कोरिया@कोरिया पैलेस राजदीप सिंहदेव को रियासत मेंवारिसदार क्यों नहीं मान रहा?

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-रवि सिंह-
कोरिया,06 मार्च 2025 (घटती-घटना)। कोरिया रियासत या कहे कोरिया पैलेस राजपरिवार का जमीन विवाद इस समय सुर्खियों में है,इस विवाद की उत्पçा की वजह ही महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव के निधन के बाद देखने को मिला जब उनके जेष्ठ पुत्र भूपेंद्र नारायण सिंहदेव ने फौती चढ़ाने में गड़बड़ी की जिस वजह से जमीन विवाद उत्पन्न हुआ,राजदीप सिंहदेव ने जो जानकारी दी वह काफी चौंकाने वाली है और काफी रोचक भी है इन्होंने बताया कि राजा शिवमंगल सिंहदेव कोरिया के राजा थे उनके तीन पुत्र थे महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव,लाल रामशरण सिंह देव व लाल हरिशरण सिंहदेव, रामानुज प्रताप सिंह देव ज्येष्ठ पुत्र थे जिस वजह से वह कोरिया के राजा कहलाए, लाल रामशरण सिंह देव दूसरे पुत्र थे वह लाल हरिशरण सिंह देव उनके छोटे पुत्र थे…लाल रामशरण सिंहदेव जो अमेरिका चले गए थे इस वजह से उन्होंने अपनी संपçा अपने दोनों भाइयों को दे दी थी, लाल रामशरण सिंहदेव की दो पुत्री है,साथ ही लाल रामशरण सिंहदेव ने अपने हिस्से की जमीन अपने बड़े व छोटे भाई के नाम करने को कह दिया था,जिसके बाद कोरिया राजपरिवार की जमीन को पांच हिस्से में बंटवारा होना था पर रामानुज प्रताप सिंह देव के निधन के बाद उनके चार बेटे के नाम पर ही जमीन का बंटवारा किया गया,लाल हरिशरण सिंहदेव को राज परिवार के जमीन से दूर रखा गया, रामानुज प्रताप सिंह देव के चार पुत्र थे पहले भूपेंद्र नारायण सिंहदेव दूसरे निपेंद्र नारायण सिंह देव तीसरे महेंद्र प्रताप सिंहदेव व सबसे छोटे पुत्र थे डॉ रामचंद्र सिंहदेव, उनके नाम पर कोरिया रियासत की भूमि का बंटवारा हुआ, जिसमें भूपेन्द्र नारायण सिंहदेव की तीन संताने थी जिसमें दो बेटी व एक बेटे थे बेटे राघवेंद्र सिंह देव जो इस समय कोरिया पैलेस के राजा कहलाते हैं, इनके ऊपर आरोप यह है कि इन्होंने लाल हरिशरण सिंहदेव के दो बेटे थे बड़े बेटे का नाम वीरेंद्र सिंह देव था तो वहीं छोटे बेटे का नाम अम्बरीश सिंहदेव का पूरा नाम लाल ईश्वर शरण सिंह देव था, उनके ज्येष्ठ पुत्र वीरेंद्र सिंह देव बाल अवस्था में अविवाहित में ही उनकी मृत्यु हो गई थी,वही अम्बरिश सिंह देव के दो संतान हैं राजदीप सिंह देव जो जेष्ठ हैं तो वही अनुराधा सिंह देव राणावत उनकी छोटी पुत्री हैं, जो आज कोरिया रियासत में अपना हक लेने के लिए राजस्व कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। पर सवाल यह उठता है कि आखिर कोरिया पैलेस के राजा, लाल हरिशरण सिंह देव को कोरिया रियासत के जमीन से दूर क्यों रखा गया,जिस वजह से आज उनके पोते राजदीप सिंह देव को राजस्व कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं? आज जब राजदीप सिंहदेव अपने जमीन पर नाम चढ़वाना चाह रहे हैं और कोरिया में अपनी पहचान बनाना चाह रहे हैं तो फिर उन्हें कोई ना पहचाने ऐसा वर्तमान राजा क्यों कर रहे हैं? राजदीप सिंहदेव ने बताया कि हमने होली पर्व की बधाई कोरिया वाशियों को दी थी जिसमें अपने पूरे परिवार का फोटो लगाया था जिसे राजा साहब के द्वारा अपने कर्मचारियों को बोलकर हटवा दिया गया न जाने वह क्यों नहीं चाहते कि हमारी भी पहचान कोरिया जिले में हो?
राजा साहब,राजदीप सिंहदेव की पहचान नहीं होने देना चाहते जाहिर इस वजह से होली पर्व पर बधाई संदेश का बैनर पोस्टर हटवाया
वर्तमान राजा राजदीप सिंह की पहचान जाहिर नहीं होने देना चाहते यह भी आरोप है राजपरिवार के सदस्यों का और उनका कहना है कि राजा के कहने पर उनके कर्मचारियों के द्वारा उनके लगाए पोस्टर हटवा दिए गए हैं जिनमें उन्होंने राजपरिवार की तरफ से कोरिया वासियों को होली की बधाई दी थी।
राजदीप सिंह देव अपने माता-पिता के साथ कई बार आ चुके हैं कोरिया पैलेस…फिर भी उन्हें राज परिवार का हिस्सा न मनाने की वजह क्या है?
राजदीप सिंह देव बाल अवस्था में अक्सर अपने माता-पिता के साथ कोरिया पैलेस घूमने आया करते थे जिसकी कई तस्वीरें भी दैनिक घटती घटना के पास उपलध है, जिसमें यह देखा गया कि राजदीप सिंह देव कोरिया पैलेस के प्रांगण में घूमा करते थे, यहां पर इस विलास में रहा करते थे कई फेस्टिवल में भी उनका यहां आना-जाना अपने परिवार के साथ होता था, मतलब कि इनके तार अपने परिवार से शुरू से ही जुड़े हुए थे शेष शैक्षणिक अवस्था में आने के बाद ही यहां से थोड़ी सी दूरी हो गई और वह अपने पढ़ाई की वजह से थोड़ा दूर हो गए। वहीं पढ़ाई के दौरान उनके दादी व पिता का काम समय के अंतराल में निधन हो गया है जिस वजह से उनके ऊपर सारी जिम्मेदारी आ गई और वह जिम्मेदारी की वजह से भी थोड़ा दूर हो गए।
लाल हरिशरण सिंह देव को कोरिया रियासत की जमीन में हिस्सा क्यों नहीं दिया गया?
लाल हरिशरण सिंहदेव रामानुज प्रताप सिंह देव के छोटे भाई थे और मंझले भाई थे लाल रामशरण सिंहदेव जिन्होंने भारत से बाहर अमेरिका में आईसीएस अफसर होने की वजह से उनका तबादला हो गया जिसके बाद उन्हें जाना पड़ा, वहीं पर वह बस गए थे, जिस वजह से वह अपने बड़े भाई रामानुज प्रताप सिंह देव व छोटे भाई लाल हरिशरण सिंह देव को अपने हिस्से की जमीन दे दी थी, इसके बाद राजा रामानुज प्रताप सिंह देव के निधन के बाद को उनके चारों पुत्र के अलावा उनके भाई लाल हरिशरण सिंहदेव के नाम भी जमीन होनी थी जो नहीं कि गई सिर्फ उनके चार पुत्र के नाम ही जमीन हो पाई, रामानुज प्रताप सिंह देव के जेष्ठ पुत्र भूपेंद्र नारायण सिंहदेव जेष्ठ होने की वजह से कोरिया पैलेस के राजा हुए उनके बाद के भाई निपेंद्र नारायण सिंहदेव देश से बाहर अमेरिका के निवासी हो गए जिस वजह से उन्होंने भी अपनी भूमि को वैसे ही हालत में छोड़ दिया, वहीं उनके तीसरे पुत्र महेंद्र प्रताप सिंह देव वह उनके छोटे पुत्र रामचंद्र सिंह देव की काफी जमीन थी। अब जो जमीन बची हुई है वह जमीन भूपेन्द्र नारायण सिंहदेव के बेटे राघवेंद्र सिंहदेव व उनकी बेटी अदिति देवी व आकांक्षा देवी के नाम बताई जा रही है वहीं निपेंद्र नारायण सिंहदेव की जमीन पर वर्तमान विधायक दो-तीन सालों से कजा किए बैठी हैं,जबकि इस जमीन व इसके अलावा अन्य जमीन पर लाल हरिशरण सिंहदेव के पोते राजदीप सिंह देव व उनकी बहन अनुराधा सिंह देव राणावत अपना हिस्सा लेने के लिए राजस्व कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। बैकुण्ठपुर स्थित कोरिया पैलेस व उसके आसपास की राज परिवार की जमीन में हिस्सा लेने के लिए बैकुण्ठपुर तहसील कार्यालय में दरखास लगाई है।
कैसे मिलेगा राजदीप सिंहदेव व उनके बहन को न्याय?
अब कोरिया राजपरिवार की जमीन की लड़ाई राजस्व न्यायालय में है और अब सवाल यह उठता है कि इसका निराकरण कैसे होगा। वैसे जब राजपरिवार ने जमीन का बंटवारा किया तब राजपरिवार का राजशाही नियम लागू था कर राजा के बेटे को ही वारिसाना हक मिलता था और अब लोकतांत्रिक व्यवस्था है जहां सभी परिवार के सदस्य हकदार होंगे देखना है इसको लेकर राजस्व न्यायालय क्या न्याय करता है।
कोरिया कुमार की लिखी किताब में भी लाल हरिशरण सिंहदेव का वंशावली में नाम है फिर कोरिया रियासत के जमीन से नाम कैसे गायब हुआ?
कोरिया कुमार की लिखी किताब में लाल हरिशरण सिंहदेव का नाम दर्ज है परिवार के सदस्य के रूप में वहीं कोरिया रियासत की जमीनों और संपçायों में लाल हरिशरण सिंहदेव का नाम कैसे गायब है। वैसे इसके पीछे राजशाही नियम है और राजा के बेटे का ही नाम राजकीय जमीनों में दर्ज होता था जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत गलत है। वैसे तो कोरिया रियासत पर कई किताब लिखी गई है इसमें से एक किताब डॉ रामचंद्र सिंह देव ने खुद ही लिखी थी, जिसका नाम है जस्टिस इस द बेसिस ऑफ़ गवर्नमेंट यह किताब इंग्लिश लिखी गई थी जिसका व हिंदी अनुवाद भी तयार किया गया था ताकि लोग उसे पढ़ सके,यह किताब राजाओं की व्यवस्था पर लिखी गई थी, जिसमें कोरिया स्टेट से लेकर कोरिया के इतिहास भी इस किताब में मौजूद है यह किताब 123 पन्ने की लिखी गई थी इस किताब के 67 में पेज व 103 पेज में राज परिवार के वंशावली भी दी गई है, जिसमें राजदीप सिंह देव के दादा व पिता का नाम भी लिखा हुआ है, इस किताब के बातों को सत्य माने तो राजदीप सिंह देव इस राज परिवार के हिस्सा है, ऐसे में उन्हें यह बताने की जरूरत नहीं है कि उनका राज परिवार के जमीन पर हक बनता है, क्योंकि सारे किताब भी यही बताते हैं। यदि कोरिया कुमार की लिखी किताब जस्टिस इस द बेसिस ऑफ़ गवर्नमेंट के पेज नंबर 67 को देखा जाए तो उसमें राज परिवार का वंशावली बना हुआ है वहीं पेज नंबर 103 में लाल हरिशरण सिंह देव व उनके बेटे अम्बरीश एच सिंह चौहान का नाम भी लिखा हुआ है, जिनके बेटे हैं राजदीप सिंह देव। इस प्रकार यदि किताब के पेज नंबर 67 से लेकर 103 को पढ़ा जाएगा तो सारे चीज स्पष्ट हैं की जमीन पर अपना हक लेने पहुंचे राजदीप सिंह देव राज परिवार का हिस्सा है।
राजदीप सिंहदेव ने अपने राज परिवार से होने के लिए कुछ तस्वीरें भी दैनिक घटती-घटना को उपलब्ध कराई…
राजदीप सिंहदेव ने दैनिक घटती-घटना को तस्वीर भी साझा की एक तस्वीर दिखाई जिसमें राजदीप सिंहदेव व उनकी बहन अनुराधा सिंहदेव राणावत अपने बड़े पिता जी स्व. रामचंद्र सिंहदेव अपने पिता अम्बरिश सिंहदेव अपनी माता व अपने दादी की तस्वीर दी जिसमें वह साथ देखे जा रहे हैं कि वह उस परिवार का हिस्सा है,एक तस्वीर झुमका बांध की है जहां पर राजदीप सिंहदेव के पिता व उनकी बहन कोरिया कुमार के साथ खड़े हैं। एक फैमिली तस्वीर भी उन्होंने दिखाई जिसमें रामानुज प्रताप सिंह देव उनके मंझले भाई लाल रामशरण सिंहदेव व छोटे भाई लाल हरीशरण सिंहदेव के साथ उनके चारों बेटे की तस्वीर उन्होंने दिखाई और बताया कि उनके दादा राज परिवार के हिस्सा थे।


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