सोनी समाज के विरोध के बावजूद जीत दर्ज कर ले गईं गायत्री सिंह,क्या पटना में सोनी समाज भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है यह मिथक भी तोड़ा गायत्री सिंह ने?
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-रवि सिंह-
बैकुंठपुर/पटना,16 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। पटना नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा की जीत खासकर निवर्तमान सरपंच गायत्री सिंह की जीत के बाद यह मिथक भी टूट गया कि भाजपा के लिए पटना में सोनी समाज महत्वपूर्ण है। सोनी समाज के पूर्ण विरोध के बावजूद गायत्री सिंह ने भाजपा प्रत्याशी बतौर चुनाव जीतकर यह बतला दिया कि भाजपा के लिए पटना में किसी एक समाज को महत्व देना सही नहीं है और सोनी समाज के अलावा अन्य समाज के लोग भी सोनी समाज से ज्यादा समर्थित हैं भाजपा के लिए और उन्हें भी अब तव्वजो की जरूरत है जिनके बल पर यह चुनाव गायत्री सिंह और भाजपा जीत सकी। पटना नगर पंचायत के गठन उपरांत यह माना जा रहा था कि यदि नगर पंचायत के पहले चुनाव में सीट अनारक्षित हुई तब सोनी समाज भी दावेदारी के लिए दावा करेगा और ऐसा हुआ भी लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने आंतरिक सर्वे उपरांत माना कि सोनी समाज का प्रत्याशी नहीं जीत सकता और उन्होंने निवर्तमान सरपंच को सर्वे में जिताऊ पाया और निवर्तमान सरपंच को पार्टी में शामिल कराकर उन्हें पार्टी से प्रत्याशी बनाया और पार्टी का निर्णय सही साबित हुआ और पार्टी की जीत हुई।
यदि गायत्री सिंह के अलावा कोई अन्य प्रत्याशी इसबार भाजपा से प्रत्याशी होता अध्यक्ष का वह बुरी तरह पराजित होता यह परिणाम के बाद स्पष्ट हो गया, गायत्री सिंह के दो बार के चुनाव लड़ने के अनुभव के साथ भाजपा जिलाध्यक्ष सहित अन्य नेताओं की रणनीति ने भाजपा और गायत्री सिंह को जीत का जश्न मनाने लायक बनाया, वैसे भाजपा का सोनी समाज पर विश्वास भी भाजपा को डुबाने वाला था जो गायत्री सिंह और उनके समर्थकों के कारण डूबने से बच गया। यदि गायत्री सिंह भरोसे में रहती उनकी नैया चुनावी पार होने वाली नहीं थी। पटना चुनाव और चुनावी परिणाम के बाद जो कुछ समझ में आया उसके अनुसार गायत्री सिंह का विरोध करने वालों में भाजपाई सबसे अधिक थे जो इसलिए विरोध में थे क्योंकि वह अपने लिए टिकट की मांग कर रहे थे और जब ऐसा नहीं संभव हुआ उन्होंने गायत्री सिंह को और भाजपा को ही निपटाने की योजना पर काम किया जिस योजना को खुद गायत्री सिंह और उनके कुछ खास समर्थकों ने विफल किया। पटना नगर की राजनीति अब पांच सालों के लिए फिर से गायत्री सिंह के इर्द गिर्द सिमट गई और उन्हें पराजित करने की मंशा रखने वाले भी कुछ समझ न सके और अब वह बधाई देने की कतार में आगे हैं सबसे वैसे कभी कभी कुछ विषय भाग्य और किस्मत का भी होता है जो पटना के चुनाव में खासकर नगरीय निकाय के प्रथम चुनाव में देखने समझने को मिला जहां मनोनीत अध्यक्ष पद का शपथ न लेने वाली गायत्री सिंह प्रथम अध्यक्ष बन गईं। जिस गायत्री सिंह को लेकर यह माना जा रहा था कि वह किसी दल में जाकर चुनाव लड़ने की बजाए निर्दलीय चुनाव लड़ सकती हैं उन्होंने भाजपा प्रवेश कर भी सभी को चौंकाया और जब भाजपा प्रवेश उपरांत उनका टिकट भी तय हुआ तब यह भी तय हो गया कि वह ही विजेता होंगी। पटना में भाजपा अब सभी समाज को समान महत्व दे और उनमें कम और ज्यादा का अंतर न माने तभी भाजपा पटना में मजबूत होगी वरना इस बार की तरह दोबारा कोई गायत्री सिंह विजय श्री हासिल कर ले जाएगी विरोध पश्चात जरूरी नहीं।