- भाजपा बैकुंठपुर में जनपद अध्यक्ष नहीं बना पाई तो वहीं सोनहत में जनपद अध्यक्ष बनाने में सफल रही
- क्या अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनाने का समझौता था दोनों राट्रीय पार्टियों में…?
- सोनहत जनपद पंचायत में उपाध्यक्ष भाजपा कांग्रेस दोनों का नहीं बन सके, उपाध्यक्ष पद पर निर्दलीय ने मारी बाजी
- क्या सत्ता व विपक्ष के समझौते से ही अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का हो पाता है निर्वाचन?
- अध्यक्ष उपाध्यक्ष का चुनाव संपन्न हो गया पर कई सवाल भी छोड़ गया?

-रवि सिंह-
कोरिया,04 मार्च 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद मंगलवार को कोरिया जिले के दो जनपद क्षेत्र सोनहत बैकुंठपुर दोनों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद का चुनाव भी संपन्न हो गया, बैकुंठपुर जनपद पंचायत में जहां कांग्रेस अपना अध्यक्ष बनाने में सफल रही तो वहीं भाजपा उपाध्यक्ष बनाकर ही झूमती दिखी, सोनहत जनपद पंचायत में भाजपा अध्यक्ष बनने में सफल हो गई पर उपाध्यक्ष निर्दलीय प्रत्याशी बनने में सफल हुआ, मतलब कि यहां पर भाजपा कांग्रेस दोनों दल उपाध्यक्ष बनाने में असफल रहे, बैकुंठपुर जनपद अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुनाव की बात की जाए तो यह देखने को मिला कि सत्ता के विरुद्ध का ही अध्यक्ष बनने में सफल रहा, यह तीसरी बार ऐसा देखा गया जब सत्तापक्ष के विपरीत बैकुंठपुर जनपद का अध्यक्ष निर्वाचित हुआ, 2015 में जब भाजपा की सरकार थी उस समय भी जनपद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष विपक्ष के निर्वाचित होकर आए थे, जब 2020 में चुनाव हुआ उस समय कांग्रेस की सरकार थी पर जनपद बैकुंठपुर में अध्यक्ष भाजपा के निर्वाचित हुए व उपाध्यक्ष कांग्रेस के निर्वाचित हो सके थे, 2025 चुनाव में सरकार भाजपा की है पर यहां भी अध्यक्ष विपक्षी पार्टी कांग्रेस का निर्वाचित हुआ वहीं सत्तापक्ष के हाथ उपाध्यक्ष का पद ही लगा, यदि तीन पंचवर्षीय कार्यकाल को देखा जाए तो सत्तापक्ष के विपरीत ही बैकुंठपुर जनपद की सरकार बनी है, जो सिलसिला लगातार जारी है। 2015 वर्ष ही ऐसा था उस समय तो अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों सत्तापक्ष ने गवा दिया था और विपक्ष ही सफल था। इस बार के भी चुनाव की बात की जाए तो किसी के पास बहुमत नहीं था फिर भी कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष प्रत्याशी को जीत मिली तो वहीं भाजपा समर्थित प्रत्याशी को उपाध्यक्ष बनने में सफलता मिली, वही अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की गिनती की बात की जाए तो एक-एक मत के अंतर से हार जीत हुई। कांग्रेस चाहती तो उपाध्यक्ष भी बना ले जाती पर दो कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों की वजह से कांग्रेस उपाध्यक्ष का पद गवां बैठी। राजू साहू को रनई जमीदार जनपद सदस्य बनाने में तो सफलता दिला दी पर उपाध्यक्ष नहीं बना पाए।
अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का रोमांचक मुकाबला अध्यक्ष पद कांग्रेस के पास तो उपाध्यक्ष के पद पर भाजपा के पास
बैकुंठपुर जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष चुनाव में पूरी तरह चरितार्थ उतरी…बैकुंठपुर जपं के चुनाव में कांग्रेस उदय सिंह के अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के बाद उतनी खुशियां भाजपा उपाध्यक्ष पद के प्यारेलाल साहू के जीतने पर मनाई। कांग्रेस के 2 कंडीडेट उपाध्यक्ष के लिए खड़े होने पर भाजपा के प्यारे लाल साहू की राह आसान हो गई। भाजपा के प्यारेलाल साहू को 12 मत,कांग्रेस के गणेश राजवाडे को 11 व कांग्रेस के ही राजू साहू को 2 मत मिले। भाजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र तिवारी, अनिल साहू, विनोद साहू, जगदीश साहू, शारदा गुप्ता, धीरेंद्र साहू सहित अनेक भाजपाइयों की उपस्थिति में कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी के साथ खुशियां मनाई। वहीं गुटबाजी में बंटी कांग्रेस खेमे में पूरी तरह सन्नाटा छाया रहा। पटना नगर पंचायत के चुनाव के बाद जिस तरह त्रिस्तरीय जिला पंचायती चुनाव में कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आई है, अगर यही हाल आगे भी नजर आता रहा तो कांग्रेस शीघ्र ही पूरी तरह कोमा में चली जाएगी। वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी के नेतृत्व में भाजपा एक अलग ही रंग व अंदाज में नजर आ रही है।
कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी ने अध्यक्ष पद के लिए एक वोट से जीत की दर्ज
कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी उदय सिंह ने जनपद अध्यक्ष बैकुंठपुर के पद पर कब्जा जमाया। उदय सिंह एक मत से अपने प्रतिद्वंदी से जीत दर्ज कर सके।भाजपा समर्थित अध्यक्ष पद के प्रत्याशी को केवल 5 मत ही मिल सके। कुल 4 लोगों के बीच अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ जिसमें बाजीलाल सवरते से कांग्रेस के उदय सिंह ने 1 मत से जीत दर्ज की। भाजपा की हेमपुष्पा को कुल 5 मत मिले जहां कांग्रेस प्रत्याशी को 10 और निकटतम प्रतिद्वंदी को 9 मत मिल सके ।
कांग्रेस ने आपसी लड़ाई में गंवाया उपाध्यक्ष पद
कांग्रेस चाहती तो उपाध्यक्ष का पद भी अपनी झोली में डाल सकती थी लेकिन जनपद उपाध्यक्ष के चुनाव में को कांग्रेस की आपसी लड़ाई उभर कर सामने आ गई और कांग्रेस से दो प्रत्याशी मैदान में उतर गए। भाजपा से भी उतरने के लिए दो प्रत्याशी मैदान में उतरे लेकिन भाजपा की एक प्रत्याशी ने अपना नाम वापस ले लिया जिसके बाद भाजपा ने प्यारेलाल साहू चुनाव जीत गए। कांग्रेस से गणेश राजवाड़े और राजू साहू दो दो प्रत्याशी मैदान में थे और यही कांग्रेस के हार का कारण बना।
पूर्व विधायक का मोह भाजपा का उपाध्यक्ष बनाने में देखा गया:सूत्र
बताया जा रहा है कि पूर्व विधायक ने जनपद अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव में खुलकर भाग लिया और उन्होंने अध्यक्ष के लिए तो कांग्रेस समर्थित का साथ दिया लेकिन उन्होंने उपाध्यक्ष के लिए भाजपा समर्थित की तरफ रुख रखा ऐसा सूत्रों का दावा है। वैसे सूत्रों का दावा कितना सच है यह तो दैनिक घटती घटना पुष्टि नहीं करता लेकिन बताया जा रहा है कि पूर्व विधायक भाजपा का ही उपाध्यक्ष बने इस मंशा के साथ ही भिड़ी नजर आईं।

सोनहत जनपद पंचायत में उपाध्यक्ष समर्थित प्रत्याशी को नहीं बना पाई भाजपा,निर्दलीय बना उपाध्यक्ष तो भाजपा ने उसे बताया अपना
सोनहत जनपद पंचायत में बहुमत के बावजूद भाजपा अपना उपाध्यक्ष नहीं बना पाई और एक गैर समर्थित प्रत्याशी चुनाव जीत गया और उसके जीतते ही भाजपा ने उसे अपना बताना आरंभ कर दिया। वैसे उपाध्यक्ष को लेकर कांग्रेस ने भी यह जतलाने में कोई देरी नहीं की कि वह कांग्रेस का है और उसे बधाई देते खूब फोटो उन्होंने वायरल किए।अब उपाध्यक्ष किसका है यह तो उपाध्यक्ष ही बता पाएंगे जो निर्वाचित हुए हैं।

सोनहत में अध्यक्ष बनाने में सफल हो गई भाजपा
सोनहत में भाजपा का अध्यक्ष निर्वाचित हुआ। भाजपा शुरू से बहुमत में थी वहीं इसी कारण वह अध्यक्ष बना ले गई। वैसे उपाध्यक्ष में भाजपा मात खा गई बहुमत के बावजूद।
क्या कांग्रेस जिलाध्यक्ष के लिए सोनहत उनके जिले में नहीं आता
जिला विभाजन के बाद कोरिया जिले का हिस्सा है पर कांग्रेस कोरिया जिला कमेटी में लगता नहीं की सोनहत कोरिया जिले का हिस्सा है त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कुछ ऐसा ही देखने को मिला कांग्रेसी बिल्कुल भी यह भूल गए कि सोनहत भी उनके जिले का हिस्सा है या कहा जाए तो कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भूल गए कि सोनहत भी उनके क्षेत्र में आता है जहां प्रत्याशियों को जिताना व उनके लिए काम करना उनके लिए प्लान तैयार करना उनकी जिम्मेदारी है पर ऐसा देखने को नहीं मिला ना तो जिला पंचायत सदस्य जीयाने में ना ही जनपद सदस्य जीताने में और ना ही सोनहत जनपद में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाने में इनकी रुचि देखी गई।
क्या भाजपा के लिए जो जीता वही सिकंदर?
भाजपा एक तरफ बैकुंठपुर में उपाध्यक्ष पद लेकर खुशी से झूम उठी वहीं सोनहत में वह अध्यक्ष तो जीता ले गई लेकिन गैर समर्थित उपाध्यक्ष जितने वाले को भी अपना बता ले गई,कुल मिलाकर भाजपा जो मिला उसी में खुशी मनाती नजर आई। जबकि काग्रेस के सहयोंग से उपाध्यक्ष बने। राजू साहू को दो वोट मिलना कांग्रेस से उपाध्यक्ष पद छिनने जैसा- राजू साहू को दो मत मिले और यही कांग्रेस की हार का कारण हुआ।