Breaking News

बैकुण्ठपुर/पटना@निर्वाचित नहीं तो मनोनीत होकर नवीन नगर पंचायत पटना में एंट्री करने की जिद क्यों?

Share


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर/पटना,21 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। पटना नगर पंचायत में एक भाजपा नेता का कद काफी भारी हुआ करता था, उनके नाम का एक अलग ही वजन हुआ करता था, भाजपा संगठन में लेकिन अचानक ना जाने किसकी सलाह पर उन्होंने छोटा चुनाव लड़कर अपने कद की ग्रेविटी गिरा ली और चुनाव हार गए? नगर पंचायत पटना का चुनाव कई नेताओं का भविष्य को तापने वाला चुनाव भी माना जा रहा है, ऐसे नेता का भविष्य इस चुनाव ने ताप दिया जो कभी दिग्गज वह बड़े नेताओं में शुमार थे, सिर्फ एक पार्षद पद का चुनाव लड़ना और उसमें भी हार का सामना करना ऐसे नेता के लिए जी का जंजाल हो गया और अब वह अपनी खीज मनोनीत होकर एल्डरमैन बनकर निकालना चाह रहे हैं, पर अपनी हार की समीक्षा वह करना क्यों नहीं चाह रहे हैं यह बड़ा सवाल है? उनकी हार की समीक्षा पर यदि गौर किया जाए तो उनके एसटीडी पीसीओ से उनकी नेतागिरी होती रही और बड़े नेता यहां तक कि भाजपा के विधायक मंत्री भी वहीं तक सीमित रहते रहे और वहीं से उन्हें बिठाकर नेताजी रवाना करते रहे, उनका कभी भी उनका जनसरोकार से वास्ता नहीं रहा यदि आज वह लोगों के बीच पहुंचते और बैठते तो शायद यह परिणाम नहीं आता और वह आज पार्षद जैसा चुनाव हारते नहीं, वैसे अब तो वह पार्षद पद का छोटा चुनाव हार गए हैं और विचारणीय यह है कि यदि यही नेता जी नगर पंचायत अध्यक्ष पटना का चुनाव लड़ते भाजपा प्रत्याशी बनकर तब क्या होता? उनका और पार्टी की तब क्या स्थिति होती? वैसे आजकल हारे हुए नेताजी नगर पंचायत में एंट्री पाने के लिए मनोनीत होकर एल्डरमैन बनने की जिद पाले हुए हैं और भाजपा नेता अपने इस मनसा में सफल हो पाएंगे या फिर अपनी पार्टी के कठोर नियमों के तहत इससे वंचित रह जाएंगे यह देखने वाली बात होगी। भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो नियमों पर चलती है सिद्धांतों पर चलती है विचारों पर चलती है यदि वह अपने नियमों पर चलेगी तो शायद हारे हुए नेताजी को एल्डरमैन नहीं मनोनीत करेगी, क्योंकि यह उसके नियम के खिलाफ होगा?
अब क्या बैकुंठपुर विधायक एवं भाजपा जिलाध्यक्ष ऐसे हारे हुए जनाधार विहीन लोगों के लिए एल्डरमैन पद की अनुशंसा करेंगे?
वैसे हारे हुए पार्षद प्रत्याशियों को लेकर सभी का यही मानना है पटना में की उन्हें नगर पंचायत की इंट्री टिकट बतौर एल्डरमैन नहीं मिलनी चाहिए। नगर पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित भाजपा पार्षदों सहित नए चेहरों को एल्डरमैन बनाने से पटना में भाजपा होगी पहले से और अधिक मजबूत-भाजपा पटना में काफी कमजोर प्रदर्शन करती रही है। भाजपा के कमजोर प्रदर्शन के पीछे की वजह थी भाजपा पटना के ही कुछ नेता जो भाजपा के प्रति नए लोगों को आकर्षित होने के पीछे कारण बनते थे क्योंकि वह और उनकी कार्यप्रणाली ऐसी थी कि उनके साथ के ही लोग भाजपा में उपेक्षित थे इसलिए नए लोगों को भी पार्टी से जुड़ने में यह आशंका होती थी कि जब पीछे के ही लोगों का कुछ न हो सका कुछ लोगों के कारण तो उनका जुड़ना बेकार है। अब भाजपा के ऐसे नेता चुनाव हार गए हैं वह भी पार्षद का जो उनके लिए एक चेतावनी है कि वह अब भी लोगों की भावना समझे वहीं भाजपा के लिए भी पटना को लेकर मौका है कि वह नगर पंचायत अध्यक्ष नए निर्वाचित पार्षदों और पार्टी विचारधारा से जुड़े नए लोगों को ही लेकर एल्डरमैन की नियुक्ति करें जिससे पटना के नव युवकों को खासकर यह आभास हो की भाजपा में जमीन से भी व्यक्ति खास बन सकता है…हमेशा खास ही खास बना रहने वाला नहीं है यहां।
2028 की तैयारी को लेकर आगे बढ़ेगी भाजपा या फिर पुराने पर करेगी भरोसा
भाजपा अब 2028 की तैयारी के हिसाब से आगे बढ़ेगी या फिर पुराने पर ही भरोसा करके वह पुराना परिणाम लेना चाहेगी जो आशंकाओं वाला होगा। भाजपा में नवाचार आम है और भाजपा में नए लोगों को अवसर देने की परम्परा हाल फिलहाल में और बढ़ी है ऐसे में अब देखना है कि क्या भाजपा नए लोगों को मौका देकर 2028 की तैयारी बेहतर तरीके से करती है जीत की तैयारी करती है या मठाधीशों के चक्कर में जिन्हें अब जनता भी नकारना शुरू कर चुकी है भाजपा कोरिया 2028 का विजन ही भूल जाती है नजर अंदाज या कमजोर करती है।
क्या एक नेताजी के लिए पार्टी नियमों से समझौता करेगी?
वहीं यदि वह हारे हुए एक नेताजी के लिए नियमों से समझौता करेगी तो फिर पार्टी को सभी हारे हुए पार्षद प्रत्याशियों को एल्डरमैन बनाना पड़ेगा क्योंकि नियम किसी एक के लिए नया बनाने की बजाए सभी को समान नजरिए से देखना भाजपा की परम्परा रही है। वैसे नगर पंचायत पटना का चुनाव कई मायने में भाजपा के लिए एक सीख भी साबित हुआ। जो भाजपा आरम्भ से ही पटना चुनाव में अध्यक्ष पद के हिसाब से बाहर थी वह भाजपा आज अपने दम पर केवल प्रत्याशी चयन के कारण अध्यक्ष पद के साथ पटना नगर पंचायत पर काबिज हो चुकी है वहीं जिन भाजपा नेताओं के कारण भाजपा पटना में जनाधार विहीन होती जा रही थी उनको भी जनता ने नव गठित नगर पंचायत में प्रवेश का मौका नहीं दिया और वह छोटा सा नगर पंचायत चुनाव वह भी पार्षद पद का चुनाव हार गए। वैसे तो पार्षद जैसा चुनाव हारने वाले नेताजी को एल्डरमैन का पद स्वीकार ही नहीं करना चाहिए क्योंकि एल्डरमैन का मनोनयन एक सांत्वना होती है और वह उन्हें प्रदान की जाती है जो पार्टी से चुनाव में टिकट की जिद नहीं करते पार्टी निर्देश पर चुनाव में दिल लगाकर काम करते हैं,प्रत्याशियों को जीत दिलाने का काम करते हैं और दिनरात की मेहनत उपरांत जब नगर सरकार का निर्वाचन पार्टी की मंशा अनुरूप होता है तब ऐसे कार्यकर्ताओं को पुरुस्कार स्वरुप यह पद दिया जाता है। यह पद मठाधीशों और जानधार विहीन साबित हो चुके हारे हुए पार्षद पद के प्रत्याशियों के लिए नहीं होता यह सभी जानते हैं फिर भी नेताजी की जिद है। वैसे नेताजी ऐसे भी एक मनोनयन लेकर बैठे हैं जो उन्हें कई महीने पहले एक समिति का मुखिया बनाता है और एक ही व्यक्ति जनाधार विहीन व्यक्ति दो दो मनोनयन तभी पा सकता है तभी वह इसका अधिकारी हो सकता है जब कोई नगर एक ही नेताजी के हिसाब से चलता हो या पार्टी के पास नगर में कोई अन्य अदना सा भी मेहनती कार्यकर्ता न हो। भाजपा वैसे तो नेताजी का यह शौक या जिद शायद ही पूरी करे लेकिन यदि ऐसा होता है तो फिर सभी हारे पार्षद पद के प्रत्याशियों को एल्डरमैन बनाना होगा तभी भाजपा न्यायप्रिय नजर आएगी।
बैकुंठपुर विधायक एवं भाजपा जिलाध्यक्ष क्या पुनः हारे हुए पार्षद प्रत्याशी के लिए एल्डरमैन पद की करेंगे अनुशंसा?
भाजपा के 15 पार्षद प्रत्याशियों में से 10 चुनाव हार गए हैं। हारे हुए 10 लोगों में से एक दो भाजपा के बड़े चेहरे हैं जो भाजपा पटना के खुद को मठाधीश भी समझते हैं और जिनकी वजह से भाजपा पटना में लगातार कमजोर भी हुई है क्योंकि इन्होंने अपने आगे किसी को कभी जाने का मौका नहीं दिया जिस वजह से भाजपा की टीम पटना में सिमटती गई। अब हारे हुए मठाधीश नगर पंचायत में एल्डरमैन बनकर जाना चाहते हैं जबकि जनता ने उन्हें जनादेश अनुसार इसकी इजाजत नहीं दी है।
एल्डरमैन को लेकर भी युवाओं पर भरोसा करेगी भाजपा…संगठन चुनाव की तरह ही उम्र की होगी बाध्यता?
भाजपा ने मंडल से लेकर जिलाध्यक्ष के चुनाव में उम्र की बाध्यता तय कर दी है और इस बार युवाओं को मौका मिला है इस कारण संगठन के पदों में । अब क्या भाजपा एल्डरमैन के लिए उम्र की बाध्यता तय करने वाली है । क्या युवाओं को अधिक संख्या में एल्डरमैन बनाया जाएगा निकायों में। वैसे भाजपा यदि ऐसा करती है तो उसे फायदा ही होगा क्योंकि युवाओं का भरोसा भाजपा की तरफ बढ़ेगा और युवाओं को भाजपा में भविष्य अपना नजर आएगा। पटना जैसे जगहों की बात की जाए तो यहां मठाधीशों के कारण युवाओं का भाजपा की तरफ रुख नहीं होता था जो यदि एल्डरमैन चयन में युवाओं को मौका मिला तो युवा भाजपा की तरफ आशान्वित होकर आयेंगे।


Share

Check Also

सूरजपुर,@‘आधा घंटा रोज’अभियान के तहत साइकिल रैली निकाल दिया स्वस्थ जीवन का संदेश

Share डीआईजी व एसएसपी सूरजपुर प्रशांत कुमार ठाकुर ने रैली को बताया फिटनेस का संदेश …

Leave a Reply