नईदिल्ली@ क्या खतरे में है देश का लोकतंत्र…

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जयशंकर ने उंगली दिखाकर बता दिया तो ताकती रह गई दुनिया…
नईदिल्ली,15 फरवरी 2025 (ए)।
यूरोप और अमेरिका खुद को लोकतंत्र का सबसे बड़ा रक्षक बताते हैं। कुछ बयानवीर अपने देश को मदर ऑफ ड्रेमोक्रेसी या प्राउड फादर ऑफ डेमोक्रेसी बताते हैं। इस कड़ी में फ्रांस, ब्रिटेन और यूएस सब डेमोक्रेसी पर लंबा चौड़ा लेख्र झाड़ते हैं। देश के तौर पर देखें या महाद्वीप के तौर पर हर जगह ऐसे-ऐसे कांड हुए हैं, जब खुले आम लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई गईं। दूसरे शब्दों में कहें तो लोकतंत्र के उन्हीं कथित पैरोकार देशों में डेमोक्रेसी का जनाजा निकाला गया।
जब जयशंकर ने दिखाई उंगली
जर्मनी के म्यूनिख में 14 से 16 फरवरी तक 61 वां म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) चल रहा है। इस आयोजन में शामिल देश, विदेश और सुरक्षा नीति की चुनौतियों पर उच्च स्तरीय चर्चा कर रहे हैं। जयशंकर, दूसरों को लोकतंत्र का ज्ञान देने वालों पर जमकर बरसे। ऐसे लोगों को आईना दिखाते हुए लोकतंत्र की स्थिति पर बहस के दौरान जब ईएएम ने अचानक इंडेक्स फिंगर दिखाई तो लोग स्तब्ध होकर देखते रह गए।
लाइव टू वोट अनदर डे
फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस के सत्र में जयशंकर ने पूरी दुनिया को बता दिया कि सही मायनों में एक कामयाब लोकतांत्रिक व्यवस्था कैसी होती है, वो कैसे काम करती है।
जयशंकर से जब पूछा गया कि क्या लोकतंत्र खतरे में है? तब उन्होंने अपनी तर्जनी उंगली पर लगी स्याही दिखाते हुए कहा, भारत की चुनावी प्रक्रिया में विश्वास जताने वाले लोग उसकी ताकत जानते हैं। यानी भारत का लोकतंत्र सबसे मजबूत है।.
जयशंकर ने कहा…ये बुरी बात नहीं
जयशंकर ने कहा, मैं अपनी उंगली ऊपर उठाकर बात शुरू करूंगा और इसे बुरी तरह से लेने के जरूरत नहीं है, ये तर्जनी है। आप इस पर जो निशान मेरे नाखून पर लगा निशान देख रहे हैं, यह उस व्यक्ति का निशान है जिसने अभी-अभी मतदान किया है. हमारे देश में जिस राज्य का मैं वोटर हूं, वहां हाल ही में चुनाव हुआ था। पिछले साल, हमारे देश में आम चुनाव हुआ था। भारतीय चुनावों में, करीब दो-तिहाई पात्र मतदाता मतदान करते हैं। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा, लगभग 90 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं में से लगभग 70 करोड़ ने अपने वोटिंग राइट का इस्तेमाल किया। हम आज एक ही दिन में सारे वोटों की गिनती करते हैं। भारत से ज्यादा मजबूत लोकतंत्र कि मिसाल आपको दुनिया में कहीं और नहीं मिलेगी। लोकतंत्र में प्रचलित राजनीतिक निराशावाद से अलग और विदेशी हस्तक्षेप पर अपनी बात रखते हुए जयशंकर ने कहा, अभी हम अच्छी तरह से रह रहे हैं। अच्छी तरह से मतदान कर रहे हैं. हम अपने लोकतंत्र की दिशा के बारे में आशावादी हैं और लोकतंत्र की ताकत से हम दुनिया को राह दिखा रहे हैं. लोकतांत्रिक समाज के रूप में भारत हर महीने करीब 80 करोड़ लोगों को राशन देकर उन्हें पोषण सहायता देता है। हालांकि कुछ मामलों को लेकर कभी कभार असहज करने वाली स्थिति बन जाती हैं, कुछ चुनौतियां हो सकती हैं. ऐसे मुद्दों को सार्वभौमिक घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।


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