इस प्रकार के महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध के मद्देनजर बाल एवं महिला विकास मंत्री, स्मृति ईरानी का खामोश रहना तथा महिला आयोग का सरकार को कुछ ना कहना तथा प्रधानमंत्री का संसद में कोई बयान ना देना अपराधिक मामला है। मणिपुर की तरह राजस्थान में भी ऐसी घटना हुई है। इससे पहले दिल्ली में निर्भया कांड हो चुका है। प्रेमी द्वारा प्रेमिका के 40 टुकड़े करके फेंकने का मामला भी अभी ताजा-ताजा है। पूछा जा सकता है क्या महिला होना अपराध है। क्या महिला सशक्तिकरण एक ढोंग है। क्या महिला दिवस मनाना एक औपचारिकता मात्र ही है। देश के विभाजन के टाइम हम महिलाओं की अस्मत लुटते हुए सुन चुके हैं और यह सिलसिला अभी जारी है। आखिर कब तक। सचमुच देवी देवताओं के तथा अपने आप को विश्व गुरु कहने वाले भारत के लिए मणिपुर जैसी घटनाओं का होना शर्मसार करने वाला है।
प्रोफेसर शाम लाल कौशल
रोहतक-124001( हरियाणा)


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