अंबिकापुर,25 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। धोखधड़ी के मामले में कोतवाली पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर फर्म के चार पार्टनरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। शिवशंकर तिवारी बौरीपारा के रहने वाला है। पूर्व से इसकी जान पहचान चंद्र किशोर तिवारी,अतुल तिवारी दोनो निवासी केदारपुर अम्बिकापुर,आलोक तिवारी निवासी 10 उद्यानपथ चौबे कालोनी, रायपुर,आरती देशमुख पत्नि मनोज देशमुख निवासी मकान नंबर एच 24, शिवधारी कालोनी प्रतापपुर नाका अम्बिकापुर से थी। इन सभी लोगों ने मिलकर वर्ष 2013 में फर्म तिवारी कंस्ट्रक्शन का पंजीयन बिलासपुर से कराया था। और उक्त फर्म द्वारा भवन निर्माण का कार्य शासकीय टेंडर प्राप्त कर किया जाता था। वर्ष 2017 में शिवशंकर के साथ अन्य चार पार्टनरों ने नोटरी से शपथपत्र तैयार कराकर फर्म के समस्त कार्यों को करने की सहमती दी थी। शासकीय टेंडर मिलने पर शिवशंकर तिवारी ने बाजार से लगभग 2 कोड़ 30 लाख रुपए का उधार निर्माण सामग्री लेकर ठेकेदारी कार्य में लगाया था। इसके बाद कंपनी को अधिक मुनाफा भी हुआ था।
शिवशंकर ने उधार रूपयों की मांग की तो चारो सहयोगियों ने देने से इंकार कर दिया और कहा कि आपने लिया है तो आप समझो। उधार की राशि देने से इंकार करने पर शिवशंकर ने फर्म के बैंक खाते को होल्ड 31 मई 2024 को करा दिया। फर्म बैंक खाता होल्ड होने के बाद चारों अनावेदकों ने 10 जुलाई कार्यालय उप पंजीयक अम्बिकापुर (पंजीयन) में उपस्थित होकर सुनियोजित साजिश करते हुए, शिवशंकर द्वारा लिए गए उधार निर्माण सामग्रियों के 2 करोड़ 30 लाख रुपए व फर्म में लगाई गई अंश पूजी व लाभांश को हड़पने के लिए कूटरचना कर फर्म के पंजीयन की अवधि के रहते हुए ही पुर्ननिर्माण करा दिया गया। शिवशकर को बिना उसकी सहमति एवं उसके अंशपूंजी का भुगतान किय बगैर,बिना सूचना के मेसर्स तिवारी कंस्ट्रक्शन फर्म से निकाल दिया गया। इसके बाद चारो अनावेदकों ने आवेदक के फर्जी हस्ताक्षर कर होल्ड बैंक खाते को अनहोल्ड करा लिए थे। तथा खाते में जमा संपूर्ण रकम आहरित कर लिया गया था। आवेदक द्वारा अनावेदकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की शिकायत कोतवाली में की थी। पर पुलिस ने अहस्तक्षेप योग्य मामला मानते हुए उसे न्यायालय जाने की सलाह दी थी। इसके बाद आवेदक ने मामले को न्यायालय में लगाया था। न्यायालय के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने आरोपी चंद्र किशोर तिवारी, अतुल तिवारी, आलोक तिवारी, आरती देशमुख के खिलाफ धारा 318(4), 319 (2). 320, 322, 336 (3). 338, 340 के तहत तहत रिपोर्ट दर्ज किया है।
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