संबंधित कंपनी को देने थे 4.07 करोड़ रुपये
आर्बिट्रेटर और कमर्शियल के आदेश को दी गई थी चुनौती
बिलासपुर,08 मार्च 2025(ए)। हाईकोर्ट ने कमर्शियल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें निगम को यह रकम देने के लिए कहा गया था। बिलासपुर नगर निगम को अब 4.07 करोड़ रुपये नहीं देने होंगे।
ड्रेनेज सिस्टम कंसल्टेंट किया था नियुक्त यह मामला स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम (बारिश के पानी की निकासी व्यवस्था) से जुड़ा है। नगर निगम ने 2010 में इस योजना के लिए एक सलाहकार (कंसल्टेंट) नियुक्त किया था। समझौते के अनुसार, सलाहकार को पूरी योजना की लागत का 1.18त्न देना तय हुआ था। दरअसल कंसलटेंट कंपनी को 33.53 करोड़ रुपये की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनानी थी, लेकिन कंपनी ने 333.93 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर 4 करोड़ 7 लाख 3583 रुपये की मांग कर दी।
सिंगापुर की कंपनी को मिला था यह काम
नगर निगम ने 15 जुलाई 2010 को स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम के लिए योजना और डिजाइन बनाने के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए टेंडर निकाला था। सिंगापुर की मैनहार्ट कंपनी को यह काम मिला। 24 जनवरी 2011 को हुए समझौते के मुताबिक, प्रोजेक्ट की कुल लागत का 1.18त्न कंसल्टेंट को मिलना था।
दस गुना से भी ज्यादा का बना कर दिया डीपीआर
कंपनी को 33.53 करोड़ रुपये की डीपीआर देनी थी, लेकिन कंपनी ने सर्वे करके 333.93 करोड़ रुपये की डीपीआर बना दी। इसके बाद मैनहार्ट कंपनी ने 1.18त्न के हिसाब से 4.7 करोड़ रुपये मांगे। जब नगर निगम ने पैसे देने से मना कर दिया, तो कंपनी ने मध्यस्थ (आर्बिट्रेटर) के पास मामला रखा। मध्यस्थ ने 7 फरवरी 2018 को कंसल्टेंट के पक्ष में फैसला सुनाया और 4.07 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया। साथ ही, यह भी कहा कि अगर तीन महीने में रकम नहीं दी गई तो 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।
नगर निगम ने इस फैसले को कमर्शियल कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां भी उनकी अपील खारिज हो गई। इसके बाद नगर निगम ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने नगर निगम के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रोजेक्ट की अंतिम लागत को सरकार से मंजूरी नहीं मिली थी, इसलिए कंसल्टेंट की फीस का दावा गलत था। कोर्ट ने मध्यस्थ और कंसल्टेंट के आदेश को रद्द कर दिया, जिससे नगर निगम को अब यह पैसा नहीं देना होगा।
